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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने एक फरमान जारी किया है, जिसने कुछ सियासी दलों की नींद उड़ा दी है। असल में, चुनाव आयोग ने देश के 6 राज्यों के लिए एक फरमान जारी करते हुए कहा कि इन राज्यों की मतदाता सूची की शुद्धता की फिर से जांच होगी। यानी इन राज्यों की मतदाता सूची को घर घर जाकर फिर से जांचा जाएगा। इन राज्योंमें बिहार के साथ ही पश्चिम बंगाल , असम, केरल , तमिलनाड़ु और पुडूचेरी है। असल में, चुनाव आयोग अपने इस फरमान के जरिए देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी प्रवासियों की धरपकड़ ही नहीं करना चाहता , बल्कि ऐसे लोगों के नाम भी मतदाता सूची से हटाना चाहता है , जो फर्जी दस्तावेज देकर मतदाता सूची में दर्ज तो हैं , लेकिन उनका अस्तित्व नहीं है। चुनाव आयोग के इस फैसले का सबसे पहले बिहार में ही विरोध होने लगा है । बिहार में विपक्षी दलों आयोग के इस फरमान पर आपत्ति दर्ज करवाई है । इन दलों का कहना है कि चुनाव आयोग ने यह फैसला भाजपा को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लिया है।
बिहार से होगी अभियान की शुरुआत
बता दें कि वर्ष 2026 तक इन 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों में फर्जी मतदाताओं की धरपकड़ के लिए चुनाव आयोग ने यह फरमान जारी किया है। बिहार को लेकर संभावना जताई जा रही है कि आगामी अक्टूबर – नबंवर के बीच विधानसभा चुनाव होंगे, इसलिए चुनाव आयोग ने घर घर जाकर मतदाता सूची के निरीक्षण का काम बिहार से ही शुरू करने का फैसला लिया है। चुनाव आयोग को आशंका है कि बिहार समेत इन 6 राज्यों की मतदाता सूची में काफी झोल हुआ है , जिसे चुनावों से पहले सही किया जाएगा।
आयोग ने पेश किया नया घोषणा पत्रा
बता दें कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के घर घर जाकर निरीक्षण किए जाने संबंधी प्रक्रिया को पारदर्शी और सख्त बनाने के लिए एक नया घोषणा पत्र भी पेश किया है। इसके तहत जो व्यक्ति मतदाता के रूप में पंजीकरण करवाना चाहता है, उसे यह साबित करना होगा कि वह या उसके माता पिता का जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में हुआ था । इतना ही नहीं जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से लेकर 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है , उन्हें अपने माता पिता के जन्म प्रमाण पत्र भी सरकारी कर्मचारियों के सामने पेश करने होंगे।
22 साल पहले हुए थे मतदाता सूची में सुधार
बता दें कि बिहार में अब से 22 साल पहले यानी 2003 में आखिरी बार मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया था। अब करीब दो दशक बाद एक बार फिर से चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की जांच करने के लिए फरमान जारी किया है । जानकारों का कहना है कि उस दौरान बिहार में मतदाता सूची की जांच में सख्ती नहीं बरती गई थी , जिसके चलते तब से अब तक काफी संख्या में ऐसे लोगों को मतदाता सूची में जोड़ दिया गया , जो या तो बांग्लादेशी थे या रोहिंग्या घुसपैठी। हालांकि यह काम राजनीतिक संरक्षण के तहत हुआ, जिस पर उस समय बहुत सवाल नहीं उठाए गए थे । लेकिन अब ऐसे समय में जब केंद्र की मोदी सरकार भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर का रास्ता दिखा रही है , चुनाव आयोग ने भी ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने का फरमान जारी किया है।
विपक्षी बोले- भाजपा को लाभ पहुंचाना लश्र्य
बहरहाल , चुनाव आयोग के इस आदेश पर कार्यवाही शुरू होने से पहले ही कुछ सियासी दलों ने सवाल उठाने भी शुरू कर दिए हैं। अब क्योंकि आगामी 4-5 महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में बिहार में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है। बिहार में कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर आयोग हमारे कुछ समर्थकों के वोट काटने का काम करेगा और इसे चुनाव आयोग की कार्रवाई करार दिया जाएगा। साफ हो रहा है कि चुनाव आयोग भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए यह कर रहा है।
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