नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर एक बार फिर सस्पेंस बढ़ा दिया है। शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि “बिहार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह समय बताएगा। लेकिन हम चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे।” शाह के इस बयान ने जहां एनडीए खेमे में हलचल बढ़ा दी है, वहीं जेडीयू के "25 से 30, फिर से नीतीश" वाले नारे पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इससे पहले भी बिहार भाजपा के नेता दिलीप जायसवाल और सम्राट चौधरी "2025 में फिर से नीतीश" की बात कर चुके हैं, लेकिन शाह का ताजा बयान गठबंधन की रणनीति को लेकर नए संकेत दे रहा है। अमित शाह से जब आगामी चुनावों में मुद्दों को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि “चुनाव के मुद्दे जनता तय करती है, लेकिन हमारा मानना है कि बिहार में विकास सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा।”
क्या बिहार में भी लागू होगा 'महाराष्ट्र मॉडल'?
Bihar Election: यह पहली बार नहीं है जब शाह ने नीतीश कुमार को लेकर गोलमोल बयान दिया है। इससे पहले भी एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री का चेहरा पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा। इससे अटकलें लगने लगीं कि बीजेपी महाराष्ट्र मॉडल को बिहार में भी लागू कर सकती है – यानी चुनाव नीतीश के चेहरे पर लड़ना और बाद में सीएम पद किसी और को देना। जैसे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को किनारे कर देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया गया।
भाजपा में भी भ्रम और सफाई का दौर
दिसंबर 2024 में शाह के एक पुराने बयान को फरवरी 2025 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने दोहराया था। लेकिन सहयोगी जेडीयू के दबाव में उन्हें कुछ ही घंटों में सफाई देनी पड़ी थी। बाद में जायसवाल ने स्पष्ट कहा था कि "2025 फिर से नीतीश" के नारे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। अब एक बार फिर अमित शाह के इस बयान ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आते-आते एनडीए में मुख्यमंत्री पद को लेकर क्या रणनीति बनती है – क्या नीतीश ही चेहरा रहेंगे या पर्दे के पीछे कुछ और योजना तैयार है।
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