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Starlink और Airtel-Jio की डील पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, कहा- ट्रंप का सद्भाव पाने पीएम मोदी ने कराया समझौता

स्टारलिंक से जियो-एयरटेल के समझौते को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के ऊपर निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि ये करार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कराए गए हैं ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सद्भाव हासिल किया जा सके। 

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Pratiksha Parashar
modi and trump, starlink
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

एयरटेल और जियो ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स से समझौता किया है, जिसके बाद भारत में स्टारलिंक की शुरुआत होने जा रही है। स्टारलिंक को भारत में नेटवर्क की दुनिया में गेमचेंजर माना जा रहा है। अब कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्र सरकार के ऊपर निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि ये करार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कराए गए हैं ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सद्भाव हासिल किया जा सके। 

जियो-एयरटेल ने किया स्पेसएक्स के साथ समझौता

रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल सेवा कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड ने भारत में अपने ग्राहकों को स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं देने के लिए स्पेसएक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह करार स्पेसएक्स को भारत में स्टारलिंक की उपग्रह संचार-आधारित सेवाओं को बेचने के लिए मंजूरी हासिल करने के तहत है। इससे एक दिन पहले टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने भी स्पेसएक्स के साथ इसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किया है। कांग्रेस ने दावा किया कि ये करार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कराए गए हैं ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सद्भाव हासिल किया जा सके। दरअसल, स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क हैं जो ट्रंप प्रशासन में प्रमुख भूमिका में हैं।

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जयराम रमेश ने खड़े किए सवाल

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मात्र 12 घंटों के अंदर ही Airtel और Jio, दोनों ने Starlink के साथ साझेदारी की घोषणा कर दी, जबकि अब तक वे इसके भारत में आने को लेकर लगातार आपत्तियाँ जताते आ रहे थे। यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि इन साझेदारियों को खुद प्रधानमंत्री ने ही राष्ट्रपति ट्रंप के साथ सद्भावना खरीदने के लिए स्टारलिंक के मालिक एलन मस्क के जरिए सुगम बनाया है।"

राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जताई चिंता

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जयराम रमेश ने आगे लिखा, "कई अहम सवाल अभी भी बने हुए हैं। शायद सबसे महत्वपूर्ण सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला होगा, तब कनेक्टिविटी को चालू या बंद करने की शक्ति किसके पास होगी? स्टारलिंक के पास या इसके भारतीय साझेदारों के पास? क्या अन्य सैटेलाइट-आधारित कनेक्टिविटी प्रदाताओं को भी अनुमति दी जाएगी और यदि हाँ, तो किस आधार पर? और, निश्चित रूप से, एक बड़ा सवाल टेस्ला के भारत में निर्माण को लेकर भी है। क्या अब, जब स्टारलिंक को भारत में प्रवेश मिल गया है, टेस्ला के निर्माण को लेकर कोई प्रतिबद्धता जताई गई है?"

स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट 

आपको बता दें कि स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित सैटेलाइट से सिग्नल भेजता है और हर जगह नेटवर्क पहुंचाने में सक्षम है। 4G और 5G पहुंच सीमित होती है। स्टारलिंक की स्पीड आम ब्रॉडबैंड से काफी तेज है। इसकी स्पीड 100 एमबीपीएस से लेकर 1 जीबीपीएस तक होती है। स्टारलिंक के जरिए देश के कोने-कोने में इंटरनेट की सुविधा मिलेगी।

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