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लद्दाख में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिंसा, भूख हड़ताल खत्म कर बोले सोनम वांगचुक?

लद्दाख में पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन हिंसक होने के चलते पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल खत्म कर दी है। यह जानकारी उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर दी है। जानें सोनम वांगचुग ने आंदोलकारियों से क्या अपील की?

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Ajit Kumar Pandey
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लद्दाख में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिंसा, भूख हड़ताल खत्म कर बोले सोनम वांगचुक? | यंग भारत न्यूज

लद्दाख में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिंसा, भूख हड़ताल खत्म कर बोले सोनम वांगचुक? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । लद्दाख में पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची के दर्जे की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक हो गया। लेह में हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन में पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान बीजेपी कार्यालय के बाहर एक सुरक्षा वाहन को भी आग के हवाले कर दिया गया। 

इस बीच पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट कर जानकारी दी है कि वे भूख हड़ताल खत्म कर दिए हैं। 

उन्हों ने लिखा है कि आज मेरा शांतिपूर्ण मार्ग का संदेश विफल हो गया। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि कृपया यह ... बंद करें। इससे हमारे उद्देश्य को ही नुकसान पहुंचता है।

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, यह घटना उस वक्त हुई जब जाने-माने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल 35वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। लद्दाख लोग लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इस मांग के पीछे उनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान, जमीन और रोजगार के अधिकारों को सुरक्षित रखने की चिंता है। 

लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के नेतृत्व में एक बड़े प्रदर्शन का आह्वान किया गया। यह प्रदर्शन केंद्र सरकार से जल्द से जल्द बातचीत करने की मांग को लेकर किया गया। 

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सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल: आंदोलन का चेहरा 

इस पूरे आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक हैं। वे पिछले 35 दिनों से लगातार भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ताकि सरकार का ध्यान लद्दाख के लोगों की मांगों की ओर आकर्षित किया जा सके। 

वांगचुक का कहना है कि अगर लद्दाख को विशेष संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया तो यहां की जमीन, संस्कृति और पहचान को बाहरी लोगों से खतरा हो सकता है। हाल ही में, भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस घटना ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया। इसके बाद लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने बंद का आह्वान किया, जिसके चलते पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। 

जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध

जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार लेह में पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जाएगा। 

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बता दें कि प्रशासन ने बीएनएस की धारा 163 लगाया है, ताकि बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति से कोई भी किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या जुलूस नहीं निकाल सकता। साथ ही 5 या उससे अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकते हैं।

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा: क्या है असली वजह? 

स्थानीय पुलिस और प्रशासन के मुताबिक, प्रदर्शन के दौरान हालात तब बिगड़ गए जब कुछ युवाओं ने बीजेपी कार्यालय के बाहर खड़ी एक गाड़ी को आग लगा दी। इसके जवाब में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। हालात को काबू में करने के लिए लेह में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया है। 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार और लेह एपेक्स बॉडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के बीच होने वाली अगली बातचीत को 6 अक्टूबर की जगह जल्द से जल्द आयोजित किया जाए और उसमें ठोस फैसले लिए जाएं। उनका मानना है कि सरकार इस मामले को टाल रही है। 

क्यों अहम है छठी अनुसूची? 

संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। इसके तहत इन राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता दी गई है। ये क्षेत्र अपनी जमीन, संस्कृति और पहचान की सुरक्षा के लिए अपने नियम बना सकते हैं। लद्दाख के लोग भी ऐसी ही स्वायत्तता चाहते हैं। 

इनका मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी उनके अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। फिलहाल लेह में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। सभी की नजरें अब केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी नेताओं के बीच होने वाली अगली बातचीत पर टिकी हैं।

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