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Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे?

बिहार के 'सिंघम' और पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने IPS की नौकरी छोड़, जनसेवा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए राजनीति में कदम रखा। उन्होंने जमालपुर और अररिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अपनी पार्टी 'हिंद सेना' का रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं हो सका।

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज

Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार के 'सुपर कॉप' और 'सिंघम' नाम से मशहूर पूर्व IPS अधिकारी शिवदीप लांडे ने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में बड़ा कदम रखा है। महाराष्ट्र के मूल निवासी लांडे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और जनसेवा के मकसद से बिहार की दो विधानसभा सीटों जमालपुर और अररिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उनकी यह एंट्री बिहार के चुनावी गलियारों में हलचल मचा रही है। 

आखिर, IPS की वर्दी उतार 'सिंघम' शिवदीप लांडे ने क्यों पकड़ी सियासत की राह? Young Bharat News के इस एक्सप्लेनर में हम जानते हैं सभी सवालों के जवाब।

बिहार के राजनीतिक अखाड़े में इन दिनों एक ऐसे नाम की चर्चा गरम है, जिसने खाकी वर्दी में रहते हुए अपनी कड़क और ईमानदार छवि से जनता के दिलों में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। ये नाम है पूर्व IPS अधिकारी शिवदीप लांडे का। बिहार में कभी 'सुपर कॉप' और 'सिंघम' के नाम से मशहूर रहे शिवदीप लांडे ने अपनी प्रतिष्ठित आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर अचानक राजनीति में उतरने का फैसला किया है। 

पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे ने दो विधानसभा सीटों- जमालपुर और अररिया- से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उनका यह फैसला महज एक चुनाव नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत करने का इरादा है, जिसकी गूंज सियासी गलियारों से लेकर आम जनता के बीच तक सुनाई दे रही है। 

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नौकरी क्यों छोड़ी? राजनीति में एंट्री का क्या है मकसद? 

पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने अपनी राजनीति का मकसद बेहद साफ बताया है जनता की सेवा करना और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ना। उन्होंने कहा है कि पुलिस सेवा के दौरान भी उनका काम अपराध और माफियागीरी के खिलाफ कड़े कदम उठाना रहा है, लेकिन अब वह एक व्यापक स्तर पर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। उनका मानना है कि राजनीति ही वह मंच है, जहां से वे अपनी नीतियों और विचारों के साथ बिना किसी समझौते के जनता के लिए काम कर सकते हैं। 

शिवदीप लांडे को कई बड़े राजनीतिक दलों की ओर से टिकट का ऑफर भी मिला था, लेकिन उन्होंने इसे साफ मना कर दिया। उनके अनुसार, वह अपनी नीतियों और विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेंगे, यही वजह है कि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। 

Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज
Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
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'हिंद सेना पार्टी' का गठन क्यों नहीं हो सका रजिस्ट्रेशन? 

पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने कुछ समय पहले अपनी खुद की एक पार्टी, 'हिंद सेना पार्टी' का गठन किया था। उनकी योजना थी कि वह इसी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ें। गठन का उद्देश्य अपनी स्वतंत्र विचारधारा के साथ राजनीति करना। 

अवरोध: दुर्भाग्यवश, पार्टी का रजिस्ट्रेशन समय पर नहीं हो सका। पार्टी रजिस्ट्रेशन न हो पाने की वजह से ही उन्हें चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरना पड़ रहा है। 

हालांकि, यह उनके इरादों को कमजोर नहीं करता। उनका लक्ष्य स्पष्ट है जनता के बीच से बदलाव लाना। 

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बिहार में 'सिंघम' की उपलब्धियां कब से कब तक क्या-क्या किया? 

महाराष्ट्र के मूल निवासी होने के बावजूद, शिवदीप लांडे को बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में चुना गया था। बिहार के कई जिलों में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो कार्य किए, उनकी वजह से वह युवाओं के बीच 'सिंघम' के तौर पर पहचाने जाने लगे। 

शिवदीप लांडे ने अपनी इसी सख्त और ईमानदार छवि को लेकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी की है। 

विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए लांडे ने दो सीटों- जमालपुर और अररिया- को ही क्यों चुना? इसके पीछे एक गहरा भावनात्मक और व्यावहारिक कारण है। 

गहरा जुड़ाव: शिवदीप लांडे ने इन दोनों क्षेत्रों को अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए चुना क्योंकि, आईपीएस अधिकारी के रूप में ड्यूटी करते हुए उनका इन इलाकों से गहरा जुड़ाव रहा है और वह यहां सालों तक ड्यूटी कर चुके हैं। 

विकास से दूरी: शिवदीप लांडे ने बताया कि ये इलाके आज भी विकास से दूर हैं और जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है। लांडे ने यह संकल्प लिया है कि यदि जनता उन्हें अवसर देती है तो वह इन क्षेत्रों में निम्नलिखित प्राथमिकताओं पर काम करेंगे। 

जमालपुर से शुरू हुआ शिवदीप लांडे का एक्शन करियर 

मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला जिले के परसा गाँव के रहने वाले शिवदीप वामन लांडे 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे दो भाइयों में बड़े हैं। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद, शिवदीप मुंबई में रहकर यूपीएससी की तैयारी करते रहे। अपने शुरुआती वर्षों में, उन्होंने कुछ समय के लिए भारतीय राजस्व विभाग में भी काम किया। इसी दौरान, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया।

बिहार लौटने के बाद, शिवदीप लांडे की पहली पोस्टिंग मुंगेर जिले में हुई। अपने परिवीक्षा काल के दौरान, शिवदीप मुंगेर जिले के धरहरा खड़गपुर थाने के प्रभारी नियुक्त किए गए। उस समय, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनी ही थी। नीतीश कुमार ने राज्य में कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए अधिकारियों को पूरी छूट दे दी थी। मुंगेर में सेवा के दौरान, शिवदीप लांडे का पद नक्सलियों के प्रभाव में था। इस आईपीएस अधिकारी ने अपने परिवीक्षा काल के दौरान नक्सलियों के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई की।

शिवदीप नक्सलियों के सफाए के लिए अक्सर ग्रामीण इलाकों का दौरा करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने ग्रामीणों के साथ एक अनोखा रिश्ता बना लिया था। शिवदीप ने न केवल उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया, बल्कि हर संभव तरीके से उनके सुख-दुख में भागीदार भी बने। एक पुलिस अधिकारी के रूप में उनकी यही खूबी उन्हें पूरे मुंगेर जिले में चर्चा का विषय बनाती थी।

2015 में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) में सेवारत रहते हुए शिवदीप लांडे को मुंगेर जिले के जमालपुर इलाके में रहने का मौका मिला। वीआरएस लेने के बाद भी शिवदीप लांडे अक्सर जमालपुर इलाके में आते-जाते रहते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवदीप ने इस इलाके की गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया था।

आज भी अररिया में एक नायक हैं शिवदीप लांडे 

पटना में कुछ दिनों तक सेवा देने के बाद, शिवदीप वामन लांडे को सीमावर्ती जिले अररिया का एसपी नियुक्त किया गया। यहाँ शिवदीप ने कई मामलों को सुलझाया और जनता के एसपी के रूप में अपनी ख्याति स्थापित की।

अररिया निवासी एक घटना को याद करते हुए कहते हैं, "केके सिंघानिया कोलकाता के एक प्रमुख व्यवसायी थे। वे हाथी दांत का व्यापार करते थे। उनके खिलाफ फारबिसगंज थाने में एक मामला दर्ज किया गया था। शिवदीप लांडे को मामला खारिज करवाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। उनके प्रभाव का भी दबाव डाला गया, लेकिन उन्होंने झुकने से इनकार कर दिया।"

अररिया निवासी बताते हैं कि शिवदीप लांडे ने तमाम धमकियों और प्रस्तावों को नज़रअंदाज़ करते हुए, केके सिंघानिया के खिलाफ फारबिसगंज थाने में स्टेशन डायरी दर्ज कराई। इतने प्रमुख व्यवसायी के खिलाफ बिना किसी हिचकिचाहट के कार्रवाई करना न केवल मुंगेर में, बल्कि पूरे बिहार में चर्चा का विषय बन गया।

इसके अलावा, शिवदीप लांडे ने कस्टम और विशेष उपनिरीक्षक ब्यूरो (SSB) के साथ मिलकर तस्करों के खिलाफ कई अभियान चलाए। उस दौर को याद करते हुए, अररिया निवासी बताते हैं कि शिवदीप लांडे के अररिया के एसपी रहते तस्करों ने अपना धंधा बंद कर दिया था। इसके अलावा, शिवदीप लांडे ने अररिया के कई कुख्यात अपराधियों के खिलाफ भी तुरंत कार्रवाई की। कहा जाता है कि शिवदीप लांडे के कार्यकाल में अपराधी या तो अपराध छोड़ देते थे या ज़िला छोड़कर चले जाते थे।

Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज
Explainer : Bihar में खाकी वर्दी वाले 'सिंघम' ने भी ठोकी चुनावी ताल, कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

शिवदीप लांडे जहां भी रहे, छात्राओं के लिए भाई बन गए

मुंगेर ज़िले में आने के बाद से, शिवदीप लांडे पटना हो या अररिया, हर जगह छात्राओं और महिलाओं के लिए भाई की तरह रहे हैं। वे कॉलेजों और स्कूलों में जाते और उन्हें अपना मोबाइल नंबर देते। वे छात्राओं से कहते कि अगर उन्हें सड़क पर, स्कूलों, कॉलेजों या आस-पड़ोस में कोई आवारा लड़का परेशान करता दिखे, तो तुरंत शिवदीप लांडे को फ़ोन करें या मैसेज करें। कई मौकों पर, शिवदीप लांडे ने ऐसे फ़ोन और मैसेज का जवाब दिया है और घटनास्थल पर महिलाओं और छात्राओं की रक्षा की है।

एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में, शिवदीप वामन लांडे ने कहा कि पुलिस में रहते हुए उन्होंने पूरे मन से समाज की सेवा की। अब उन्होंने सिर्फ़ अपनी वर्दी उतारी है, लेकिन उनके शरीर की पूरी त्वचा किसी वर्दी से कम नहीं है। अब वे सरकार द्वारा दी गई वर्दी से बाहर निकलकर जनता के बीच जाना चाहते हैं, उनके सुख-दुख का अनुभव करना चाहते हैं और उन्हें दूर करना चाहते हैं।

IPS Shivdeep Lande कहते हैं कि जमालपुर और अररिया से उनका खास लगाव है। वे जमालपुर की तुलना किसी हिल स्टेशन से करते हैं। माना जा सकता है कि यही वजहें हैं कि शिवदीप लांडे ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अररिया और मुंगेर ज़िलों की जमालपुर सीट को चुना। गौरतलब है कि शिवदीप लांडे पूर्णिया और पटना में अपनी पोस्टिंग के दौरान भी सुर्खियों में रहे थे। इन जगहों के लोग उन्हें जनता के एसपी के तौर पर याद करते हैं।

शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार महिला सुरक्षा

महाराष्ट्र के आईपीएस शिवदीप लांडे और बिहार का कैडर क्या कहते हैं विश्लेषक? यह तथ्य भी दिलचस्प है कि शिवदीप लांडे मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले हैं, लेकिन वह बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी चुने गए थे। 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका बाहरी होना कोई बड़ी बाधा नहीं है। बल्कि, उनकी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जो लोकप्रियता है, वह उन्हें वोट दिलाने में मदद कर सकती है। उनकी स्वच्छ और दमदार छवि ने उन्हें बिहार की जनता के बीच एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में स्थापित किया है। 

शिवदीप लांडे की बिहार चुनाव में एंट्री ने निश्चित रूप से इस बार के चुनाव को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। देखना यह होगा कि क्या एक पूर्व 'सिंघम' अधिकारी राजनीति के इस नए मैदान में भी जीत का परचम लहरा पाता है या नहीं। 

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