कश्मीर, वाईबीएन नेटवर्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक गहरी और सुनियोजित साजिश का नतीजा था। इस वीभत्स हमले में 28 निर्दोष लोग मारे गए उनमें से अधिकतर पर्यटक थे, जो घाटी की खूबसूरती देखने आए थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह यात्रा उनकी आखिरी साबित होगी। आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस नरसंहार की जिम्मेदारी ली है। TRF लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी ग्रुप है, लेकिन असली साजिश रचने वाला कहीं और बैठा है पाकिस्तान के रावलपिंडी में जहां से जनरल असीम मुनीर ने नफरत फैलाने वाला बयान देकरआतंकियों को परोक्ष रूप से उकसाया।
जनरल मुनीर ने उगलाता था जहर
हमले से ठीक तीन दिन पहले पाकिस्तान
आर्मी चीफ असीम मुनीर ने एक सम्मेलन में बयान दिया था कि "हिंदू और मुस्लिम कभी साथ नहीं रह सकते" और कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट और भारतीय खुफिया सूत्रों के मुताबिक यह बयान TRF को हमला करने की प्रेरणा देने वाला साबित हुआ।
धर्म पूछकर मारी गोली
हमले के सबसे डरावने पहलुओं में से एक यह था कि आतंकियों ने पहले पीड़ितों से धर्म पूछा, कुछ को ‘कलमा’ पढ़ने को कहा, और जो नहीं पढ़ सके उन्हें गोली मार दी। कई चश्मदीदों ने बताया कि बच्चों के सामने उनके पिता को और पत्नियों के सामने उनके पतियों को मार गिराया गया।
खुफिया एजेंसियां अलर्ट पर
भारतीय एजेंसियों ने हमले को लेकर TRF के अलावा लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद को मुख्य साजिशकर्ता माना है। इसके अलावा रावलकोट में मौजूद दो और कमांडरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इनमे से एक अबू मूसा नामक आतंकी ने कुछ दिन पहले एक सभा में कहा था कि कश्मीर में जिहाद चलता रहेगा, सिर कलम होते रहेंगे।
हमले से पहले की गई थी रेकी
खुफिया जानकारी के अनुसार हमलावर हमले से कुछ दिन पहले ही घाटी में आ पहुंचे थे और कई होटलों की रेकी की गई थी। अप्रैल के पहले हफ्ते में ही ऐसे इनपुट मिलने शुरू हो गए थे कि आतंकी किसी बड़ी साजिश की तैयारी में हैं। घटनास्थल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं जिनमें चीखें हैं, खून से सने चेहरे हैं और वह डर है जो रूह तक को कंपा देता है। यह हमला केवल जघन्य नहीं था, यह मानवता की हत्या थी।