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लंदन से पढ़ाई के बाद पंचायत चुनाव और फिर सांसदी, खास है इकरा हसन की कहानी

राजनीति का पहला फलसफा इकरा के लिए खासा मुफीद नहीं रहा। वो 2016 में पंचायत का चुनाव लड़ी थीं। भाई-बहन की जीतोड़ कोशिशों के बावजूद भी जीत नहीं मिल पाई। उनको 5हजार वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी।

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Shailendra Gautam
Akhilesh Yadav, Iqra Hasan

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नाम पिछले कुछ अरसे से सुर्खियों में है। कैराना की सांसद इकरा हसन। हाल के दिनों में ये नाम कुछ ज्यादा ही चर्चित रहा है। इसकी दो वजह हैं। एक तो इकरा के साथ एडीएम की बदतमीजी और फिर करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेंद्र राणा की तरफ से उनसे निकाह की एकतरफा पेशकश। वैसे इकरा सुर्खियों में तभी आना शुरू हो गई थीं जब उनके भाई जेल में थे और वो उनके चुनाव को मैनेज कर रही थीं। तभी से वो मीडिया का पसंदीदा चेहरा बन गईं।

दादा के साथ पिता, मां सांसद तो भाई तीन बार के विधायक

वैसे राजनीति इकरा के खून में है। वो एक मजबूत राजनीतिक विरासत से आती हैं। उनके दादा अख्तर हसन सांसद रहे थे। पिता मुनव्वर हसन के साथ उनकी मां तबस्सुम हसन भी लोकसभा तक पहुंचीं। भाई नाहिद हसन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अलग ही तरह का दबदबा रहा है। वो तीन बार विधायक बन चुके हैं। अपना आखिरी चुनाव वो बहन इकरा की वजह से ही जीत सके थे। उस दौरान वो जेल में थे और इकरा ने सड़क पर पसीना बहाकर अपने भाई को यूपी विधानसभा का सदस्य बनाया। 

2016 में 5 हजार वोटों से हार गई थीं पंचायत का चुनाव

हालांकि राजनीति का पहला फलसफा इकरा के लिए खासा मुफीद नहीं रहा। वो 2016 में पंचायत का चुनाव लड़ी थीं। भाई-बहन की जीतोड़ कोशिशों के बावजूद भी जीत नहीं मिल पाई। उनको 5हजार वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी। वैसे इकरा जब राजनीति में आईं तो एक नए तरह की रवायत शुरू हुई थी। मुस्लिम समाज में लड़कियों की पढ़ाई लिखाई तो दूर की बात है उनका बेपर्दा रहना भी ठीक नहीं माना जाता। लेकिन इकरा ने तमाम दकियानूसी विचारों को खारिज करके अपनी अलग जगह बनाई। 

डीयू से ग्रेजुएशन तो लंदन से हासिल की मास्टर्स की डिग्री

राजनीति में उनकी रुचि बचपन से थी। दादा के साथ माता पिता को वो सियासी मैदान में पैंतरे आजमाते देख चुकी थीं। उनके मन में कहीं न कहीं राजनीति में आने की ख्वाहिश थी। यही वजह रही कि सेंट मेरी स्कूल से पढ़ाई के बाद वो दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज जा पहुंचीं। यहां उन्होंने छात्र राजनीति के गुर सीखे। लेकिन जो देखा वो मुकम्मल नहीं था। इसी वजह से वो लंदन चली गईं। SOAS यूनिवर्सिटी से उन्होंने इंटरनेशनल पालीटिक्स के साथ कानून में एमएससी की। इस दौरान उनको दुनिया की राजनीति सीखने का मौका बखूबी मिला। वो भारत लौटकर आईं तो उन्होंने सियासी मैदान में दो-दो हाथ करने की ठानी। लेकिन सियासी डगर उतनी आसान नहीं थी जितना वो समझ रही थीं। दिन रात पसीना बहाने के बाद भी वो पंचायत चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सकीं। हालांकि इससे उनको एक बेशकीमती सीख मिली। वो सीख जिसे उन्होंने भाई के चुनाव में आजमाया।

भाई के जेल प्रवास के दौरान दिखाई प्रतिभा की झलक

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नाहिद हसन जेल में रहने के बावजूद भी अगर विधानसभा की दहलीज तक पहुंच सके तो ये इकरा की ही मेहनत और सियासी जोड़तोड़ थी। वो अब राजनीति के गुरों को बखूबी समझने लगी थीं। समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव की निगाह में भी वो असेंबली चुनाव के दौरान आईं। अखिलेश उनसे खासे प्रभावित थे। 2024 का आम चुनाव आया तो सपा प्रमुख ने उनको टिकट दिया। वो कैराना से लड़ीं। जो गलतियां पंचायत चुनाव में उनसे हुई थीं उनसे गुरेज करते हुए वो शानदार तरीके से लड़ीं। इतना शानदार की बीजेपी के प्रदीप कुमार को पटखनी देकर संसद तक जा पहुंचीं। बतौर सांसद वो खासी सक्रिय दिखी हैं। बात चाहे अल्पसंख्यकों की शिक्षा की हो या फिर इसी मसले से जुड़े मौलाना आजाद फाउंडेशन को बंद करने का विवाद। वो मुखर तरीके से लोकसभा में अपनी बात रखती हैं। 

एडीएम पर फायर पर करणी सेना के नेता पर चुप्पी

फिलहाल वो एक अलग तरह की लड़ाई लड़ रही हैं। कैराना के एडीएम ने उनके साथ तब अभद्रता की जब वो एक शिकायत को लेकर उनके पास पहुंची थीं। लेकिन अब सियासत को अच्छे से समझती हैं। उन्होंने एडीएम के बर्ताव को सीधा महिलाओं की अस्मिता से जोड़ दिया। इकरा का कहना था कि एक तरफ सरकार महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात करती है वहीं ऐसे अफसर उनके साथ इस तरह का बर्ताव करते हैं। हालांकि करणी सेना के नेता के बयान पर उन्होंने अभी तक कुछ नहीं कहा है। लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि इकरा अब राजनीति की मंजी हुई खिलाड़ी बन चुकी हैं। वो समय आने पर इसका माकूल जवाब देंगी। 

Iqra Hasan, Kairana MP, MLA Nahid Hasan, ADM Kairana, National Vice President of Karni Sena

UP Sp Iqra Hasan
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