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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अश्लील सामग्री परोसने के मामले में सर्वोच्च अदालत सख्त है। मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुएसुप्रीम कोर्ट ने नौ OTT चैनलों और Social Media प्लेटफार्म्स के साथ केंद्र को भी नोटिस जारी किया है। ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा, "हमने मांग की है कि सोशल मीडिया और ओटीटी पर अश्लील और अभद्र सामग्री पर रोक लगाई जानी चाहिए। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है और सरकार ने कुछ नियमन बनाए हैं।
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#WATCH | Delhi | On Supreme Court issues notice to Centre, OTTs and social media platforms on obscene content, Senior advocate Vishnu Shankar Jain says, "We have demanded that there should be a check and ban on obscene and indecent content floating on social media and OTTs.… pic.twitter.com/itknyM4ESv
— ANI (@ANI) April 28, 2025
“मामले में गंभीर है सर्वोच्च अदालत”
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वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अदालत ने इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लिया है। अदालत ने अश्लील सामग्री परोस रहे नौ ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ ही केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे- बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन है, ऐसे में सोशल मीडिया और ओटीटी चैनलों पर अश्लील सामग्री परोसा जाना बहुत की गंभीर मामला है। छोटे- छोटे बच्चों पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इस पर केंद्र सरकार को सख्त कानून बनाने की जरूरत है। याचिका में विशेष रूप से आग्रह किया गया है कि इस तरह की सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक 'राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण का गठन किया जाए, जो इन डिजिटल माध्यमों पर प्रसारित कंटेंट की निगरानी और नियंत्रण कर सके।
विकृत और अप्राकृतिक यौन प्रवृत्तियां पैदा होती हैं
याचिका में दावा किया गया कि सोशल मीडिया मंचों पर ऐसे ‘पेज’ या ‘प्रोफाइल’ हैं जो बिना किसी ‘फिल्टर’ के अश्लील सामग्री प्रसारित कर रहे हैं और विभिन्न ओटीटी मंच ऐसी सामग्री प्रसारित कर रहे हैं जिसमें बाल ‘पोर्नोग्राफी’ के संभावित तत्व भी होते हैं। इसमें कहा गया है, ऐसी यौन विकृत सामग्री युवाओं बच्चों और यहां तक कि वयस्कों के दिमाग को दूषित करती है। इसके कारण विकृत और अप्राकृतिक यौन प्रवृत्तियां पैदा होती हैं, जिससे अपराध दर में वृद्धि होती है। याचिका में कहा गया है कि यदि अश्लील सामग्री के अनियंत्रित प्रसारण पर अंकुश नहीं लगाया गया तो सामाजिक मूल्यों, मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर परिणाम हो सकते हैं
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