Advertisment

Indus Water: पानी की एक बूंद को भी तरसेगा Pakistan, भारत नहीं देता सतलुज और ब्यास का पानी?

भारत और पाकिस्तान में विवाद कोई नई चीज नहीं है। दोनों देश अक्सर कई मामलों में एक-दूसरे के सामने खड़े नजर आते हैं। देशों के बीच मतभेदों की सूची में जीवन की सबसे बुनियादी जरूरत पानी भी शामिल है।

author-image
Manish Tilokani
PAKISTAR WATER CRISIS
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

भारत और पाकिस्तान के बीच पानी का बंटवारा सिंधु जल संधि 1960 के तहत होता है। इस समझौते के अनुसार भारत सतलुज, ब्यास और रावी के पानी पर भारत का पूर्ण नियंत्रण है। ब्यास और सतलुज नदियों का पानी पाकिस्तान को केवल मॉनसून के दौरान भारी बारिश के कारण बढ़ते जल स्तर की स्थिति में छोड़ा जाता है, यह जानकारी सरकार ने लोकसभा में दी।

जल शक्ति मंत्री ने दिया बड़ा बयान 

सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि वो पाकिस्तान को सतलुज और ब्यास नदियों का पानी बहुत कम ही देती है। यह सिर्फ मानसून में और खास मौकों पर ही होता है। केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी। भारत और पाकिस्तान के बीच पानी का बंटवारा 1960 की सिंधु जल संधि के तहत होता है। यह मुद्दा दशकों से विवाद का विषय रहा है। 

सिंधु जल संधि 

सिंधु जल संधि के अनुसार, सतलुज, ब्यास और रावी नदियों पर भारत का नियंत्रण है। वहीं, सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी पाकिस्तान के पास है। सतलुज और ब्यास नदियों का पानी पाकिस्तान को केवल विशेष परिस्थितियों में ही मिलता है। यह खासतौर पर मानसून के दौरान होता है। भारी बारिश के कारण जलाशयों का जलस्तर बढ़ जाता है, तब पानी पाकिस्तान जाता है। सिंधु जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे का कानूनी ढांचा है। इस संधि के तहत, 6 नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया है। तीन नदियां भारत के नियंत्रण में हैं और तीन पाकिस्तान के। इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवादों को सुलझाना था। हालांकि, समय-समय पर इस संधि को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है।

भारत-पाकिस्तान सिंधु जल समझौता

सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर 1960 को पाकिस्तान के कराची में दस्तखत हुए थे। वर्ल्ड बैंक की पहल और दोनों देशों के बीच करीब 9 साल तक चली बातचीत के बाद आखिरकार ये समझौता मूर्त रूप ले पाया। समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य तानाशाह और राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे। समझौते के तहत सिंधु बेसिन में बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से के आधार पर बांटा गया। पूर्वी हिस्से की तीन नदियों के पानी पर भारत को पूरा अधिकार मिला। ये नदिया हैं- रावी, ब्यास और सतलुज। दूसरी तरफ पश्चिमी हिस्से की तीन नदियों सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान के हिस्से आया। लेकिन समझौते के मुताबिक, भारत इन नदियों के भी 20 प्रतिशत पानी को रोकने का अधिकार रखता है।

Advertisment
Advertisment