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NIA की आतंक पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ : 97% गुनाहगारों को सजा!

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 2020-25 के बीच NIA ने 301 मामलों में चार्जशीट दाखिल की। इन मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की दर 97.08% रही। यह आंकड़ा आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत लड़ाई को दर्शाता है।

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Ajit Kumar Pandey
NIA का आतंक पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’: 97% गुनाहगारों को सजा! | यंग भारत न्यूज

NIA की आतंक पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ : 97% गुनाहगारों को सजा!| यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया है कि NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने 2020 से 2025 तक 301 मामलों में चार्जशीट दाखिल की है। इन मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की दर 97% से ज्यादा रही है। यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत की आतंक विरोधी एजेंसियां कितनी प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं।

आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है। राज्यसभा में दिए गए एक जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जो आंकड़े पेश किए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि देश के सुरक्षा तंत्र की क्षमता को भी दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि 2020 से लेकर 29 जुलाई 2025 तक, NIA ने कुल 301 मामलों में चार्जशीट दाखिल की है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि इन मामलों में दोषसिद्धि की दर 97.08% रही है। यह आंकड़ा बताता है कि हमारी जांच एजेंसियां सिर्फ केस दर्ज नहीं करतीं, बल्कि उन्हें तार्किक अंजाम तक भी पहुंचाती हैं।

NIA की यह सफलता सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है। यह उन हजारों सैनिकों, पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों की शहादत का सम्मान है जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान कुर्बान की है। 97% से अधिक की दोषसिद्धि दर बताती है कि NIA की जांच में कोई कमी नहीं रहती। वे सबूतों को इतने मजबूत तरीके से पेश करते हैं कि अदालतें दोषियों को सजा देने पर मजबूर हो जाती हैं।

इस अवधि के दौरान, NIA ने 103 मामलों में फैसला सुनाया, जिनमें से 100 अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया और केवल 3 को बरी किया गया। यह दिखाता है कि हमारी न्याय प्रणाली भी आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों को हल्के में नहीं लेती।

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क्यों है यह आंकड़ा इतना खास?

जांच एजेंसियों के लिए किसी मामले में सजा दिलाना एक बड़ी चुनौती होती है, खासकर आतंकवाद जैसे जटिल मामलों में। इन मामलों में सबूत जुटाना, गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ध्यान में रखना होता है। ऐसे में NIA का 97% का आंकड़ा एक मिसाल है। यह सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया भर की आतंक-विरोधी एजेंसियों के लिए एक बेंचमार्क सेट करता है।

साल-दर-साल प्रदर्शन: एक नजर में

गृह राज्य मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों पर अगर हम साल-दर-साल नजर डालें, तो NIA के प्रदर्शन में एक निरंतरता दिखती है:

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2020: 8 मामलों में फैसला, 8 में दोषसिद्धि (100% सफलता)

2021: 16 मामलों में फैसला, 16 में दोषसिद्धि (100% सफलता)

2022: 32 मामलों में फैसला, 31 में दोषसिद्धि (96.88% सफलता)

2023: 18 मामलों में फैसला, 17 में दोषसिद्धि (94.44% सफलता)

2024: 17 मामलों में फैसला, 17 में दोषसिद्धि (100% सफलता)

2025: 12 मामलों में फैसला, 11 में दोषसिद्धि (91.67% सफलता)

यह डेटा दिखाता है कि पिछले 5-6 सालों में NIA ने अपनी जांच की गुणवत्ता को लगातार बनाए रखा है।

NIA की इस सफलता से यह उम्मीद बंधती है कि भारत जल्द ही आतंकवाद की समस्या से पूरी तरह मुक्ति पा लेगा। यह न सिर्फ आतंकवादियों के मन में डर पैदा करेगा, बल्कि उन संगठनों को भी हतोत्साहित करेगा जो भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं।

यह रिपोर्ट देश के नागरिकों को भी यह विश्वास दिलाती है कि उनकी सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। आतंक का खात्मा सिर्फ एक सरकारी मिशन नहीं, बल्कि हर भारतीय की उम्मीद है, और NIA इस उम्मीद को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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