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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी
नई दिल्ली, वाईबीएन न्यूज। बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' और राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों के बीचकांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया कि आज भी देश में कई लोग चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) और 'वोट चोरी' के मुद्दे पर मनीष तिवारी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और दोनों विपक्षी नेताओं को शामिल करते हुए एक समिति बनाई जानी चाहिए, जो तीन चुनाव आयुक्तों का चयन करे, ताकि चुनाव आयोग अपनी खोई हुई विश्वसनीयता को फिर से हासिल कर सके।
मनीष तिवारी बोले- कई लोग चुनाव आयोग भरोसा नहीं करते
उन्होंने आरोप लगाया, "चुनाव आयोग ने अपने महत्वपूर्ण हिस्सेदारों का विश्वास खो दिया है। दुर्भाग्यवश, आज देश में कई लोग चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते।" कांग्रेस नेता ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के मुद्दे पर भी सवाल उठाए। उन्होंंने कहा- बड़े अचरज की बात है कि ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग चुप्पी साधे रहता है। उन्होंने कहा- चुनाव आयोग को लेकर उठा यह मुद्दा SIR से शुरू नहीं हुआ। यह EVM और कथित हेराफेरी से शुरू हुआ था।
बोले- पूरे दिन इस्तेमाल हुईं ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत कैसे मिली?
हरियाणा चुनाव में मशीनें पूरे दिन इस्तेमाल हुईं। इसके बाद उन्हें तीन दिन तक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया। जब उन्हें निकाला गया, तो बैटरी 99% थी। एक iPad भी रात को 100% बैटरी पर होने के बावजूद सुबह तक 80% हो जाता है... आज तक चुनाव आयोग यह जवाब नहीं दे पाया कि सुबह 6 बजे EVM चालू की गई, मॉक टेस्टिंग हुई, फिर 8 से 6 बजे तक चली और फिर बंद कर दी गई। इसे तीन दिन तक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया। फिर बैटरी 99% कैसे रह सकती है? चुनाव आयोग इस पर जवाब क्यों नहीं देता?"
बोले- विधाानसभा चुनाव से पहले बिहार में एसआईआर क्यों?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR पर भी संदेह जताया। उन्होंने कहा- संविधान में कहीं भी विशेष गहन संशोधन (SIR) का प्रावधान नहीं है। बिहार चुनाव से दो महीने पहले जिस तरह जल्दबाजी में यह समीक्षा की जा रही है, वह संदिग्ध है। उन्होंने कहा-चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों नियुक्ति प्रक्रिया को बदले जाने की मांग भी की है। उन्होंने कहा- इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और दोनों विपक्षी नेताओं को शामिल करना चाहिए। अगर ऐसी समिति तीन चुनाव आयुक्तों का चयन करती है, तो खोई हुई विश्वसनीयता वापस आएगी।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को नहीं सौंपा शपथ पत्र
इससे पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के हालिया दावों को खारिज किया था। उन्होंने कहा था- या तो शपथ पत्र देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। शपथ पत्र के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ने सात दिन का समय दिया था लेकिन राहुल गांधी की ओर से कोई हलफनामा चुनाव आयोग को नहीं मिला।
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