नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले को अभी 70 घंटे भी नहीं बीते हैं और पाकिस्तान ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर झूठ की एक सुनियोजित मुहिम शुरू कर दी है। पाकिस्तान इस हमले को लेकर झूठी कहानियां गढ़ने और भारत को दोषी ठहराने के लिए सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किसी और ने नहीं, बल्कि पाकिस्तान के ही एक मशहूर और सम्मानित पत्रकार वजाहत सईद खान ने किया है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की चालबाजी का खुलासा
अपने ब्लॉग में वजाहत सईद खान ने विस्तार से बताया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां किस तरह से इस हमले को भारत का "फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन" साबित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कुछ ईमेल और मैसेजेस के स्क्रीनशॉट भी साझा किए हैं, जिनमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां अपने पत्रकारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को झूठे सवालों और फर्जी नैरेटिव्स को फैलाने के लिए निर्देश देती दिख रही हैं।
पाकिस्तानी पत्रकारों को यह सवाल उठाने के लिए कहा गया है
- नेवी ऑफिसर की डेडबॉडी के पास खून क्यों नहीं था?
- अगर 26 लोग मारे गए हैं तो उनकी लाशें कहां हैं?
- भारतीय मीडिया ने हमले की टाइमिंग के तुरंत बाद पाकिस्तान को दोषी क्यों ठहराया?"
- वीवीआईपी का दौरा अचानक रद्द क्यों किया गया?
- भारत सिंधु जल संधि को रद्द करने की योजना पहले से बना रहा था, क्या यह हमला उसी का बहाना है?
पाकिस्तान की झूठी कहानी की पोल खुल गई
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां न केवल अपने पत्रकारों को ईमेल और मैसेज भेज रही हैं, बल्कि फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए भी इस झूठ को वायरल किया जा रहा है। फेसबुक, ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कई फर्जी प्रोफाइल लगातार इसी एजेंडे के तहत पोस्ट कर रही हैं। वजाहत सईद खान द्वारा किए गए इस खुलासे से साफ है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मंचों और डिजिटल मीडिया पर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश में लगा हुआ है। लेकिन इस बार खुद उसके अपने देश का एक वरिष्ठ पत्रकार उसकी पोल खोल चुका है। यह घटना ना केवल पाकिस्तान की कुटिल रणनीति को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वह वैश्विक स्तर पर अपनी छवि सुधारने की बजाय भारत-विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने में लगा हुआ है।