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Explainer : Bihar Election में नया गणित, NDA ने किया सियासी खेल?

NDA ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया है। BJP-JDU 101-101 सीटों पर लड़ेगी। चिराग पासवान की LJPR 29 सीटें लेकर सबसे बड़े सहयोगी के रूप में उभरी। मांझी-कुशवाहा को 6-6 सीटें मिलीं। जानें, आपकी सीट किस पार्टी की झोली में गई।

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : Bihar की सियासत में नया गणित, NDA का यह फॉर्मूला बदलेगा खेल? | यंग भारत न्यूज

Explainer : Bihar Election में नया गणित, NDA ने किया सियासी खेल? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार विधानसभा चुनाव के लिए NDA में सीटों का गणित अब साफ है। 101-101 पर BJP-JDU के साथ, चिराग पासवान की LJPR 29, उपेंद्र कुशवाहा की RLM और जीतनराम मांझी की HAM 6-6 सीटों पर लड़ेंगे। यह बंटवारा सिर्फ नंबरों का खेल नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक दिशा तय करने वाला मास्टरस्ट्रोक है। 

आइए Young Bharat News के इस Explainer में समझते हैं कि, NDA के इस महाबंटवारे में किस पार्टी की झोली में कौन सी हॉट सीट गई और क्यों यह डील निर्णायक साबित होगी? 

बिहार की राजनीति हमेशा से देश को चौंकाती रही है। इस बार, विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ NDA गठबंधन ने अपने सहयोगियों के बीच सीटों का फाइनल बंटवारा करके एक बड़ा संदेश दे दिया है। यह सिर्फ सीटों का बंटवारा नहीं है, बल्कि एक मजबूत और एकजुट गठबंधन की नींव है। 

NDA के इस बंटवारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी BJP और जेडीयू JDU ने बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया है। यह 'बिग ब्रदर' वाली धारणा को तोड़ता है और गठबंधन में 'समानता' का संदेश देता है। 

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पार्टी का नाम  आवंटित सीटें (सूत्रों के अनुसार)
भारतीय जनता पार्टी BJP101 
जनता दल यूनाइटेड JDU101 
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास LJP-R29 
राष्ट्रीय लोक जनता दल RLM6
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा HAM6
कुल सीटें243

बिहार विधानसभा यह गणित बताता है कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने सहयोगियों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी हासिल की है, जो बिहार की युवा राजनीति में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। वहीं, अनुभवी नेताओं जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को 6-6 सीटें देकर साधने की कोशिश की गई है। 

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 101-101 का फार्मूला बीजेपी की तरफ से एक 'नर्म' रवैया दिखाने की कोशिश है। यह न सिर्फ JDU को बराबरी का सम्मान देता है, बल्कि गठबंधन के भीतर की खींचतान को भी कम करता है। बिहार में दोनों पार्टियों का अपना-अपना कोर वोट बैंक है, जिसे एकजुट रखना ही NDA की सबसे बड़ी ताकत है। 

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बीजेपी के खाते की 101 सीटें पश्चिम से पूर्व तक, कहां किसका दम? 

बीजेपी ने अपनी 101 सीटों का चयन बहुत सोच-समझकर किया है। इन सीटों में वे क्षेत्र शामिल हैं जहां पार्टी का जनाधार मजबूत रहा है और जहां 'मोदी फैक्टर' निर्णायक साबित हो सकता है। 

पश्चिमी चंपारण से लेकर किशनगंज और सीमांचल तक: बीजेपी ने हर उस क्षेत्र पर फोकस किया है, जहां वह सीधा मुकाबले में है। 

बीजेपी की हॉट सीट लिस्ट: सूत्रों के अनुसार उत्तरी बिहार की किलेबंदी रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, रक्सौल, मधुबनी, मोतिहारी। 

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मिथिलांचल और कोसी पर फोकस: दरभंगा, सहरसा, नरपतगंज, फॉर्बिसगंज, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार। 

राजधानी और मगध क्षेत्र: पकड़ दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, बाढ़, आरा, औरंगाबाद, बोधगया। 

विश्लेषण: बीजेपी ने उन सीटों को चुना है जहां उसके शहरी वोटर्स और अगड़ी जाति के वोट बैंक का प्रभाव ज्यादा है। खासकर पटना और उसके आसपास की सीटें, जहां बीजेपी का दबदबा ऐतिहासिक रहा है। 

वहीं, सीमांचल की कुछ सीटों को चुनकर पार्टी ने अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक वोट साधने की रणनीति अपनाई है। 

चिराग पासवान 29 सीटों का 'युवा तुर्क' समीकरण 

चिराग पासवान की पार्टी LJP-R को मिली 29 सीटें उन्हें गठबंधन में 'किंगमेकर' की भूमिका देती हैं। यह संख्या बताती है कि दिवंगत रामविलास पासवान की विरासत और चिराग की युवा अपील को NDA नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। 

चिराग ने अपनी सीटों का चयन दलित बहुल क्षेत्रों और उन सीटों पर किया है जहां उनकी पार्टी की मजबूत उपस्थिति पहले से है। 

चिराग पासवान की 29 'पॉवर' सीटें: मुंगेर और बेगूसराय बेल्ट बखरी, साहिबपुर कमाल, तारापुर, रोसड़ा। 

वैशाली और तिरहुत क्षेत्र: राजा पाकड़, लालगंज। 

मगध और शाहाबाद में एंट्री: अगिआंव, ओबरा, अरवल, गया, हिसुआ। 

पटना और आसपास: फतुहा, दानापुर। 

Explainer : Bihar की सियासत में नया गणित, NDA का यह फॉर्मूला बदलेगा खेल? | यंग भारत न्यूज
Explainer : Bihar Election में नया गणित, NDA ने किया सियासी खेल? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

स्ट्रेटेजी वोट ट्रांसफर और दलित-महादलित समीकरण 

चिराग की सीटों का बंटवारा बताता है कि उनकी पार्टी का फोकस दलित, महादलित और कुछ अति पिछड़ी जातियों पर है। दानापुर, फतुहा जैसी सीटें पटना के करीब हैं और युवा वर्ग को साधने का मौका देती हैं। 29 सीटों पर लड़ने का मतलब है कि चिराग का लक्ष्य सिर्फ जीतना नहीं, बल्कि अपनी पार्टी को एक राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है। 

मांझी और कुशवाहा 6-6 सीटों से संतुलन की कोशिश 

जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा HAM और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल RLM को 6-6 सीटें मिली हैं। यह सीटें भले ही संख्या में कम हों, लेकिन ये दोनों नेता अपने-अपने जातीय समीकरणों में माहिर हैं और 'वोट कटर' साबित हो सकते हैं। 

जीतनराम मांझी की HAM की सीटें मगध का प्रभाव: टेकारी, कुटुंबा, अतरी, इमामगंज, सिकंदरा, बराचट्टी। 

विश्लेषण: मांझी का प्रभाव मुख्य रूप से मगध क्षेत्र गया, औरंगाबाद और महादलित समुदाय पर है। इमामगंज उनकी पारंपरिक सीट है। ये सीटें बीजेपी को उन क्षेत्रों में मजबूत करती हैं, जहां महादलित वोट निर्णायक होते हैं। 

उपेंद्र कुशवाहा की RLM की सीटें कोइरी-कुर्मी बेल्ट मधुबनी 

बीजेपी की भी लिस्ट में यहां सामंजस्य की जरूरत: बाजपट्टी, उजियारपुर, दिनारा, महुआ, सासाराम।

विश्लेषण: उपेंद्र कुशवाहा का कोर वोट बैंक कोइरी कुशवाहा समाज है। उजियारपुर उनकी कर्मभूमि रही है। इन सीटों को देकर NDA ने यह सुनिश्चित किया है कि कुशवाहा वोट बैंक छिटके नहीं और मजबूत विपक्ष को टक्कर दी जा सके। 

हालांकि, मधुबनी सीट का बीजेपी की लिस्ट में भी होना इस बात का संकेत है कि अंतिम आधिकारिक लिस्ट में कुछ बदलाव संभव हैं या यह सीट बाद में किसी और सहयोगी को जा सकती है। 

NDA के बंटवारे का निचोड़ क्या JDU की राह आसान है? 

NDA के इस बंटवारे के बाद सबकी निगाहें JDU की 101 सीटों पर टिकी हैं। चूंकि JDU की सीटों का ब्योरा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, माना जा रहा है कि JDU उन सीटों पर फोकस करेगी जहां कुर्मी, अतिपिछड़ा और महिला वोटर्स का प्रभाव है।

यह बंटवारा सिर्फ 2025 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के नेतृत्व को और मजबूत करने की दिशा में भी एक कदम है।

राजनीति की बिसात बिछ चुकी है। सीटों का यह गणित बिहार की जनता को कितना भाता है, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन NDA ने इस बंटवारे से यह साफ कर दिया है कि वह एकजुट है और बड़े लक्ष्य की ओर देख रहा है। 

यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग पासवान, मांझी और कुशवाहा के वोटर्स, बीजेपी-जेडीयू के उम्मीदवारों को कितनी मजबूती से वोट ट्रांसफर करते हैं। 

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