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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । छह महीने से भी ज़्यादा बीत चुके हैं, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' की दहशत पाकिस्तान के एयरबेस और सैन्य ठिकानों पर अभी भी कायम है। भारतीय सेना के इस जवाबी हमले से हुई बर्बादी को पाकिस्तान अब तक ठीक नहीं कर पाया है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि रावलपिंडी और जैकोबाबाद जैसे अहम एयरबेस पर मरम्मत का काम धीमी गति से चल रहा है। अगर 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' हुआ, तो क्या होगा 'आतंकिस्तान' का हाल? यंग भारत न्यूज का यह एक्प्लेनर आपको डैमेज असेसमेंट और भविष्य की रणनीति का पूरी रिपोर्ट देगी। तबाही का एक्स-रे क्यों 6 महीने बाद भी घुटनों पर है पाकिस्तान?
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ज़मीन से उठने वाले आतंकी साये को भारत ने जिस 'ऑपरेशन सिंदूर' से जवाब दिया था, उसकी गूंज और असर आज भी महसूस किए जा रहे हैं। यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी यह आतंक को पालने वाले देश के लिए एक ऐसा सबक था जिसने उसकी सामरिक रीढ़ Strategic Backbone को तोड़कर रख दिया था। छह महीने से ज़्यादा का समय बीत जाने के बावजूद, पाकिस्तान अपने उन प्रमुख एयरबेस की मरम्मत नहीं कर पाया है, जिन्हें भारतीय सेना ने निशाना बनाया था।
जीओ-इंटेलिजेंस रिसर्चर और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस OSINT के जाने-माने एक्सपर्ट, डेमियन साइमन की एक्स पोस्ट ने इस बात की पुष्टि की है। उनकी सैटेलाइट तस्वीरों पर आधारित रिसर्च चीख़-चीख़कर बता रही है कि पाकिस्तान की हवाई ताक़त का गढ़ माने जाने वाले कई ठिकाने अभी भी 'क्षतिग्रस्त' Damaged की श्रेणी में हैं। यह स्थिति केवल मरम्मत की धीमी गति को नहीं दर्शाती, बल्कि यह बताती है कि भारत का हमला कितना सटीक और विनाशकारी था। सवाल क्या वाकई ऑपरेशन सिंदूर इतना बड़ा झटका था कि पाकिस्तान उबर नहीं पा रहा? जवाब है : हां।
ऑपरेशन सिंदूर एकतरफा और निर्णायक हमला था जिसने पाकिस्तान के सैन्य ढांचे में एक गहरा घाव छोड़ा है। नूरखान एयरबेस की नई तस्वीरें और मरम्मत का सच।
रावलपिंडी का नूरखान एयरबेस Noor Khan Airbase
Rawalpindi पाकिस्तान के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र है। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस ठिकाने को बड़े पैमाने पर टारगेट किया था। डेमियन साइमन के नवीनतम खुलासे के अनुसार, पाकिस्तान ने इस एयरबेस पर 'नई फेसिलिटी' New Facility बनाने का काम तेज कर दिया है। 'नई फेसिलिटी' का अर्थ है कि डैमेज इतना बड़ा था कि उसे केवल पैच-अप Patch-up नहीं किया जा सकता था, बल्कि पूरे बुनियादी ढांचे को ही बदलना पड़ रहा है। यह पाकिस्तानी वायुसेना PAF के लिए एक बड़ी वित्तीय और ऑपरेशनल चुनौती है।
याद रखें, एयरबेस की क्षति सिर्फ कंक्रीट का नुकसान नहीं होती, यह सेना की ऑपरेशनल क्षमता, विमानों की उड़ान और मरम्मत की सुविधा को सीधे प्रभावित करती है। साइमन के विश्लेषण से यह साफ़ है कि भारत ने सिर्फ इमारतें नहीं गिराईं, बल्कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन की क्षमता को भी ध्वस्त किया।
जैकोबाबाद एयरबेस जहां हैंगर की छत अभी भी खुली है
सिंध प्रांत के उत्तरी भाग में स्थित जैकोबाबाद एयरबेस Jacobabad Airbase भी भारतीय कार्रवाई का प्रमुख निशाना था। यह एयरबेस न केवल पाकिस्तान की वायुसेना के लिए अहम है, बल्कि कई बार यहां विदेशी लड़ाकू विमानों की तैनाती की खबरें भी सामने आई हैं।
OSINT का खुलासा: सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि जैकोबाबाद एयरबेस पर भारतीय हमलों से क्षतिग्रस्त हुए हैंगर की मरम्मत अभी भी चल रही है।
रणनीति में देरी: हैंगर की छत को धीरे-धीरे खाली किया जा रहा है।
साइमन का अनुमान है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा होगा ताकि मरम्मत शुरू करने से पहले अंदरूनी नुकसान का सही आकलन किया जा सके।
महत्वपूर्ण तथ्य: हैंगर की छत को हटाना यह दर्शाता है कि नुकसान केवल बाहरी नहीं था, बल्कि अंदरूनी उपकरण, नियंत्रण प्रणालियां, और विमानों के रखरखाव की सुविधाएं भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं।
छह महीने बाद भी 'अंदरूनी नुकसान का अंदाजा' लगाना, हमले की गंभीरता को स्पष्ट करता है। 'ऑपरेशन सिंदूर' 12 ठिकाने बने थे निशाना, सदमे में आया 'आतंकिस्तान' ऑपरेशन सिंदूर कोई सीमित हमला नहीं था। भारतीय सेना ने एक सुनियोजित, मल्टी-टारगेट रणनीति अपनाई थी।
नूरखान और जैकोबाबाद के अलावा, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दस और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था।
निशाने पर रहे प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेस
01. मुरिद Murid
02. रफीकी Rafiqui
03. मुशफ Mushaf
04. भोलारी Bholari
05. कादरीम Qadriim
06. सियालकोट Sialkot
07. सुक्कुर Sukkur
इन ठिकानों को एक साथ और प्रभावी ढंग से निशाना बनाने का परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान की वायुसेना PAF एक तरह से पंगु हो गई। उनके पास न तो तेज़ी से जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता बची और न ही अपने बेड़े को सुरक्षित करने का पर्याप्त समय।
एक्शन बनाम रिएक्शन: यह जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैन्य ठिकानों और नागरिक इलाकों पर किए गए हमलों के बाद हुई थी, जो बताता है कि भारत ने केवल बदला नहीं लिया, बल्कि पाकिस्तान को भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का कड़ा संदेश भी दिया।
चार दिन का युद्ध और पाकिस्तान की आत्मसमर्पण की अपील
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे चौंकाने वाली बात उसकी अवधि और प्रभाव थी। यह ऑपरेशन 6 से 10 मई के बीच, यानी महज चार दिनों तक चला था। इन चार दिनों ने 'आतंकिस्तान' की कमर तोड़ दी।
अभूतपूर्व दबाव: भारत के निरंतर और सटीक हमलों ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व पर इतना दबाव बनाया कि वह ऑपरेशनल रूप से फेल होने की कगार पर पहुंच गया।
DGMO की अपील: हालत इतनी बुरी हो गई थी कि पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस DGMO को खुद भारतीय DGMO से सीजफायर Cessation of Hostilities की अपील करनी पड़ी।
यह घटना पाकिस्तान के इतिहास में एक कड़वा अध्याय है, जहां उसे भारत के सामने घुटने टेकने पड़े। इस अपील के बाद ही भारत-पाकिस्तान के डीजीएमओ लेवल की बातचीत हुई और ऑपरेशन सिंदूर को 'रोका' गया।
क्या होगा अगर 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' शुरू हुआ?
भारतीय सरकार और सेना ने उस समय स्पष्ट कहा था कि यह ऑपरेशन 'खत्म' नहीं हुआ है, बल्कि सिर्फ 'रोका' गया है। यह बयान अपने आप में एक खुली चेतावनी थी। आज, जब पाकिस्तान छह महीने बाद भी अपने डैमेज एयरबेस की मरम्मत नहीं कर पाया है, तो यह स्पष्ट है कि उसकी सैन्य और आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है अगर भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' शुरू किया, तो पाकिस्तान का क्या हाल होगा?
पाक वायुसेना का पूर्ण पतन: पहले ही क्षतिग्रस्त एयरबेस पर अगर दूसरा हमला होता है, तो पाकिस्तान की वायुसेना का पूरा बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो जाएगा। नूरखान और जैकोबाबाद जैसे प्रमुख केंद्रों के नष्ट होने का मतलब होगा, पाकिस्तान का अपने हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण खो देना।
अर्थव्यवस्था पर घातक वार: क्षतिग्रस्त ठिकानों की मरम्मत में पहले ही अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' का मतलब होगा एक और बड़ा वित्तीय झटका, जिसे पाकिस्तान की कमज़ोर अर्थव्यवस्था झेल नहीं पाएगी। यह उसकी विदेशी मुद्रा भंडार को और तेज़ी से खाली कर देगा।
अंतर्राष्ट्रीय साख का नुकसान: छह महीने बाद भी अपनी ज़मीन को सुरक्षित और ऑपरेशनल न रख पाना अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की सैन्य साख को पूरी तरह ख़त्म कर देगा।
आंतरिक अशांति और सैन्य नेतृत्व पर दबाव: सैन्य ठिकानों पर बार-बार हमले होने पर पाकिस्तान की जनता में सरकार और सैन्य नेतृत्व के प्रति रोष बढ़ेगा। इससे देश के भीतर राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है, जो पहले ही गंभीर स्थिति में है।
'ऑपरेशन सिंदूर 2.0': पाकिस्तान को ऐसी 'बड़ी तबाही' दे सकता है जिससे वह शायद ही कभी उबर पाए। इसलिए, पड़ोसी मुल्क को अपनी आतंकी नीतियों में सुधार करना अत्यावश्यक है।
भारत का अटल संकल्प और पाकिस्तान के लिए चेतावनी
भारत का रुख स्पष्ट है। आतंकवाद और अस्थिरता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल जवाबी कार्रवाई की क्षमता दिखाई, बल्कि यह भी स्थापित किया कि भारत अपनी संप्रभुता Sovereignty और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
पाकिस्तान के लिए यह समय है कि वह OSINT एक्सपर्ट्स के खुलासों को गंभीरता से ले और समझे कि भारत का अगला कदम उसकी बची-खुची सैन्य ताक़त को भी ख़त्म कर सकता है।
मरम्मत की धीमी गति और 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' का ख़तरा: दोनों मिलकर एक ऐसी स्थिति बना रहे हैं जहां पाकिस्तान के पास 'सुधरने' के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
Operation Sindoor | India Pakistan Tension | Air Strike
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