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SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL, राहुल गांधी के आरोपों का किया जिक्र

याचिका एक वकील रोहित पांडेय ने दायर की है। उन्होंने 7 अगस्त को राहुल गांधी की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने महादेवपुरा की मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया था।

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Shailendra Gautam
राहुल गांधी को EC का आखिरी मौका, माफी मांगेंगे या फिर... | यंग भारत न्यूज

राहुल गांधी को EC का आखिरी मौका, माफी मांगेंगे या फिर... | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः SIR को लेकर उठा विवाद फिर से सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है। हालांकि शीर्ष अदालत अपने हाल ही के एक फैसले में SIR कराने के लिए चुनाव आयोग को हरी झंडी दे चुकी है। कुछ मसलों पर आयोग को कड़े निर्देश भी दिए गए हैं। लेकिन 
एडवोकेट राहुल पांडेय को लगता है कि ये कदम नाकाफी हैं। जो सवाल उठे हैं उनकी जांच तो सुप्रीम कोर्ट ने कराई ही नहीं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बेंगलुरु सेंट्रल और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों की एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई है।

याचिका में मतदाता सूची की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की भी मांग की गई है। कहा गया है कि डुप्लिकेट या फर्जी एंट्रीज का पता लगाकर उनकी रोकथाम की जाए। चुनाव आयोग को मतदाता सूची को सुलभ, पठनीय और ओसीआर-अनुरूप प्रारूपों में प्रकाशित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है जिससे सार्थक सत्यापन, ऑडिट और सार्वजनिक जांच संभव हो सके।

एडवोकेट राहुल पांडेय ने दायर की है याचिका

यह याचिका एक वकील रोहित पांडेय ने दायर की है। उन्होंने 7 अगस्त को राहुल गांधी की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया था। इसमें कहा गया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें खुलासा किया था कि महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में वास्तविक मतदाताओं के नामों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और फर्जी एंट्रीज की गई हैं। याचिकाकर्ता चिंतित है, क्योंकि अगर ऐसी बातें सच हैं तो वो संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के "एक व्यक्ति, एक वोट" सिद्धांत पर चोट करती हैं।

कोर्ट से अपील- कोई पूर्व जज करे जांच

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याचिकाकर्ता के अनुसार सरकारी आंकड़ों के माध्यम से इन रिपोर्टों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद याचिकाकर्ता को पता चला है कि ये आरोप वैध मतों की कीमत को कम करने और उनको तहस नहस करने का एक व्यवस्थित प्रयास है। इनमें सर्वोच्च न्यायालय को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। मतदाता सूची को लेकर उठे ये आरोप स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संवैधानिक दृष्टिकोण को सीधे तौर पर कमजोर करते हैं। एक पूर्व जज की अध्यक्षता वाली विशेष जांच दल (एसआईटी) से अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है।

महादेवपुरा के साथ महाराष्ट्र के चंद्रपुर का भी जिक्र

जनहित याचिका में कथित अनियमितताओं के उदाहरण भी शामिल हैं, जिनमें कर्नाटक में लगभग 40 हजार से 50 हजार मतदाताओं के एक जैसे पते और पिता के नाम रजिस्टर हैं। महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक ही पते पर लगभग 80 मतदाताओं के पंजीकरण का जिक्र भी इसमें हैं। वकील का कहना है कि यहां किसी एक चुनावी मुकाबले के नतीजे नहीं बल्कि मतदाता सूची की सटीकता पर सवाल उठाया गया है, जिस पर पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया टिकी है। कोर्ट से मांग की गई है कि ऑडिट होने तक मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए। 

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