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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रही बहस के बीच एक नाटकीय घटनाक्रम सामने आया। महाराष्ट्र के एक मंत्री और शिवसेना नेता ने मनसे के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की कोशिश की। मनसे कार्यकर्ताओं ने मंत्री प्रताप सरनाईक को घेर लिया और उन्हें ठाणे में प्रदर्शन स्थल से जाने पर मजबूर कर दिया। एक रिपोर्ट कहती है कि मनसे वर्कर्स ने मंत्री के साथ ऐसा सलूक किया कि वो तुरंत अपनी कार में बैठकर रफूचक्कर हो गए। उन्हें वहां से भागते देखा गया।
भाषा विवाद के केंद्र में रविवार देर रात एक दुकानदार पर हमला है। मीरा रोड में स्वीट शॉप चलाने वाले 48 वर्षीय बाबूलाल चौधरी को मनसे के सात गुंडों ने थप्पड़ मारे। उनको धमकाया गया, क्योंकि उनके कर्मचारी बाघराम ने उनसे हिंदी में बात की थी। मनसे कार्यकर्ताओं ने मांग की कि चौधरी और बाघराम मराठी में बात करें। हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने महाराष्ट्र में भाषा विवाद को फिर से हवा दे दी।
फडणवीस बोले- कोई भी निकाल सकता है रैली
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि पुलिस ने रैली के लिए अनुमति नहीं दी। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में हर किसी को विरोध मार्च निकालने का अधिकार है। पुलिस की अनुमति के बाद कोई भी ऐसा कर सकता है। पुलिस आयुक्त ने मुझे बताया कि मनसे नेताओं को मार्ग बदलने के लिए कहा गया था, लेकिन वो अड़े रहे। इसलिए पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैं महाराष्ट्र के मूड को जानता हूं। इस तरह के प्रयोग यहां काम नहीं आएंगे। एक मराठी का दिल बड़ा होता है। वह छोटा नहीं सोचता।
उद्धव बोले- हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं पर थोपने नहीं देंगे
उधर उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर फूट डालो और राज करो की नीति के जरिए राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बलपूर्वक इसे थोपे जाने का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि फूट डालो और राज करो हमेशा से भाजपा की नीति रही है। राजनीति की यह शैली अब अपनी प्रासंगिकता खो रही है। मैं समझ सकता हूं कि शनिवार को मुंबई में हमारी रैली की सफलता के कारण उनकी पार्टी बेचैन है।
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