नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। यह हमला मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार के बाद कश्मीर घाटी में हुआ पहला बड़ा आतंकी हमला है। हमले की जगह को लेकर खास बात यह है कि यह इलाका हाल ही में सेना से जम्मू-कश्मीर पुलिस के नियंत्रण में सौंपा गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार हमला जिस क्षेत्र में हुआ वह अब से कुछ समय पहले तक सेना के सीधे नियंत्रण में था। लेकिन प्रशासनिक फेरबदल के तहत इस क्षेत्र की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस को सौंप दी गई थी। अब ऐसे में यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या सुरक्षा व्यवस्था में यह बदलाव ही इस हमले की वजह बना
सुरक्षा तंत्र पर सवाल
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका और काम पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों का कहना है कि जब एक संवेदनशील क्षेत्र को सेना से हटाकर पुलिस को सौंपा जाता है, तो उससे पहले ठोस सुरक्षा रणनीति बनाना जरूरी होता है। सवाल यह भी है कि क्या राज्य सरकार, पुलिस या फिर केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों ने इस जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया? मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नीतियों को लेकर भी सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
अमरनाथ यात्रा से पहले बढ़ी चिंता
इस हमले का एक और बड़ा प्रभाव अमरनाथ यात्रा पर भी पड़ सकता है जो दो महीने बाद शुरू होने वाली है। अमरनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र और धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आते हैं। आतंकी हमले ने यात्रा मार्ग की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा एजेंसियां अब यात्रा से पहले पूरे इलाके की सुरक्षा समीक्षा करने में जुट गई हैं। इसके साथ यह हादसा ऐसे समय हुआ है जब अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं। ऐसे में इस यात्रा में इस साल लोगों की कम संख्या दिखाई दे सकती है।