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Explainer : 17 की उम्र में वर्ल्ड फेम, अब विधायक बनने का सपना, कौन हैं मैथिली ठाकुर?

25 साल की खादी एंबेसडर मैथिली ठाकुर अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने की तैयारी में हैं। युवा, वर्ल्ड फेम लोकगायिका के राजनीति में आने की चर्चा तेज है। पढ़िए, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार विजेता मैथिली के इस बड़े फैसले की पूरी एक्प्लेनर।

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : 17 की उम्र में वर्ल्ड फेम, अब विधायक बनने का सपना, कौन हैं मैथिली ठाकुर? | यंग भारत न्यूज

Explainer : 17 की उम्र में वर्ल्ड फेम, अब विधायक बनने का सपना, कौन हैं मैथिली ठाकुर? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार की 'कोकिला' मैथिली ठाकुर अब राजनीति में कदम रखने को तैयार हैं। 17 साल की उम्र में लोकगीतों से नाम कमाने वाली, खादी की ब्रांड एंबेसडर और प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेता इस युवा गायिका के साल 2025 की बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है।

पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है - मैथिली ठाकुर। यह नाम किसी कद्दावर नेता का नहीं बल्कि बिहार की उस बेटी का है, जिसने अपनी मीठी और पारंपरिक आवाज से देश-विदेश में लोक कला का डंका बजाया है। 25 साल की यह युवा सनसनी अब चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, खास तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से उनकी मुलाकातों ने इन कयासों को और हवा दे दी है। सवाल यह है कि मंच पर भजन-कीर्तन और लोकगीत गाने वाली मैथिली, अब राजनीति के जटिल गलियारों में क्या भूमिका निभाने जा रही हैं? क्या वह अपनी कला के जरिए समाज में बदलाव की एक नई इबारत लिखेंगी? 17 साल में मिली पहचान कैसे बनीं 'बिहार की कोकिला'? आइए Young Bharat News के इस एक्सप्लेनर में विस्तार से जानते हैं।

मैथिली ठाकुर की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी इलाके में हुआ। मधुबनी, जो अपनी मिथिला पेंटिंग और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है, वहीं की मिट्टी ने मैथिली की कला को सींचा। उनके घर में बचपन से ही संगीत का माहौल था। पिता रमेश ठाकुर, जो खुद एक संगीतज्ञ हैं और दादाजी ने ही उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोकगीतों की शुरुआती तालीम दी। 

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मैथिली ठाकुर ने सिर्फ मैथिली भाषा के ही नहीं, बल्कि भोजपुरी और हिंदी के लोकगीतों को भी अपनी आवाज दी, जिसे लोगों ने खूब सराहा। सोशल मीडिया का जादू और ग्लोबल पहचान यह दौर सोशल मीडिया का है और मैथिली ने इसकी ताकत को बखूबी समझा। उन्होंने अपने भाई ऋषभ ठाकुर ताल पर और अयाची ठाकुर बांसुरी/हारमोनियम पर साथ मिलकर अपने गानों के वीडियो बनाए और उन्हें यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते, उनकी आवाज सरहदों के पार पहुंच गई। 

मिलियन फॉलोवर्स: आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके करोड़ों फॉलोवर्स हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन: मैथिली ने सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय लोक संगीत का प्रदर्शन किया है। 

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'जूनियर बिहार कोकिला': मैथिली की प्रतिभा को देखते हुए कई बार उन्हें प्यार से 'जूनियर बिहार कोकिला' कहा जाता है। 

यह मैथिली की मेहनत और जड़ों से जुड़े रहने की भावना का ही नतीजा है कि एक छोटे से शहर की लड़की आज 'वर्ल्ड फेम' बन चुकी है।

खादी की ब्रांड एंबेसडर बनने तक का सफर 

मैथिली ठाकुर का नाम सिर्फ गायन तक ही सीमित नहीं रहा। उनकी सादगी, संस्कृति के प्रति सम्मान और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की छवि ने उन्हें कई बड़े मंचों पर सम्मान दिलाया। पुरस्कार और सम्मान उनकी कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली जब उन्हें संगीत नाटक अकादमी का प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सम्मान दर्शाता है कि कला जगत ने उनकी प्रतिभा को कितनी गंभीरता से लिया है। 

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खादी से जुड़ाव बिहार की संस्कृति का चेहरा 

साल 2024 में बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर घोषित किया। यह जिम्मेदारी सिर्फ एक प्रमोशन नहीं थी, बल्कि यह बिहार की संस्कृति, स्वावलंबन और पारंपरिक विरासत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक थी। खादी भारत की आत्मा है और मैथिली उस आत्मा की आवाज बन गईं। 

खादी एंबेसडर बनने के मायने संस्कृति का संरक्षण 

मैथिली ठाकुर ने खादी को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने में मदद की। 

स्थानीय उत्पाद: बिहार के बुनकरों और कारीगरों को एक नई पहचान मिली। 

सांस्कृतिक प्रतीक: वह बिहार की पारंपरिक कला और आधुनिक सोच का मिलन बिंदु बन गईं। 

यह मैथिली की विश्वसनीयता ही है जिसने उन्हें कला और संस्कृति के गलियारों से निकलकर अब राजनीति के दरवाजे पर ला खड़ा किया है। 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मैथिली ठाकुर के चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोर पकड़ चुकी हैं। लेकिन, एक सफल गायिका के लिए राजनीति में आना इतना आसान क्यों नहीं होता? क्या है अटकलों की वजह? 

Explainer : 17 की उम्र में वर्ल्ड फेम, अब विधायक बनने का सपना, कौन हैं मैथिली ठाकुर? | यंग भारत न्यूज
Explainer : 17 की उम्र में वर्ल्ड फेम, अब विधायक बनने का सपना, कौन हैं मैथिली ठाकुर? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

बीजेपी नेताओं से मैथिली ठाकुर की मुलाकात 

हाल ही में मैथिली ठाकुर की बीजेपी के शीर्ष नेताओं से हुई मुलाकात को एक औपचारिक भेंट से ज्यादा राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। युवा और लोकप्रिय चेहरा बीजेपी या कोई भी अन्य दल बिहार में एक ऐसा युवा, स्वच्छ और लोकप्रिय चेहरा चाहती है जो जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर बात कर सके। मैथिली इस खांचे में पूरी तरह फिट बैठती हैं। 

सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व: वह मिथिलांचल क्षेत्र से आती हैं जो सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध है और इस क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता चुनाव में बड़ा फैक्टर साबित हो सकती है। 

मैथिली के राजनीति में आने के पीछे की 'क्यों' की पड़ताल 

राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं बल्कि समाजसेवा का एक माध्यम भी है। मैथिली की पीढ़ी के कई युवा अब देश की दिशा तय करने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं। 

पहलू राजनीति में कदम रखने का संभावित कारण 

जनता से जुड़ाव: अपनी कला के माध्यम से उन्होंने बड़े जनसमूह को जोड़ा है। अब वह इसे सामाजिक बदलाव में बदलना चाहती हैं। 

संस्कृति संरक्षण: राजनीति में आकर वह लोक कला, कलाकारों और अपनी क्षेत्रीय संस्कृति के संरक्षण के लिए मजबूत नीतियां बनवा सकती हैं। 

युवाओं की प्रेरणा: वह लाखों युवाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं, जो उन्हें बिहार के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करने के लिए प्रेरित करेंगी। 

साफ छवि: एक साफ-सुथरी छवि उन्हें मौजूदा नेताओं से अलग खड़ा करती है। अगर मैथिली ठाकुर राजनीति में आती हैं तो यह बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। यह 'कला से राजनीति' की यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत होगी। 

मैथिली ठाकुर एक नजर में 

नाम: मैथिली ठाकुर 
जन्म: 25 जुलाई 2000 
जन्मस्थान: बेनीपट्टी, मधुबनी - बिहार 
पिता: रमेश ठाकुर संगीतज्ञ 
पहचान: लोकगायिका मैथिली, भोजपुरी, हिंदी प्रमुख सम्मान, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार, ब्रांड एंबेसडर बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड।

राजनीतिक चर्चा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने की अटकलें। 

अगला कदम और भविष्य की चुनौतियां 

मैथिली ठाकुर का राजनीतिक सफर चुनौतियों से भरा होगा। कला की दुनिया की सरलता और राजनीति की जटिलता में जमीन-आसमान का अंतर है। 

राजनीतिक दांवपेंच: उन्हें सत्ता के गलियारों के दांवपेंच सीखने होंगे। 

कला और राजनीति का संतुलन: अपने संगीत करियर को बिना नुकसान पहुंचाए राजनीति में सक्रिय रहना बड़ी चुनौती होगी। 

जनता की अपेक्षाएं: एक सेलिब्रिटी होने के नाते जनता की उनसे अपेक्षाएं बहुत अधिक होंगी, जिन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा। 

बावजूद इसके, मैथिली ठाकुर का राजनीति में आना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति के वाहक भी अब देश की नीति-निर्धारण प्रक्रिया में शामिल होने को तैयार हैं। उनकी आवाज, जिसने कभी करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध किया था, अब बिहार की विधानसभा में बदलाव की गूंज बन सकती है। 

यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपनी इस नई पारी में कितनी सफलता अर्जित करती हैं।

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