नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार की राजनीति में एक बार फिर बदलाव की बयार महसूस हो रही है। जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भोजपुर में हुंकार भरते हुए कहा है कि इस बार बिहार की जनता नंबर वन होगी और 'लालू-नीतीश-मोदी' सभी नेता नीचे जाएंगे। उनके इस बयान ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि वे लगातार शिक्षा, रोजगार और एक नई व्यवस्था के लिए जनता को जागृत करने का दावा कर रहे हैं। क्या वाकई बिहार की जनता ने अब ठान लिया है कि उसे एक नया विकल्प चाहिए? प्रशांत किशोर की यह चुनौती मौजूदा राजनीतिक दिग्गजों के लिए कितनी बड़ी है, यह देखना दिलचस्प होगा।
बिहार की जनता इस बार बनेगी नंबर वन: प्रशांत किशोर
भोजपुर की धरती से जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बड़ा बयान देकर बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनका एकमात्र लक्ष्य बिहार की जनता को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाना है। उनके अनुसार, "लालू-नीतीश-मोदी" जैसे स्थापित नाम अब नीचे जाएंगे और बिहार की जनता जीतकर ऊपर आएगी। यह बयान दर्शाता है कि प्रशांत किशोर बिहार की पारंपरिक राजनीति को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे प्रशांत किशोर का कहना है कि अब बिहार के लोग एक नई व्यवस्था के लिए जागृत हो रहे हैं। उनकी बातों में शिक्षा और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर जोर साफ दिखाई देता है। वे लगातार इस बात पर बल दे रहे हैं कि बिहार के प्रत्येक नागरिक ने अब यह तय कर लिया है कि उन्हें वर्तमान व्यवस्था से इतर 'जन सुराज' चाहिए. क्या यह वाकई बिहार में बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत है?
क्यों उठ रही है 'नई व्यवस्था' की मांग?
बिहार में शिक्षा और रोजगार का मुद्दा लंबे समय से गंभीर बना हुआ है। युवाओं को बेहतर अवसरों की तलाश में पलायन करना पड़ता है और शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में जब कोई नेता इन मूल समस्याओं पर बात करता है, तो जनता का ध्यान स्वाभाविक रूप से उसकी ओर खिंचता है। प्रशांत किशोर इसी नस को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि दशकों से चली आ रही राजनीतिक व्यवस्था ने इन मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है।
जन सुराज अभियान के तहत प्रशांत किशोर लगातार पदयात्राएं कर रहे हैं और सीधे लोगों से जुड़ रहे हैं। वे लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब बिहार में एक ऐसी सरकार आए जो जनता के हितों को सर्वोपरि रखे। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बिहार की जनता एक नए विकल्प की तलाश में है, जो उन्हें बेहतर भविष्य का आश्वासन दे सके।
शिक्षा का संकट: बिहार में शिक्षा का स्तर एक बड़ी चुनौती है। सरकारी स्कूलों की स्थिति और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी अक्सर चर्चा का विषय बनती है।
रोजगार की कमी: राज्य में उद्योग-धंधों की कमी के कारण रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिससे बड़ी संख्या में युवा दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं।
बदलाव की आकांक्षा: लंबे समय से एक ही तरह की राजनीति देखने के बाद, बिहार की जनता अब सचमुच बदलाव की इच्छा रखती है।
चुनाव आयोग के सर्वेक्षण पर प्रशांत किशोर का रुख
हाल ही में चुनाव आयोग ने बिहार समेत 6 राज्यों में मतदाता सूची का सर्वेक्षण करने की घोषणा की है। इस पर जब प्रशांत किशोर से सवाल किया गया तो उन्होंने बेहद सधा हुआ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का जो काम है, वह उसे करना चाहिए। एक राजनीतिक दल या सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर वे इस प्रक्रिया पर पैनी नजर रखेंगे।
किशोर ने साफ किया कि अगर उन्हें कुछ भी गलत होता दिखा तो वे उसके खिलाफ आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, उन्होंने अंत में यह भी दोहराया कि "मालिक जनता है... जनता जो चाहेगी वही होगा।" उनका यह बयान सीधे तौर पर जनता की शक्ति में उनके विश्वास को दर्शाता है। यह एक ऐसा बयान है जो सीधे मतदाताओं से जुड़ता है और उन्हें अपनी निर्णायक भूमिका का एहसास कराता है। बिहार की जनता ने तय कर लिया है कि इस बार बदलाव होना चाहिए, बिहार में नई व्यवस्था बननी चाहिए, ये उनके हर बयान का निचोड़ है।
क्या 'जन सुराज' लाएगा बिहार में क्रांति?
प्रशांत किशोर का 'जन सुराज' अभियान बिहार में एक अलग तरह की राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश कर रहा है। यह पारंपरिक पार्टियों से हटकर एक ऐसा मंच बनने का दावा कर रहा है, जहां जनता अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढ सके। उनका यह बयान कि "सारे लोग बिहार में नई व्यवस्था के लिए, शिक्षा और रोजगार के लिए जागृत हो रहे हैं," दिखाता है कि वे जनता की बढ़ती जागरूकता को अपनी ताकत मान रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में प्रशांत किशोर का यह अभियान कितना सफल हो पाता है। क्या वे सचमुच 'लालू-नीतीश-मोदी' के गढ़ में सेंध लगा पाएंगे? या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक प्रयोग बनकर रह जाएगा? एक बात तो तय है कि प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति को एक नया विमर्श दिया है और वे लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बिहार की जनता ही असली मालिक है।
आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? क्या आपको लगता है कि बिहार में सचमुच 'जन सुराज' की लहर है? नीचे कमेंट करें।
bihar election 2025 | Nitish vs PK | Prashant Kishor | Bihar CM Nitish Kumar | Lalu Prasad Yadav |