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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के बीच स्पेशल इंटेसिव रिवीजन SIR ने अचानक भगदड़ मचा दी है। CAA या NRC की चर्चाओं से भी जो घुसपैठिए नहीं डरे थे, वे अब मतदाता सूची के सत्यापन की सामान्य प्रक्रिया शुरू होते ही सीमा पर वापस लौटने की गुहार लगा रहे हैं। कोलकाता के कई इलाके खाली हो रहे हैं, और पिछले एक हफ्ते में 1700 से ज्यादा लोग बांग्लादेश वापस भेजे जा चुके हैं। सवाल है, आखिर SIR में ऐसा क्या है जिसने इन्हें भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया? यंग भारत न्यूज के इस एक्सप्लेनर में वो क्या है जो SIR में है, CAA या NRC में नहीं था?
भारत में अवैध घुसपैठ, खासकर पश्चिम बंगाल और असम के सीमावर्ती राज्यों में, हमेशा से एक संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दा रहा है। जब केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA लागू किया और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर NRC की बात हुई, तो एक बड़ी बहस छिड़ी। इन कदमों का सीधा मकसद देश में अवैध प्रवासियों की पहचान करना था।
हालांकि, तब भी बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी यहां डटे रहे। उनके पास वैध दस्तावेज़ पहले भी नहीं थे, लेकिन उन्हें शायद यह भरोसा था कि कानूनी दांव-पेंच या प्रक्रिया की धीमी गति उन्हें बचा लेगी। लेकिन अब, जब पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR शुरू हुआ है, तो रातों-रात मंज़र बदल गया है।
खाली हो गए 'घुसपैठियों' के ठिकाने
रिपोर्ट्स बताती हैं कि कोलकाता की गुलशन कॉलोनी जैसे क्षेत्र, जो अवैध बांग्लादेशी रिहाइश के लिए जाने जाते थे, अब खाली हो रहे हैं। यह भगदड़ इतनी तेज़ है कि हकीमपुर चेकपोस्ट उत्तर 24 परगना पर वापस जाने वालों की लंबी कतारें लग गई हैं। ये लोग BSF के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं कि उन्हें उनके वतन यानी बांग्लादेश वापस भेज दिया जाए।
एक घुसपैठिए का कबूलनामा
एक समाचार चैनेल से बात करते हुए एक व्यक्ति ने बताया कि वह 2020 से अवैध तरीके से बंगाल में रह रहा था। उसने स्वीकार किया कि उसने भारत में कभी कोई पहचान दस्तावेज़ नहीं बनवाया। वह बिना किसी पहचान के पिछले 5 साल से राज मिस्त्री का काम कर रहा था। अब SIR शुरू होते ही वह वापस जा रहा है। सवाल बिना दस्तावेज़ के 5 साल तक कोई कैसे रह सकता है?
जवाब ये घुसपैठिए अक्सर स्थानीय नेटवर्क और कुछ भ्रष्ट तत्वों की मदद से छिपकर रहते हैं, और छोटे-मोटे दिहाड़ी या निर्माण कार्यों में शामिल होकर अपनी पहचान छिपा लेते हैं। उन्हें लगता है कि जब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे सुरक्षित हैं।
बॉर्डर पर 'वतन वापसी' की रेस
BSF के सूत्रों के मुताबिक, यह भगदड़ सिर्फ़ एक दो लोगों की नहीं है। पिछले एक हफ्ते में साउथ बंगाल फ्रंटियर ने 1720 बांग्लादेशी नागरिकों को उनके वतन वापस भेजा है। यह संख्या इस बात का स्पष्ट संकेत है कि SIR ने कैसी दहशत पैदा की है। BSF की कड़ी प्रक्रिया बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन हकीमपुर चेकपोस्ट पर हर वापसी करने वाले को बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक: उनके आपराधिक रिकॉर्ड की गहन जांच की जाती है।
बंगाल पुलिस की मंजूरी: स्थानीय पश्चिम बंगाल पुलिस अधिकारियों की अनुमति के बाद ही उन्हें बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश BGB को सौंपा जाता है। यह लंबी प्रक्रिया है, जिसके चलते लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ रहा है।
इतनी परेशानी उठाने के बावजूद, वे भागने को मजबूर क्यों हैं? SIR से क्यों लगी सबसे बड़ी चोट?
घुसपैठियों ने अपना डर स्पष्ट करते हुए बताया, जो 2009 से राज मिस्त्री का काम कर रहा था, उसने कहा कि "सरकार की तरफ से कह दिया गया है कि ये लोग नहीं चाहिए।" यह सिर्फ एक डर नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया का असर है।
SIR का सीधा मतलब है स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन। यह कोई CAA या NRC जैसा नया कानून नहीं है, बल्कि मतदाता सूची Voter List का व्यापक सत्यापन और संशोधन है।
SIR क्या और कैसे कर रहा है? उद्देश्य यह सुनिश्चित करना कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे ना, और कोई भी अपात्र व्यक्ति जिसमें अवैध घुसपैठिए शामिल हैं वोटर लिस्ट में शामिल न हो पाएं।
क्रियान्वयन: बूथ स्तर के अधिकारी BLO घर-घर जाकर मतदाताओं को फॉर्म बांट रहे हैं और उनके दस्तावेजों को सत्यापित कर रहे हैं।
समय सीमा: यह प्रक्रिया 4 नवंबर, 2025 को शुरू हुई और 4 दिसंबर, 2025 तक चलेगी।
पकड़े जाने पर देश निकाला तुरंत हो सकता है। SIR के तहत, जब BLO अधिकारी घर-घर जाकर वोटर लिस्ट में नाम होने के बावजूद लोगों के पहचान पत्रों, निवास प्रमाण पत्रों और नागरिकता संबंधी दस्तावेज़ों की जांच करते हैं, तो अवैध घुसपैठियों के पास छिपने की कोई जगह नहीं बचती। उनके फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों का भेद खुलने का डर उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर रहा है।
एक और घुसपैठिए ने बताया कि वह अपने मामा के साथ 2009 में बंगाल आया था, बिना किसी वैध एंट्री के। 16 साल रहने के बावजूद, अब पकड़े जाने का डर इतना बड़ा है कि वह रुक नहीं सकता।
CAA और NRC बड़े राजनीतिक और कानूनी कदम थे, जिनकी प्रक्रिया पर घुसपैठिए भरोसा कर रहे थे। लेकिन SIR एक सीधा, जमीनी स्तर का प्रशासनिक सत्यापन है, जिसने उनकी अवैध पहचान और पते पर सीधा प्रहार किया है। अब उन्हें एहसास हुआ है कि उनके पास छिपने या बचने का कोई रास्ता नहीं है, इसलिए वे अपनी पहचान खुलने से पहले ही भाग रहे हैं।
SIR सिर्फ़ मतदाता सूची के सत्यापन की प्रक्रिया है, न कि CAA/NRC की तरह नागरिकता तय करने का कानून। घुसपैठिए इस प्रक्रिया से डर रहे हैं क्योंकि BLO की घर-घर जांच में उनकी अवैध पहचान उजागर हो सकती है। यह प्रक्रिया 4 दिसंबर, 2025 तक चलेगी, और इसके बाद अंतिम वोटर लिस्ट जारी होगी।
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