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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः जस्टिस यशवंत वर्मा का हटना तकरीबन तय है, क्योंकि सारे सियासी दल उनके खिलाफ एकजुट हो गए हैं। खास बात है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर एक दूसरे से गुत्थमगुत्था होने वाले नेता जस्टिस वर्मा के मुद्दे पर एकराय हैं। उनके खिलाफ जो प्रस्ताव लोकसभा के साथ राज्यसभा में पेश किया गया है उसमें सरकार के साथ विपक्ष के नेता भी शामिल हैं।
संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव हुआ पेश
एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए जो प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया उस पर 152 सांसदों के दस्तखत हैं। इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ केसी वेणुगोपाल, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर, राजीव प्रताप रूढ़ी, सुप्रिया सुले, पीपी चौधरी के नाम भी शामिल हैं। खास बात है कि संविधान के आर्टिकल 124, 217, और 218 के तहत दिए गए प्रस्ताव को क्षेत्रीय दलों का भी समर्थन है।
धनखड़ बोले- प्रस्ताव की जांच का आदेश दिया गया
खास बात है कि संसद के अपर हाउस यानि राज्यसभा में भी जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने को लेकर प्रस्ताव पेश हुआ है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके पास ऐसा प्रस्ताव आया है। उस पर 50 से ज्यादा सांसदों के दस्तखत हैं। उन्होंने प्रशासनिक तंत्र को कहा है कि वो दस्तावेज की जांच करके उन्हें रिपोर्ट करे। संविधान ने पहले से ही व्यवस्था कर रखी है कि अगर किसी जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चलाना है तो लोकसभा में इसके लिए 100 सांसदों की तरफ से साइन किए हुए प्रस्ताव की जरूरत होगी जबकि राज्यसभा के लिए आंकड़ा 50 सांसदों का है।
इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट के दर पर भी पहुंचे हैं यशवंत वर्मा
हालांकि जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में भी केस दायर किया है। उनका कहना है कि उनके खिलाफ जो इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी उसका कोई संवैधानिक औचित्य नहीं है। संविधान ने जजों को हटाने के लिए संसद में महाभियोग चलाने की रास्ता तैयार कर रखा है। जस्टिस वर्मा का नाम तब सुर्खियों में आया जब उनके घर से जले हुए नोटों का जखीरा मिला था। उसके बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी बनाई थी। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस वर्मा करप्ट हैं। उनको न्यायपालिका से बाहर किया जाना चाहिए।
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