नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: जन्नत कही जाने वाली कश्मीर की वादियां आज खामोश हैं। गुलमर्ग की बर्फ, पहलगाम की हरियाली और डल झील की शांति जैसे खुद किसी गहरे गम में डूबी हैं। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से 22 मई तक यानी पूरे एक महीने बाद भी पहलगाम और आसपास की फिजाओं में एक अजीब सी वीरानी पसरी हुई है - न कहीं बच्चों की हंसी, न सैलानियों की चहल-पहल, बेहद शांत झील में शिकारे की मीठी आवाज...बस सर्द हवाओं में बारूद की बू और दिलों में डर।
पीक सीजन में पसरा सन्नाटा
जिस समय कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री अपनी बुलंदियों को छू रही थी, उस समय यह हमला जैसे हर उम्मीद की गर्दन पर वार बन गया। हमले के ठीक पहले घाटी में हर दिन 10 से 15 हजार पर्यटक पहुंच रहे थे, लेकिन अब यह संख्या बहुत कम हो गई है। घाटी की हवा में अब सिर्फ डर का सन्नाटा है। मई और जून का महीने कश्मीर के लिए पीक सीजन हुआ करता था, लेकिन अब यहां से लोगों का मन छिटक गया है। पर्यटन के भरोसे अपना जीवन जीने वाले लोगों का दिल दुखी है। बात करते हुए उनकी आंखों के आंसू रुक नहीं रहे हैं। होटल, रेस्टोरेंट्स, लॉज, बाजार, घुड़सवारी, हाउसबोट कराने वाले परिवहर बिजनेस पूरी तरह ठप हो गया है। लोगों का कहना था कि इस सीजन में वह इतना कमा लेते थे कि सर्दियों के दिन आसानी से कट जाते थे। लेकिन अब उन्हें यह डर सता रहा है कि अगर ऐसा ही माहौल रहा कि और पर्यटक कश्मीर नहीं आए तो उनका जीवन कैसा चलेगा।
कश्मीर की वादियां हुईं वीरान
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल 26 निर्दोष पर्यटकों की जान ली, बल्कि कश्मीर की पर्यटन उद्योग को भी गहरे संकट में डाल दिया। हमले के बाद से घाटी में सन्नाटा पसरा हुआ है, और पर्यटन से जुड़े व्यवसायों की हालत दयनीय हो गई है। हमले के बाद से कश्मीर के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। होटल, रेस्टोरेंट्स, लॉज, बाजार, घुड़सवारी, हाउसबोट जैसे व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गए हैं। कई व्यवसायियों का कहना है कि इस सीजन में वे इतना कमा लेते थे कि सर्दियों के दिन आसानी से कट जाते थे।
सुरक्षा की स्थिति और प्रशासन की भूमिका
हमले के बाद प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है, लेकिन फिर भी पर्यटकों का विश्वास बहाल नहीं हो पाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा है कि अगर हमले को लेकर पहले से खुफिया जानकारी थी, तो पर्यटकों को इलाके में जाने से क्यों नहीं रोका गया। उन्होंने मोदी सरकार पर सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि बिना पर्याप्त सुरक्षा के पर्यटकों को भेजना गैरजिम्मेदाराना है।
आर्थिक संकट और भविष्य की उम्मीदें
हमले के बाद से कश्मीर के पर्यटन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। कई व्यवसायी अपनी दुकानें, रेस्टोरेंट्स और होटल अस्थायी रूप से बंद करने को मजबूर हो गए हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे, तो उन्हें अपने कर्मचारियों को निकालना पड़ सकता है। हालांकि, राज्य सरकार ने खीर भवानी मेले और अमरनाथ यात्रा के आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन पर्यटन उद्योग के लिए स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। व्यवसायियों का कहना है कि अगर पर्यटकों का विश्वास बहाल नहीं हुआ, तो कश्मीर की पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करना मुश्किल होगा।