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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरएसएस और माकपा की तुलना करके इंडिया ब्लाक में खलबली मचा दी है। शनिवार को गठबंधन की वर्चुअल बैठक के दौरान वामपंथी नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया। केरल में एक कार्यक्रम में की गई राहुल गांधी की टिप्पणी को वामपंथी दलों के नेताओं ने अनुचित और विभाजनकारी करार दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के बयान जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को गलत संदेश दे सकते हैं।
कोट्टायम में राहुल गांधी ने की थी माकपा, rss की आलोचना
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोट्टायम में कहा कि वह वैचारिक रूप से आरएसएस और माकपा दोनों से लड़ते हैं। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने कहा कि मैं विचारों को लेकर उनसे लड़ता हूं। मेरी सबसे बड़ी शिकायत यह है कि उनके मन में जनता के लिए कोई भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आप राजनीति में हैं तो लोगों की सोच को समझें, उनकी बात सुनें और उन्हें छूएं। आज भारतीय राजनीति की असली त्रासदी यह है कि बहुत कम लोग ही वो महसूस कर पा रहे हैं जो दूसरे महसूस कर रहे हैं।
डी राजा ने इंडिया की ऑनलाइन बैठक में उठाया मुद्दा
एक रिपोर्ट के अनुसार भाकपा नेता डी राजा ने इंडिया ब्लॉक की ऑनलाइन बैठक के दौरान राहुल गांधी का नाम लिए बिना यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वामपंथियों की तुलना आरएसएस से करने वाली ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए क्योंकि ये कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा करती हैं। ये गठबंधन की एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। वहां मौजूद एक अन्य नेता ने कहा कि जब इंडिया ब्लॉक ने अपनी यात्रा शुरू की थी, तब आम नारा था 'देश बचाओ, भाजपा हटाओ'। किसी को भी ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जिससे ब्लॉक के भीतर तनातनी बढ़े।
बेबी बोले- 2004 में हमारे बिना नहीं बन सकती थी मनमोहन सरकार
माकपा महासचिव एमए बेबी ने राहुल गांधी की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना कर उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इंडिया ब्लॉक बैठक से एक दिन पहले शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट किए गए एक तीखे वीडियो संदेश में बेबी ने कहा कि यह सही समझ के अभाव को दर्शाता है। उन्होंने राहुल को याद दिलाया कि 2004 में कांग्रेस की सरकार वामपंथियों के समर्थन के बिना नहीं बन सकती थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को बस यह याद रखने की ज़रूरत है कि कैसे मनमोहन सिंह 2004 में माकपा और अन्य वामपंथी दलों के समर्थन के बिना सरकार नहीं बना सकते थे। 2004 के चुनाव के बाद कांग्रेस को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला था। राहुल गांधी के राजनीतिक रिकॉर्ड पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने वायनाड का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्हें आरएसएस या भाजपा से नहीं बल्कि एक भाकपा उम्मीदवार से लड़ना पड़ा। मुझे उम्मीद है कि वह माकपा के खिलाफ बोलते समय गंभीर होंगे।
वायनाड से राहुल और प्रियंका ने हासिल की थी जीत
राहुल गांधी ने वायनाड में भाकपा उम्मीदवार एनी राजा के खिलाफ चुनाव लड़ा था और बाद में रायबरेली से जीतने के बाद यह सीट छोड़ दी थी। फिर उपचुनाव में उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस और माकपा दोनों ही इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं। यह 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए गठित विपक्षी दलों का एक गठबंधन है। हालांकि, केरल में माकपा के नेतृत्व वाला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हैं। इनके तनाव के बीच भाजपा राज्य में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
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