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Happy Birthday @75: बधाइयों को तांता, पीएम मोदी के बचपन की घटना से प्रेरित फिल्म सभी विद्यालयों में दिखाई जाएगी

पीएम मोदी के 75 वें जन्मदिन परदेशभर में जश्न मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सहित मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के अलावा वैश्विक नेताओं की बधाइयां मिल रही हैं। जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित करके पीएम मोदी की दीर्घायु की कामनाएं की जा रही हैं।

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Mukesh Pandit
Pm Modi

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 वें जन्मदिन परदेशभर में जश्न मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सहित मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के अलावा वैश्विक नेताओं की बधाइयां मिल रही हैं। जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित करके पीएम मोदी की दीर्घायु की कामनाएं की जा रही हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए उन्हें शुभकामनाएं दी जा रही हैं तो हवन-यज्ञ के जरिए लंबी आयु की प्रार्थनाएं का जा रही हैं। इस बीच, 17 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच विद्यालयों में मोदी के बचपन से प्रेरित फिल्म दिखाई जाएगी। 

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति ने दी बधाई

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति पीसी राधाकृष्णन, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट करके उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा140 करोड़ भारतीयों की आशाओं-आकांक्षाओं के संवाहक, वैश्विक मंच पर 'नए भारत' को अग्रिम पंक्ति में प्रतिष्ठित करने वाले, विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता, हम सभी के मार्गदर्शक, 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की संकल्पना को साकार करने वाले यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं

फिल्म ‘चलो जीते हैं’ 17 सितंबर से सभी विद्यालयों में दिखाई जाएगी

न्यूज एजेंसी पीटीआइ की एक खबर के अनुसार, स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों पर आधारित और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बचपन की एक घटना से प्रेरित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म देशभर के लाखों विद्यालयों और कई सिनेमाघरों में दिखाई जाएगी। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, 2018 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘चलो जीते हैं’ 17 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच विद्यालयों में दिखाई जाएगी। यहां छात्र इसे समाज के "गुमनाम नायकों" — जैसे चौकीदार, सफाईकर्मी, ड्राइवर, चपरासी और अन्य लोगों के साथ देखेंगे, जो समाज के दैनिक जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने में चुपचाप योगदान देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को 75 वर्ष के हो गए, और इस फिल्म की स्क्रीनिंग उनके जन्मदिन के साथ शुरू हो रही है। 

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सभी सिनेमाघरों में रिलीज होगी

फिल्म ‘चलो जीते हैं’, स्वामी विवेकानंद के दर्शन ‘बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं’ को एक सिनेमाई श्रद्धांजलि है। इसे 17 सितंबर से दो अक्टूबर तक पूरे भारत में पुनः रिलीज किया जा रहा है। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित यह फिल्म लाखों विद्यालयों और देश भर के लगभग 500 सिनेमाघरों में दिखाई जाएगी, जिनमें पीवीआर आइनॉक्स, सिनेपोलिस, राजहंस और मिराज शामिल हैं। यह फिल्म 2018 की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लघु फिल्मों में से एक है। फिल्म का निर्देशन मंगेश हदावले ने किया था और इसे आनंद एल. राय और जैन ने प्रस्तुत किया था। इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विद्यालयों में फिल्म की प्रस्तुति है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि फिल्म का संदेश छात्रों तक पहुंचे और उन्हें उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करे। 

पीएम की सफर :रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान

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नरेंद्र मोदी का जन्म वडनगर में हीराबाई और दामोदरदास मोदी के घर हुआ था। उनके पिता दामोदरदास शहर के पास स्टेशन पर एक चाय की दुकान लगाकर अपना जीवन-यापन करते थे। मोदी स्कूल के बाद चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद करते थे। वे रेल यात्रियों को चाय परोसते थे।

1967 में उन्होंने घर छोड़कर हिमालय, ऋषिकेश, रामकृष्ण मिशन सहित पूरे भारत की यात्रा की।
1972 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हुए और इस दौरान अपना पूरा जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया।
1975 में नरेंद्र मोदी को आरएसएस द्वारा 'गुजरात लोक संघर्ष समिति' का महासचिव नियुक्त किया गया. इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए मोदी को अंडरग्राउंड होना पड़ा. वे सरकार विरोधी पर्चे छापने में शामिल थे। 
1978 में नरेंद्र मोदी को संघ में और जिम्मेदारी मिली। वह 'विभाग प्रचारक' बने और उन्हें वडोदरा में काम करने को कहा गया।
1979 में वे दिल्ली में आरएसएस के लिए काम करने गए, जहां उन्हें इमरजेंसी के इतिहास पर आरएसएस के एडिशन पर रिसर्च और राइटिंग का काम सौंपा गया।
1980 में वह आरएसएस के 'संभाग प्रचारक' बने और उन्हें दक्षिण गुजरात और सूरत का अतिरिक्त क्षेत्र दिया गया।
1985 में आरएसएस ने मोदी को भाजपा में शामिल किया. बाद में 1987 में मोदी ने अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा के अभियान को संगठित करने में मदद की और पार्टी ने वह चुनाव जीत लिया।

कुशल रणनीतिकार के रूप में पहचान

1988 और 1995 के बीच नरेंद्र मोदी को एक कुशल रणनीतिकार के रूप में पहचाना गया, जिन्होंने गुजरात भाजपा को राज्य की सत्ताधारी पार्टी बनाने के लिए आवश्यक आधार तैयार किया था।
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का चुनौतीपूर्ण कार्य पूरी ईमानदारी से किया।
इससे पार्टी को राजनीतिक लाभ मिलना शुरू हुआ और अप्रैल 1990 में केंद्र में एक गठबंधन सरकार बनी. हालांकि, यह साझेदारी कुछ ही महीनों में टूट गई, लेकिन 1995 में भाजपा गुजरात में दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आई. तब से भाजपा गुजरात पर शासन कर रही है।
1987 में उन्होंने विभिन्न नगर निकायों के चुनावों के लिए संगठन कार्य में सक्रिय भूमिका निभाई और भाजपा ने अहमदाबाद नगर निगम चुनाव जीता।
1987 में ही उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ न्याय यात्रा में भाग लिया। इस दौरान गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने हेतु न्याय यात्रा की और 1989 के लोकसभा चुनावों के लिए काम शुरू किया।
1990 में भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनावों में 67 सीटें जीतीं और चिमनभाई पटेल की सरकार में शामिल हुई।
1990 में ही मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी की 1990 की राम रथ यात्रा और 1991-92 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के आयोजन में मदद की।
1995 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया और भारत के पांच प्रमुख राज्यों का प्रभार सौंपा गया. एक युवा नेता के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी। इस बीच भाजपा ने 1995 में गुजरात विधानसभा चुनावों में 121 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. इसके बाद वह राष्ट्रीय सचिव के रूप में दिल्ली पहुंचे और उन्हें विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों का प्रभार दिया गया।
1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) के पद पर पदोन्नत किया गया और इस पद पर वे अक्टूबर 2001 तक रहे. इस दौरान 1999 लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने संसदीय चुनावों में लगातार दूसरी जीत हासिल की।  PM Modi 75th birthday | modi | 11 years of pm modi | bjp modi 

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