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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः दागी नेताओं को कुर्सी से हटाने वाले बिल को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर फिर से पार्टी लाइन से अलग राग अलापते दिखे। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और दूसरे विपक्षी नेताओं को लग रहा है कि ये बिल देश में पुलिस राज स्थापित कर देगा। उनका मानना है कि कानून की आड़ लेकर सरकार किसी दूसरे दल के सीएम को अरेस्ट कराएगी और 30 दिन बाद उसे जबरन कुर्सी से हटा दिया जाएगा। लेकिन थरूर को इस बिल में कुछ भी गलत नहीं लगता।
थरूर बोले- जेल में रहने के बाद कुर्सी क्यों
थरूर ने कहा- अगर आप 30 दिन जेल में बिताएं तो क्या आप मंत्री बने रह सकते हैं? यह सामान्य ज्ञान की बात है... मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। थरूर ने कहा कि अगर विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास स्टडी के लिए भेजा जाता है, तो यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि समिति के भीतर चर्चा होना लोकतंत्र के लिए अच्छा है।
थरूर ने एक दूसरे मसले पर भी लोगों को उस वक्त चौंका दिया, जब उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पर संसद में विशेष चर्चा में शामिल न होने के लिए कांग्रेस पर कटाक्ष किया।
अरसे से हाईकमान के खिलाफ बोल रहे हैं थरूर
हालांकि थरूर के कांग्रेस आलाकमान से संबंध एक अरसे से सहज नहीं हैं। लेकिन आपरेशन सिंदूर के दौरान ये कुछ ज्यादा ही बिगड़ते दिखे। पहले हाईकमान की मंजूरी के बगैर थरूर उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बन गए तो 33 देशों में सरकार का पक्ष रखने के लिए भेजे गए थे। थरूर लौटे तो उन्होंने पीएम मोदी को एक धरोहर करार दिया। उनका कहना था कि मोदी देश का एसेट हैं। वो बेहतरीन राजनेता हैं।
एसआईआर के मुद्दे पर राहुल से सहमत दिखे थे
लेकिन जब बात एसआईआर की आई और राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा की सीट को लेकर चुनाव आयोग पर आरोप जड़े तो थरूर ने राहुल गांधी की बात का समर्थन करते हुए कहा था कि मामले की जांच तो होनी ही चाहिए। उस वक्त लगा कि उनके और गांधी परिवार के रिश्तों पर जमी बर्फ शायद पिघलने लगी है। लेकिन शाह के विवादास्पद बिल और शुभांशु शुक्ला के मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग जाकर थरूर ने बता दिया कि उनके और हाईकमान के रिश्ते पहले की तरह तल्ख हैं।
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