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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बोले, "अगर जिम्मेदारी कबूल की है - तो तुरंत इस्तीफा दो"

पहलगाम आतंकी हमले पर सियासी बवाल! एलजी मनोज सिन्हा ने ली जिम्मेदारी, जिस पर असदुद्दीन ओवैसी ने मांगा इस्तीफा. 26 मौतों के बाद सुरक्षा चूक पर उठे गंभीर सवाल, क्या सरकार देगी जवाब? जानें पूरी खबर।

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Ajit Kumar Pandey
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बोले,

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बोले, "अगर जिम्मेदारी कबूल की है - तो तुरंत इस्तीफा दो" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर एलजी मनोज सिन्हा के बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एलजी के 'कबूलनामे' के बाद सीधे उनके इस्तीफे की मांग की है। बता दें कि पहलगाम हमले में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या धर्म पूछकर की गई थी। जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर इस भयानक घटना का जिम्मेदार कौन है?

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पहलगाम के चारागाहों में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में जिस क्रूरता से धर्म पूछकर लोगों की जान ली गई, उसने रोंगटे खड़े कर दिए हैं। अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। उनके इस बयान ने जहां एक तरफ नई बहस छेड़ दी है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष को केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन को घेरने का मौका मिल गया है।

एलजी मनोज सिन्हा के बयान पर बोले ओवैसी

एलजी सिन्हा के जिम्मेदारी लेने के ठीक बाद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखा हमला बोला. ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा, "अगर उन्होंने जिम्मेदारी कबूल की है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 26 लोगों की निर्मम हत्या धर्म पूछकर की गई थी, और मोदी सरकार से पूछा कि इस घटना के लिए कौन जवाबदेह है।

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ओवैसी ने एलजी मनोज सिन्हा के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि उनका कार्यकाल खत्म होने वाला है और अब वे ऐसी बातें कर रहे हैं। उन्होंने इसे सुरक्षा में बड़ी विफलता बताया और सरकार से जवाब मांगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को लेकर लगातार चिंताएं जताई जा रही हैं। हाल के महीनों में हुई आतंकी घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि घाटी में अभी भी शांति पूरी तरह स्थापित नहीं हुई है।

घाटी में दिखा आतंक का नया चेहरा: धर्म के नाम पर हत्याएं

पहलगाम हमले की सबसे भयावह बात यह है कि इसमें आतंकवादियों ने पीड़ितों से उनका धर्म पूछा और फिर उन्हें निशाना बनाया। यह कश्मीर में आतंकवाद के एक नए और अधिक खतरनाक रूप का संकेत है, जहां सांप्रदायिक घृणा फैलाने की कोशिश की जा रही है। इस तरह के कृत्य न केवल निर्दोष लोगों की जान लेते हैं, बल्कि समाज में दरार डालने का भी काम करते हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वे इस तरह की मानसिकता को कैसे रोकें।

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