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आतंक पर NIA का बड़ा वार : सैयद सलाहुद्दीन भगोड़ा घोषित, अब क्या होगा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आज शनिवार 26 जुलाई 2025 को NIA की अदालत ने पाकिस्तानी आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन मुखिया सैयद सलाहुद्दीन को UAPA के तहत भगोड़ा अपराधी घोषित किया है। यह फैसला भारत के खिलाफ दशकों से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले इस कुख्यात आतंकवादी के लिए बड़ा झटका है। जानें इसके मायने और आगे की कार्रवाई।
भारत में आतंकवाद की जड़ों को काटने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) लगातार बड़े कदम उठा रही है। इसी कड़ी में एक और महत्वपूर्ण फैसला आया है, जिसने पाकिस्तान में छिपे बैठे हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को कानूनी रूप से बड़ी चोट पहुंचाई है। दिल्ली की एक NIA अदालत ने उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत "भगोड़ा अपराधी" घोषित कर दिया है। यह सिर्फ एक कानूनी घोषणा नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ भारत के कड़े रुख का एक और प्रमाण है।
STORY | NIA court declares Hizb chief Syed Salahuddin proclaimed offender under UAPA
— Press Trust of India (@PTI_News) July 25, 2025
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आखिर कौन है सैयद सलाहुद्दीन और क्यों है ये फैसला इतना अहम?
सैयद सलाहुद्दीन, जिसका असली नाम मोहम्मद यूसुफ शाह है, कश्मीर में जन्मा एक ऐसा शख्स है जिसने भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता चुना। वह 1980 के दशक से ही अलगाववादी गतिविधियों में सक्रिय रहा और बाद में हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया बन गया। पाकिस्तान से अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाला सलाहुद्दीन, सीमा पार से भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ, फंड जुटाने और युवाओं को गुमराह करने में शामिल रहा है।
NIA का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सलाहुद्दीन पर शिकंजा कसने में मदद करेगा। भगोड़ा अपराधी घोषित होने का मतलब है कि अब उसकी संपत्तियों को जब्त करने और उसे भारत लाने के प्रयासों में तेजी लाई जा सकेगी। यह आतंक के वित्तपोषण (Terror Financing) के खिलाफ एक बड़ी जीत है।
UAPA के तहत 'भगोड़ा अपराधी' घोषित होने का क्या मतलब है?
UAPA, यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, भारत में आतंकवाद और गैरकानूनी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया एक कठोर कानून है। इसके तहत किसी व्यक्ति को 'भगोड़ा अपराधी' घोषित करने का अर्थ है कि वह जानबूझकर कानून से भाग रहा है।
आगे इस घोषणा के बाद ये होगा
संपत्ति कुर्की: सरकार उसकी भारत में और संभवतः विदेशों में भी संपत्तियों को जब्त कर सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत उसे वापस लाने के लिए इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से और अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग मांग सकता है।
दबाव में वृद्धि: यह पाकिस्तान पर भी दबाव बढ़ाएगा कि वह ऐसे आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे।
यह कदम आतंकवादियों को संदेश देता है कि वे कानून से बच नहीं सकते, चाहे वे कहीं भी छिपे हों।
पाकिस्तान लंबे समय से भारत के भगोड़े आतंकवादियों को पनाहगाह देता रहा है। सैयद सलाहुद्दीन उन्हीं में से एक है। NIA कोर्ट के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर होगी। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संस्थाएं, जो टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखती हैं, इस तरह के कानूनी घटनाक्रमों पर ध्यान देती हैं। पाकिस्तान पर पहले से ही FATF की तलवार लटकी हुई है, और यह फैसला उसके लिए मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
सलाहुद्दीन को भारत लाना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह घोषणा उस दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत अब कानूनी और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर उसे वापस लाने के प्रयास तेज करेगा। पाकिस्तान के इनकार करने पर भी, भारत उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना जारी रखेगा। यह फैसला दर्शाता है कि भारत अपने दुश्मनों को बख्शने वाला नहीं है और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
Pakistani terrorist Syed Salahuddin | Chief of terrorist organization Hizbul Mujahideen