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संसद के बाहर कमांडो तैनात! NSG-NDRF की मौजूदगी ने बढ़ाई हलचल, जानें — पूरा मामला

संसद भवन परिसर में 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले NSG, दिल्ली अग्निशमन सेवा, NDRF और दिल्ली पुलिस ने एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया। यह सुरक्षा अभ्यास किसी भी आपात स्थिति से निपटने और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय मजबूत करने के लिए था।

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Ajit Kumar Pandey
संसद के बाहर कमांडो तैनाती! NSG-NDRF की मौजूदगी ने बढ़ाई हलचल, जानें — पूरा मामला | यंग भारत न्यूज

संसद के बाहर कमांडो तैनाती! NSG-NDRF की मौजूदगी ने बढ़ाई हलचल, जानें — पूरा मामला | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । संसद भवन परिसर में आज एक अघोषित मॉक ड्रिल ने सबकी धड़कनें बढ़ा दीं। 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से ठीक पहले NSG, दिल्ली अग्निशमन सेवा, NDRF और दिल्ली पुलिस के काफिले ने सुरक्षा अभ्यास किया। क्या यह किसी बड़ी चुनौती की तैयारी है या सिर्फ एक नियमित प्रक्रिया?

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आज शनिवार 19 जुलाई 2025 की सुबह दिल्ली की शांति उस वक्त भंग हो गई, जब संसद भवन के आसपास अचानक सुरक्षाबलों की गाड़ियां सायरन बजाती हुई दिखाई दीं। हर तरफ NSG, दिल्ली अग्निशमन सेवा, NDRF और दिल्ली पुलिस के वाहन मौजूद थे। देखते ही देखते पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया। यह नजारा इतना अप्रत्याशित था कि राहगीरों से लेकर आस-पास के दुकानदारों तक, हर कोई हैरत में पड़ गया। कई लोगों के मन में यह सवाल कौंध गया कि क्या कुछ गंभीर हो गया है?

मानसून सत्र से पहले क्यों हुई ऐसी ड्रिल?

दरअसल, यह सब 21 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले एक मॉक ड्रिल का हिस्सा था। संसद भवन, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का हृदय है और इसकी सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता पर होती है। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का पुख्ता तैयारी करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस सुरक्षा अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और उनकी तत्परता को जांचना था।

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सुरक्षा अभ्यास की बारीकियां: क्या-क्या शामिल था?

इस मॉक ड्रिल में कई प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया

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NSG की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने किसी भी आतंकवादी हमले या बंधक संकट जैसी स्थिति से निपटने के लिए अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और उच्च-स्तरीय तकनीकें देखने लायक थीं।

दिल्ली अग्निशमन सेवा: आग लगने या किसी भी तरह के रासायनिक खतरे की स्थिति में अग्निशमन दल ने अपनी तैयारियों को परखा। उनके पास आधुनिक उपकरण थे और उन्होंने तेजी से बचाव कार्यों का अभ्यास किया।

NDRF का सहयोग: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने किसी भी प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदा की स्थिति में बचाव और राहत कार्यों के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।

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दिल्ली पुलिस की मुस्तैदी: दिल्ली पुलिस ने पूरे क्षेत्र में घेराबंदी करने, भीड़ को नियंत्रित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपनी भूमिका का अभ्यास किया।

यह संयुक्त अभ्यास दर्शाता है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए कितनी गंभीरता से तैयारी कर रही हैं।

अतीत के सबक और भविष्य की चुनौतियां

भारत के संसदीय इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं, जब संसद पर हमला करने या उसे अस्थिर करने की कोशिशें हुई हैं। 2001 में हुए संसद हमले ने देश को हिलाकर रख दिया था। उस घटना के बाद से संसद की सुरक्षा को और भी मजबूत किया गया है। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और आतंकवाद के बढ़ते खतरे को देखते हुए, ऐसी सुरक्षा मॉक ड्रिल की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।

यह केवल एक ड्रिल नहीं है, बल्कि यह देश को आश्वस्त करने का एक तरीका भी है कि उसकी संसद सुरक्षित हाथों में है। आगामी मानसून सत्र के दौरान हजारों लोग संसद परिसर में आएंगे, जिनमें सांसद, अधिकारी, मीडियाकर्मी और आगंतुक शामिल होंगे। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम बेहद जरूरी हैं।

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