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बिहार SIR विवाद 2025 : राजीव शुक्ला ने खोली पोल! क्या वोटर लिस्ट में हो रही है गड़बड़ी? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष भड़क गया है। कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने घोषणा की है कि यह मुद्दा संसद में उठाया जाएगा और विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक चुनाव आयोग उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं देता। इस विवाद ने आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर उठा विवाद अब राष्ट्रीय मुद्दा बन रहा है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ की जा रही हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाएगी। लेकिन आखिर ऐसी क्या बात है जो इस पुनरीक्षण को लेकर इतना बवाल मचा रही है?
विपक्षी दलों का दावा है कि मतदाता सूची से उन लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं जो सरकार विरोधी माने जाते हैं, या फिर ऐसे नाम जोड़े जा रहे हैं जिनसे सत्ताधारी दल को फायदा मिल सके। ये आरोप गंभीर हैं क्योंकि मतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनावों का आधार होती है। अगर इसमें कोई भी हेरफेर होता है तो इसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है, और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा।
#WATCH दिल्ली: कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, "विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर संसद में विरोध प्रदर्शन करेगा...यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक चुनाव आयोग सुनवाई नहीं करता..." pic.twitter.com/UC7MI6KWtA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 23, 2025
संसद में गूंजेगी विपक्ष की आवाज: चुनाव आयोग पर दबाव
राजीव शुक्ला के बयान ने साफ कर दिया है कि विपक्ष इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, "विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर संसद में विरोध प्रदर्शन करेगा...यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक चुनाव आयोग सुनवाई नहीं करता।" यह बयान सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
यह समझना ज़रूरी है कि चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है, जिसका काम निष्पक्ष चुनाव कराना है। यदि उस पर ही सवाल उठने लगें तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए शुभ संकेत नहीं है। विपक्ष की मांग है कि चुनाव आयोग इन आरोपों की गंभीरता से जांच करे और सुनिश्चित करे कि मतदाता सूची पूरी तरह से त्रुटिहीन और निष्पक्ष हो। क्या चुनाव आयोग इस दबाव के आगे झुकेगा या अपने पुराने रवैये पर कायम रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
बिहार की राजनीति में भूचाल: आगामी चुनावों पर असर
बिहार में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं, और लोकसभा चुनाव में भी अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में मतदाता सूची को लेकर चल रहा यह विवाद राज्य की राजनीतिक फिजां में एक नया रंग भर रहा है। विपक्षी दल इसे सरकार को घेरने के एक बड़े मौके के तौर पर देख रहे हैं। उनका मानना है कि इस मुद्दे से वे जनता की सहानुभूति हासिल कर सकते हैं और सरकार को बैकफुट पर धकेल सकते हैं।
इस विवाद का सीधा असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। यदि लोगों को यह महसूस होता है कि मतदाता सूची में धांधली की जा रही है, तो उनका विश्वास लोकतांत्रिक प्रक्रिया से उठ सकता है। यह न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। मतदाता सूची का पारदर्शी और त्रुटिरहित होना किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव की पहली शर्त है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची को अद्यतन किया जाता है। इसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं, मृत या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं, और किसी भी त्रुटि को ठीक किया जाता है। यह प्रक्रिया चुनावों से पहले मतदाताओं की सटीक संख्या और पहचान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है। वे उदाहरण दे रहे हैं कि कैसे योग्य मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं, या कैसे एक ही व्यक्ति के कई नाम मतदाता सूची में शामिल कर दिए गए हैं। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और एक पारदर्शी जांच करानी चाहिए।
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