/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/10/FtWE4h4NRIPnMUktsbwB.jpg)
Naxal Operation पर NSG के DG ब्रिघु श्रीनिवास ने दी मिशन की जानकारी | युग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नक्सल विरोधी अभियानों में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) की भूमिका को लेकर पहली बार DG ब्रिघु श्रीनिवासन ने खुलकर बयान दिया है। आज मंगलवार 10 जून 2025 को उन्होंने कहा कि NSG को तभी बुलाया जाता है जब बेहद ठोस खुफिया इनपुट हो और सटीक ऑपरेशन की जरूरत पड़े। एनएसजी इस मोर्चे पर राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों से सीख रही है, लेकिन ज़रूरत पड़ी तो ऑपरेशन को अंजाम देने में पीछे नहीं हटेगी।
देश के भीतर नक्सलवाद एक गंभीर आंतरिक चुनौती बना हुआ है, जहां सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन कर रहे हैं। इस बीच नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के महानिदेशक ब्रिघु श्रीनिवासन का बयान सामने आया है, जिसने नक्सल विरोधी रणनीतियों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नक्सल विरोधी अभियानों में NSG की भूमिका 'आखिरी हथियार' जैसी है, यानी तब तक NSG को नहीं बुलाया जाता जब तक कोई बेहद पुख्ता खुफिया सूचना न मिले और हालात बेहद सटीक कार्रवाई की मांग न करें।
राज्य पुलिस और CAPF की है प्रमुख जिम्मेदारी
DG श्रीनिवासन ने बताया कि नक्सल क्षेत्रों में प्राथमिक भूमिका राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की होती है। CRPF, BSF और अन्य बल वहां स्थायी रूप से मौजूद रहते हैं, जो वहां के भूगोल और हालात को बेहतर तरीके से समझते हैं। NSG जैसी विशेष बल की भूमिका तब आती है जब कोई उच्च स्तर का ऑपरेशन, जैसे बंधक मुक्त कराना या गुप्त ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक, आवश्यक हो।
#WATCH | Delhi: On the role of NSGs in anti-Naxal operations, DG NSG, Brighu Srinivasan says, "State police is the lead agency in anti-Naxal operations. Central Armed Police Forces play an important role. NSG skillset is limited. Our operations are precise and we are called only… pic.twitter.com/CGKa8y189t
— ANI (@ANI) June 10, 2025
NSG की ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी पर है ज़ोर
हालांकि NSG का कौशल आतंकवाद विरोधी अभियानों में उच्चतम माना जाता है, लेकिन नक्सल क्षेत्र की चुनौतियाँ बिल्कुल अलग हैं। DG ने माना कि नक्सल क्षेत्रों में काम करते समय उन्हें "सीखने" की स्थिति में रहना पड़ता है। उन्होंने कहा, "हम टेक्नोलॉजी के जरिए इन अभियानों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हमने हाल में कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए हैं ताकि अगर हमें बुलाया जाए तो हम पूरी तरह तैयार रहें।"
NSG की विशेषता: तेज़, सटीक और गोपनीय ऑपरेशन
NSG को 'ब्लैक कैट कमांडो' के नाम से जाना जाता है और इसकी पहचान तेज़, सटीक और गोपनीय ऑपरेशनों के लिए होती है। DG का यह बयान साफ करता है कि नक्सल इलाकों में NSG हर बार शामिल नहीं होती, लेकिन अगर मिशन में रिस्क हाई हो और जल्द निष्पादन जरूरी हो, तो यही बल सरकार की पहली पसंद बनता है।
राज्य और केंद्र की साझा रणनीति
DG श्रीनिवासन ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच लगातार समन्वय बना हुआ है। नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों की तैनाती, खुफिया साझा करना और रणनीति बनाना लगातार हो रहा है। NSG का उपयोग एक रणनीतिक टूल की तरह हो रहा है, जो सिर्फ विशेष परिस्थितियों में इस्तेमाल होता है।
जनमानस और सटीक खुफिया जानकारी है बड़ी चुनौती
उन्होंने यह भी माना कि नक्सल ऑपरेशन में स्थानीय जनमानस, कठिन भूगोल और फील्ड खुफिया सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। कई बार सटीक जानकारी के अभाव में ऑपरेशन लंबा खिंच सकता है या सुरक्षा बलों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में NSG जैसी फोर्स का दखल तभी होता है जब सब कुछ स्पष्ट हो।
NSG तैयार है, लेकिन मौके के हिसाब से
DG श्रीनिवासन का यह बयान इस बात का स्पष्ट संकेत है कि NSG हर समय मोर्चे पर नहीं रहती, लेकिन जब बात आती है 'लास्ट-मिनिट रेस्क्यू' या 'सर्जिकल टास्क' की—तो यह फोर्स अचूक निशाना साबित होती है। NSG आज भी भारत की सबसे भरोसेमंद और सटीक फोर्स बनी हुई है।
क्या आप मानते हैं कि NSG को नक्सल ऑपरेशन में बड़ी भूमिका दी जानी चाहिए? नीचे कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि ज्यादा लोग सुरक्षा बलों की रणनीति को समझ सकें।
NSG commando | NSG operation |