नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। जब भारत ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत निर्णायक कार्रवाई की, तो कुछ विश्लेषकों को चिंता थी कि इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित हो सकती है, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। भारत ने न केवल सैन्य बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ी जीत दर्ज की। भारत की कूटनीति, सटीक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संवाद की वजह से ऑपरेशन सिंदूर न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा कदम साबित हुआ, बल्कि यह भी दर्शाया कि आज का भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा करते हुए वैश्विक समर्थन प्राप्त करने में पूरी तरह सक्षम है।
भारत को मिला वैश्विक समर्थन
- भारत की इस सैन्य कार्रवाई को अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, रूस, इजरायल और कई अरब देशों ने जायज ठहराया। इन देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन देते हुए आतंक के खिलाफ कठोर रुख अपनाने की सराहना की।
- ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने भारत के कदम को सही ठहराया।
- पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बोले, "सीमा पार आतंकवाद को किसी भी देश को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।"
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की संप्रभुता का समर्थन किया।
- रूस और ईरान ने भी आतंकवाद की निंदा करते हुए शांति की अपील की।
- इजरायल ने स्पष्ट कहा, "आतंकियों के लिए कोई पनाह नहीं होनी चाहिए।"
भारत ने हमले में नपे-तुले और टार्गेटेड तरीके से आतंकियों के अड्डों को निशाना बनाया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वैश्विक नेताओं को सूचित किया कि यह ऑपरेशन केवल आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में उठाया गया कदम है, जिससे आम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के अपने समकक्षों से तत्काल बातचीत कर भारत की स्थिति स्पष्ट की और बताया कि यदि पाकिस्तान से फिर कोई हमला होता है, तो भारत उसका मुंहतोड़ जवाब देगा।
पाकिस्तान की विफल प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने दो रातों तक भारत के सैन्य ठिकानों और नागरिक क्षेत्रों पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी प्रयासों को नाकाम कर दिया। इसके साथ ही भारत ने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि वह सिर्फ हमला नहीं करता, बल्कि संयम, कूटनीति और आत्मरक्षा के सिद्धांतों पर चलता है।