नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
Congress | supreme court | waqf : संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 अब कानूनी और राजनीतिक विवादों के घेरे में है। विपक्षी दलों ने इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है, जिससे देश में एक नया राजनीतिक-कानूनी संघर्ष शुरू हो गया है।
संसदीय प्रक्रिया पूरी, अब न्यायिक चुनौती का दौर
वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित किया गया था। लोकसभा में 12 घंटे और राज्यसभा में 13 घंटे तक चली चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी मिली। हालांकि, विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को प्रभावित करता है।
DMK और कांग्रेस की सुप्रीम कोर्ट यात्रा
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनकी पार्टी DMK इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। स्टालिन ने इसे "संविधान की संरचना पर हमला" बताया था। अब कांग्रेस ने भी इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि पार्टी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा, "हम संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और सरकार के हर असंवैधानिक कदम का विरोध करेंगे।"
कानूनी इतिहास: कांग्रेस की पिछली चुनौतियां
कांग्रेस ने पहले भी कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिनमें शामिल हैं...
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019
- आरटीआई अधिनियम में 2019 के संशोधन
- चुनाव संचालन नियम (2024) में बदलाव
- पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से जुड़े मामले
इन सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है, जो दर्शाता है कि कांग्रेस कानूनी रास्ते से सरकार के फैसलों को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आगे की रणनीति
वक्फ विधेयक पर विपक्ष का रुख स्पष्ट है। DMK और कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने बिना पर्याप्त चर्चा के विधेयक को पारित करवाया, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि यह संशोधन प्रशासनिक सुधारों के लिए जरूरी था।
अब नजर सुप्रीम कोर्ट पर है, जहां इस विधेयक की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई होगी। यदि कोर्ट इस पर रोक लगाता है, तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका होगा।