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प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक Dr. MR Srinivasan का 95 साल की उम्र में निधन, PM Modi ने जताया दुख

परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन का मंगलवार को तमिलनाडु के उधगमंडलम में निधन हो गया। उन्होंने 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। 

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Jyoti Yadav
PM Modi expressed grief over the demise of renowned nuclear scientist Dr. MR Srinivasan
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नई दिल्ली, आईएएनएस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गज और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन के निधन पर दुख जताया। पीएम मोदी ने कहा कि एमआर श्रीनिवासन का वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने और कई युवा वैज्ञानिकों को मार्गदर्शन देने के लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा। परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन का मंगलवार को तमिलनाडु के उधगमंडलम में निधन हो गया। उन्होंने 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। 

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डॉ. श्रीनिवासन ने परमाणु ऊर्जा विभाग से की थी शुरूआत

भारत के सिविल न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम के प्रमुख वास्तुकार, डॉ. श्रीनिवासन ने परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) में करियर सितंबर 1955 से शुरू किया, जो पांच दशकों से भी ज्यादा चला। उन्होंने डॉ. होमी भाभा के साथ मिलकर भारत के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर अप्सरा के निर्माण में काम किया, जो अगस्त 1956 में शुरू हुआ था। 1959 में उन्हें देश के पहले परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिए प्रधान परियोजना इंजीनियर नियुक्त किया गया। 1967 में, उन्होंने मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन के मुख्य परियोजना इंजीनियर के रूप में जिम्मेदारी संभाली, जिसने भारत की आत्मनिर्भर परमाणु ऊर्जा क्षमताओं की नींव रखी।1974 में वे डीएई के पावर प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग डिवीजन के निदेशक बने और एक दशक बाद न्यूक्लियर पावर बोर्ड के अध्यक्ष का पद संभाला।उनके नेतृत्व में देश ने अपने परमाणु बुनियादी ढांचे में तेजी से विकास देखा, जिसमें श्रीनिवासन ने भारत भर में प्रमुख बिजली संयंत्रों की योजना, निर्माण और कमीशनिंग की देखरेख की।

परमाणु ऊर्जा विभाग का सचिव नियुक्त बने डॉ. श्रीनिवासन

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1987 में उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। उसी साल वे न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के संस्थापक अध्यक्ष भी बने। उनके कार्यकाल में उल्लेखनीय विस्तार हुआ और उनके मार्गदर्शन में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयां विकसित की गईं, जिनमें सात चालू हो गई थीं और सात निर्माणाधीन थीं। इसके अलावा, चार योजना चरण में थीं। परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए डॉ. श्रीनिवासन को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनकी बेटी शारदा श्रीनिवासन ने परिवार की ओर से जारी एक बयान में कहा, "दूरदर्शी नेतृत्व, तकनीकी प्रतिभा और राष्ट्र के प्रति अथक सेवा की उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।" डॉ. श्रीनिवासन की मृत्यु भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी इतिहास में एक युग का अंत है। वे अपने पीछे एक ऐसी स्थायी विरासत छोड़ गए हैं, जिसने देश की प्रगति और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद की।

पीएम मोदी ने जताया दुख

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दिग्गज डॉ. एमआर श्रीनिवासन के निधन से बहुत दुख हुआ। महत्वपूर्ण परमाणु अवसंरचना के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका ऊर्जा क्षेत्र में हमारे आत्मनिर्भर होने का आधार रही है।"उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, "उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग के उनके प्रेरक नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने और कई युवा वैज्ञानिकों को मार्गदर्शन देने के लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं। ओम शांति।"

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राजनाथ सिंह ने निधन पर दुख जताया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले श्रीनिवासन के निधन पर दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अग्रणी परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन के निधन से बहुत दुख हुआ। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उनके दूरदर्शी नेतृत्व और अप्रतिम योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।"

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ. एमआर श्रीनिवासन के निधन पर दुख जाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, ''भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले महान वैज्ञानिक डॉ. एमआर श्रीनिवासन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनके नेतृत्व में भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां प्राप्त की, वे देश की वैज्ञानिक प्रगति की आधारशिला बनीं। दूरदर्शी विचारक और वैज्ञानिक के रूप में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिवारजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।''

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