बलूचिस्तान में 1971 वाले पाकिस्तान जैसे हाल
बलोच विद्रेही कुछ उसी अंदाज में पाकिस्तान से अलग होने की मुहिम चला रहे हैं जैसे 1971 के पहले के दौर में बंग चला रहे थे। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद ही उनके तेवर तीखे हुए और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के रूप में इसकी परिणिति हुई। तत्कालीन पाकिस्तान सरकार ही नहीं वरन अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने भी भरसक कोशिश की थी कि पाकिस्तान के टुकड़े न होने पाएं। निक्सन ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी को धमकी तक दी अलबत्ता भारत ने अमेरिकी को तवज्जो दिए बगैर ऐसी रणनीति चली जिससे बांग्लादेश बन गया। 1971 की लड़ाई को पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ने वाला माना जाता है। पाकिस्तान को किसी लायक नहीं छोड़ेगा भारत
मौजूदा हाल को देखें तो भारत हर तरह से पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाने पर आमादा है। भारत की सेना पड़ोसी मुल्क के कराची, लाहौर और इस्लामाबाद जैसे शहरों को निशाना बना रही है। भारत के तेवरों से जाहिर है कि वो पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ने पर आमादा है। भारत सरकार की रणनीति को देखकर लगता है कि वो चाहती है कि जब तक इंटरनेशनल प्रेशर बनना चालू हो तब तक पाकिस्तान का वो हाल कर दिया जाए जिससे वो फिर से खड़ा भी न हो सके।
मिसाइल अटैक होते ही बलूच में पाक सैनिकों पर हमला
भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों को पता है कि हालात उनके लिए मुफीद हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में विद्रोह की आग सुलग नहीं रही है बल्कि धू धू करके जल रही है। उसे और तीखा करने भर की जरूरत है। बलोच विद्रोही पाकिस्तान के लिए किस कदर सिरदर्द बन चुके हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इधर भारत की मिसाइलों की गूंज पाकिस्तान में सुनाई दी उधर बलोच विद्रोहियों ने घात लगाकर पाक सेना के 12 सैनिकों को बम से उड़ा दिया। पाकिस्तानी सेना के जवान गश्त पर थे तभी बोलन घाटी में कुड के पास सैनिकों पर हमला किया गया। हमले से पाकिस्तानी सेना भौचक रह गई।
मार्च में हाईजैक कर ली थी जाफर एक्सप्रेस
बलूच विद्रोही किस कदर पाकिस्तानी सेना के लिए सिरदर्द बने हैं इसकी बानगी इसी साल मार्च में तब देखने को मिली थी जब पाकिस्तान की एक्सप्रेस ट्रेन को ही हाईजैक कर लिया गया। शहबाज शरीफ विद्रोहियों की इस हरकत से बुरी तरह से हिल गई थी। पाक सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन फिर भी हालात को सामान्य करने में 36 घंटे का समय लग गया। जाफर एक्सप्रेस में भारी तादाद में पाकिस्तानी सेना के जवान थे। बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने बुजुर्ग, बच्चों और महिलाओं को तो जाने दिया पर बाकियों को वहीं रोककर रखा।
हालांकि ये अभी तक पता नहीं लग सका है कि हाईजैक मामले में कितने विद्रोही मरे और कितने सैनिक। पाकिस्तानी सेना का अपना दावा है और विद्रोहियों का अलग। लेकिन एक बात साफ है कि बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना और सरकार की जद से बाहर जा चुके हैं। उन पर किसी तरह का दबाव का काम नहीं कर रहा। हाईजैक के बाद बस को विस्फोट से उड़ाना इसकी बानगी है।
सिंध और गुलाम कश्मीर के हालात भी बलूचिस्तान जैसे
बलूचिस्तान सरीखा माहौल गुलाम कश्मीर और सिंध प्रांत में भी है। हालांकि मौजूदा समय में ये इलाके पाकिस्तानी सेना के लिए उतना बड़ा सिरदर्द नहीं हैं जितना बलूचिस्तान। लेकिन अगर बलोच लिबरेशन आर्मी सूबे को पाकिस्तानी नियंत्रण से आजाद कर लेती है तो देर सवेर सिंध और गुलाम कश्मीर में आजादी की आवाजें न केवल उठेंगी बल्कि गृह युद्ध की शक्ल ले सकती है।
1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने रख दिए थे हथियार
1971 में भारत पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ना शुरू हुआ तब पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में (मौजूदा बांग्लादेश) आजादी की बयार चल निकली थी। पाकिस्तानी सेना ने उनका दमन करना शुरू किया तो इस हिस्से के लोग पलायन करने लग गए। तकरीबन 1 करोड़ लोग भारत की सीमा के रास्ते घुसपैठ कर गए। इंदिरा गांधी को बहाना मिला और शुरू हो गया आपरेशन चंगेज खान। 13 दिनों के भीतर ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान सरकार को घुटनों पर ला दिया। भारतीय सेना ढाका पर कब्जा कर चुकी थी। पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों शर्मनाक तरीके से आत्मसमर्पण करना पड़ा। एक नया देश बांग्लादेश अस्तित्व में आ चुका था।
परमाणु हथियार तो हैं पर इस्तेमाल कैसे करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार तो हैं पर इस्तेमाल करना उतना आसान नहीं The Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के पास तकरीबन 170-170 परमाणु हथियार हैं। लेकिन उनका इस्तेमाल इतना आसान नहीं है। भारत के पास S-400 एंटी मिसइल सिस्टम है, जो दुश्मन देश की मिसाइलों को 400 किमी दूर से भांपकर नष्ट कर सकता है। भारत ने पाकिस्तान के कराची और लाहौर जैसे शहरों को निशाना बनाया तो पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले की कोशिश की लेकिन उसकी मिसाइलें भारत तक पहुंच ही नहीं पाईं। ऐसे में साफ है कि अगर पाकिस्तान ने परमाणु हथियार से लैस मिसाइलें दागने की कोशिश भी की तो ये उसके लिए ही आत्मघाती कदम बन सकता है। लिहाजा परमाणु युद्ध की हालत नहीं बनती दिख रही।
भारत के परमाणु हथियारों के निशाने पर चीन- SIPRI
The Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के सैन्य सिद्धांत में परमाणु हथियारों की भूमिका अब तब्दील हुई है। ये पहले पाकिस्तान को रोकने पर केंद्रित थी लेकिन फिलहाल इसका फोकस चीन का मुकाबला करने पर है। इसमें लंबी दूरी के हथियारों पर जोर बढ़ रहा है। SIPRI के मुताबिक पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की मारक क्षमता बढ़ा रहा है।
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