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संसद के सामने INDIA Bloc MPs का विरोध प्रदर्शन, जानें क्या हैं विपक्ष के दावे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज शुक्रवार 8 अगस्त 2025 को भी INDIA Bloc MPs चुनाव आयोग के खिलाफ संसद परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बिहार में "Special Intensive Revision of Electoral Rolls" के नाम पर लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। उनका दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है और इसका सीधा मकसद राजनीतिक लाभ लेना है।
आज एक बार फिर संसद परिसर में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब INDIA Bloc के कई सांसद, हाथों में तख्तियां लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते नजर आए। उनका विरोध किसी सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि सीधे तौर पर देश की सबसे प्रतिष्ठित और निष्पक्ष संस्था 'चुनाव आयोग' के खिलाफ था। इस विरोध का केंद्र था बिहार, जहां विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदाताओं की सूची में बड़े पैमाने पर हेर-फेर की जा रही है।
बिहार में चुनावी रोल रिवीजन: क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बिहार में इन दिनों चुनाव आयोग द्वारा "Special Intensive Revision of Electoral Rolls" यानी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम चल रहा है। इस प्रक्रिया का मकसद सूची में से मृत, स्थानांतरित या एक से अधिक बार दर्ज नामों को हटाना और नए मतदाताओं को जोड़ना है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन INDIA Bloc के सांसदों का दावा है कि इस बार यह काम पारदर्शिता के साथ नहीं हो रहा है।
सांसदों का आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर, लाखों वोटरों के नाम मनमाने तरीके से काटे जा रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में उन लोगों के नाम भी हटाए जा रहे हैं जो सालों से उसी पते पर रह रहे हैं और जिनके पास सभी वैध दस्तावेज हैं। इस तरह के गंभीर आरोप सीधे तौर पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।
#WATCH | Delhi | INDIA bloc MPs protest in Parliament premises against Special Intensive Revision of electoral rolls in Bihar pic.twitter.com/wXTNAI8Udv
— ANI (@ANI) August 8, 2025
विपक्ष का दावा: 'राजनीतिक लाभ के लिए हो रहा है सब'
विरोध प्रदर्शन के दौरान, विपक्षी सांसदों ने कई गंभीर आरोप लगाए। उनका मानना है कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आगामी चुनावों में सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाना है।
नियमों का उल्लंघन: सांसदों ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से नाम हटाने से पहले निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है।
मनमानी कार्रवाई: उनका दावा है कि चुनाव आयोग के अधिकारी बिना किसी उचित जांच के, सिर्फ मौखिक आदेशों पर नाम हटा रहे हैं।
कमजोर वर्गों को निशाना: कुछ सांसदों ने यह भी आरोप लगाया कि कमजोर और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है। विपक्षी दल इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग ने अभी तक इन आरोपों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में क्या मोड़ लेता है। क्या विपक्षी दल सिर्फ विरोध प्रदर्शन तक सीमित रहेंगे या वे इस मामले को लेकर और भी बड़े कदम उठाएंगे?
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