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उधमपुर—श्रीनगर—बारामूला रेलवे प्रोजेक्ट : PM मोदी पर बरसे जयराम रमेश, जानें- BJP—Congress में क्यों छिड़ी रार?

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेललाइन ने 30 साल बाद रफ्तार पकड़ी। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर श्रेय लेने का आरोप लगाया। जानिए इस प्रोजेक्ट की असली टाइमलाइन और इसके सामाजिक-आर्थिक असर की पूरी कहानी।

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Ajit Kumar Pandey
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उधमपुर—श्रीनगर—बारामूला रेलवे प्रोजेक्ट पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाए आरोप | यंग भारत न्यूज

उधमपुर—श्रीनगर—बारामूला रेलवे प्रोजेक्ट पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाए आरोप | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद अहम 272 किलोमीटर लंबा उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल प्रोजेक्ट अब लगभग पूरा हो चुका है। इस परियोजना को 1995 में मंजूरी मिली थी, लेकिन इसे गति मिली 2002 से लेकर 2013 के बीच, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसके अधिकांश हिस्सों का उद्घाटन किया। अब 2025 में कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर इसका श्रेय लेने का आरोप लगाते हुए पूरे घटनाक्रम का तथ्यात्मक ब्यौरा पेश किया है।

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जम्मू-कश्मीर को रेलमार्ग से जोड़ने की सोच 1990 के दशक में शुरू हुई थी। 1995 में इस परियोजना को केंद्रीय मंजूरी मिली, लेकिन कार्य में रफ्तार 2002 के बाद आई, जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया।

पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुए कई काम

13 अप्रैल 2005: जम्मू से उधमपुर के बीच 53 किमी लाइन का उद्घाटन।

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11 अक्टूबर 2008: अनंतनाग से बारामूला तक 66 किमी रेललाइन चालू।

14 फरवरी 2009: बारामूला से श्रीनगर तक 31 किमी हिस्सा जुड़ा।

29 अक्टूबर 2009: अनंतनाग से काज़ीगुंड के बीच 18 किमी रेललाइन शुरू।

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26 जून 2013: बनिहाल से काज़ीगुंड तक 11 किमी की ऐतिहासिक टनल लाइन खोली गई।

इन चरणों के बाद 135 किमी लंबी बारामूला-काज़ीगुंड लाइन 2013 में पूरी तरह चालू हो चुकी थी।

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कांग्रेस पार्टी का बड़ा दावा

कांग्रेस का दावा है कि मोदी सरकार ने 2014 में चुनावी फायदा उठाने के लिए उधमपुर से कटरा तक 25 किमी की रेललाइन का उद्घाटन मात्र 39 दिन बाद कर दिया, जो पहले से तैयार थी। इसके बाद, 2014 से 2024 तक केवल एक ही मुख्य काम हुआ — 111 किलोमीटर का अंतिम और जटिल खंड।

इस हिस्से में चेनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है। 2005 में शुरू हुए इस पुल को पूरा करने में 19 साल लगे। इसे कोंक्रेट्स, स्टील और विदेशी विशेषज्ञों के सहयोग से पूरा किया गया।

क्या बोले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश

6 जून 2025 को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आधिकारिक बयान में कहा कि यह परियोजना कांग्रेस शासन में अपने सबसे बड़े हिस्से तक पहुंच चुकी थी। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने तैयार रेलखंडों के उद्घाटन को अपनी उपलब्धि बनाकर प्रचारित किया, जबकि असली काम कांग्रेस सरकारों ने किया था।

उन्होंने कहा कि "यह रेलवे लिंक न सिर्फ कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय सफलता का प्रतीक भी है।"

USBरेल प्रोजेक्ट केवल एक ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं है। यह जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास का आधार बन चुका है।

  • इस लिंक के जरिए पर्यटन को बढ़ावा मिला है
  • व्यापारियों को माल ढुलाई में आसानी हुई है
  • सेना को दुर्गम इलाकों तक तेज़ पहुंच मिलती है

श्रेय की लड़ाई या विकास की जीत?

भले ही श्रेय का विवाद बना रहे, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यह रेलप्रोजेक्ट भारतीय लोकतंत्र के साझा प्रयासों का परिणाम है। अब यह देश के हर नागरिक के लिए गर्व और गर्व का विषय है।

क्या आपको लगता है कि ऐसे विकास कार्यों का श्रेय राजनीति से ऊपर होना चाहिए? अपनी राय कमेंट करें। 

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