Advertisment

Explainer : बिहार चुनाव 2025 से पहले 'बुर्के' पर सियासी घमासान, क्या है पूरा मामला?

बिहार चुनाव से पहले 'बुर्के' पर सियासी बवाल BJP ने चुनाव आयोग से बूथ पर बुर्का पहनी महिलाओं के चेहरे का EPIC से सख्ती से मिलान करने की मांग की है ताकि फर्जी वोटिंग रुक सके। RJD ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश बताया। जानिए क्या है पहचान का मुद्दा?

author-image
Ajit Kumar Pandey
BIHAR ELECTION 2025 UPDATE

Explainer : बिहार चुनाव 2025 से पहले 'बुर्के' पर सियासी घमासान, क्या है पूरा मामला? यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही 'बुर्का' एक नई राजनीतिक रणभूमि बन गया है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से मतदान बूथों पर बुर्का पहनी महिलाओं की पहचान को EPIC पहचान पत्र से सख्ती से मिलाने की मांग की है, ताकि फर्जी वोटिंग रोकी जा सके। इस मांग को आरजेडी ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बताते हुए तीखा हमला बोला है। 

Young Bharat News के इस Explainer में विस्तार से जानिए आखिर क्या है यह पूरा मामला और क्यों गरमाई है बिहार की सियासत? क्या कहता है भारतीय कानून?

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा अभी से चढ़ने लगा है। इस बार, चुनावी रणनीति और दांव-पेंच के बीच 'बुर्के पर सियासत' ने एक नया और संवेदनशील मुद्दा खड़ा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी की एक विशिष्ट मांग ने विरोधी खेमे, खासकर राष्ट्रीय जनता दल को हमलावर होने का मौका दे दिया है। यह मुद्दा न केवल मतदाताओं की पहचान से जुड़ा है, बल्कि इसके तार अल्पसंख्यक वोट बैंक और चुनावी पारदर्शिता के बड़े सवालों से भी जुड़े हैं। 

बीजेपी की वह 'खास मांग', जिसने विवाद खड़ा किया 

बिहार में विधानसभा चुनावी सरगर्मियों के बीच, बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य निर्वाचन आयुक्तों से मुलाकात की। इस बैठक में बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीतियों और मांगों को टीम के सामने रखा। बीजेपी की सबसे ज्वलंत मांग थी "मतदान केंद्रों पर बुर्का या पर्दा पहनकर आने वाली महिलाओं के चेहरे की पहचान उनके मतदाता पहचान पत्र EPIC से सख्ती से मिलाई जाए। ऐसा करना फर्जी वोटिंग को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए अनिवार्य है।" 

Advertisment

यह मांग सीधे तौर पर मतदान की गोपनीयता और संवैधानिक पहचान के संतुलन पर सवाल उठाती है। पार्टी का कहना है कि चेहरा ढका होने की वजह से पहचान का सत्यापन ठीक से नहीं हो पाता, जिसका फायदा उठाकर असामाजिक तत्व फर्जी मतदान कर सकते हैं। 

RJD का तीखा पलटवार 'सांप्रदायिक साजिश' का आरोप 

बीजेपी की इस मांग पर विपक्ष ने तुरंत ही कड़ा रुख अख्तियार कर लिया। आरजेडी ने इसे न सिर्फ आपत्तिजनक बताया बल्कि सीधे तौर पर सियासी और सांप्रदायिक साजिश करार दिया है। आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा 'यह बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति को चुनावी रंग देने की कोशिश है।'

हाल ही में हुए विशेष गहन संशोधन SIR के तहत मतदाता सूची अपडेट की गई है, जिसमें नई फोटो वाली EPIC जारी हो रही हैं। जब फोटो और पहचान पत्र अपडेटेड हैं तो पहचान की कोई समस्या नहीं है। उनका आरोप है कि बीजेपी जानबूझकर अल्पसंख्यक महिलाओं को निशाना बनाकर वोट बैंक में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है। 

Advertisment

कहीं BJP का यह मुद्दा ध्रुवीकरण का 'मास्टरस्ट्रोक' तो नहीं? 

'पहचान' की कानूनी पेचीदगियां यह कोई पहला मौका नहीं है जब चुनावी प्रक्रिया में बुर्का या पर्दे की आड़ में मतदान का मुद्दा उठा हो। इससे पहले, लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली बीजेपी ने भी इसी तरह की सत्यापन की मांग की थी। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और लोकतंत्र में पारदर्शिता के संवैधानिक सिद्धांतों के बीच एक नाजुक संतुलन की मांग करता है। 

Explainer : बिहार चुनाव 2025 से पहले 'बुर्के' पर सियासी घमासान, क्या है पूरा मामला? यंग भारत न्यूज
Explainer : बिहार चुनाव 2025 से पहले 'बुर्के' पर सियासी घमासान, क्या है पूरा मामला? यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

क्या हुआ था चुनाव आयोग की बैठक में?

बुर्के के मुद्दे के अलावा, चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की।

Advertisment
राजनीतिक दलमुख्य मांगें और सुझाव
जनता दल (यूनाइटेड)चुनाव को एक ही चरण में संपन्न कराया जाए।
भारतीय जनता पार्टी (BJP)चुनाव एक या अधिकतम दो चरणों में कराया जाए।
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास)मतदान को दो चरणों तक सीमित रखा जाए।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)फर्जी वोटिंग और सुरक्षा पर चर्चा, लेकिन बुर्का मांग का विरोध।

क्या कहता है भारतीय कानून? जानें, सुप्रीम कोर्ट का रुख 

अदालत ने पहले ही स्पष्ट किया है कि धार्मिक भावनाओं के नाम पर बुर्का पहनकर वोटिंग करना संभव नहीं है, जब तक कि मतदाता की पहचान सुनिश्चित न हो जाए। मतदाता पहचान पत्र EPIC के लिए फोटो अनिवार्य है। 

मतदान केंद्र पर नियम: चुनाव आयोग के नियमानुसार, हर मतदाता की पहचान का मिलान उनके फोटो पहचान पत्र से करना जरूरी है। 

बुर्का या पर्दा: इस सत्यापन प्रक्रिया में बुर्का या पर्दा एक चुनौती पेश कर सकता है, क्योंकि चेहरे का मिलान सीधे नहीं हो पाता। 

बीजेपी ने एक या दो चरणों में मतदान कराने की मांग के साथ मतदाताओं के सत्यापन पर भी जोर दिया। बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं और अक्टूबर-नवंबर में वोटिंग होने की संभावना है। चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान कर सकता है, लेकिन बुर्के पर शुरू हुई यह सियासत अल्पसंख्यक वोटों पर बड़ा असर डाल सकती है। 

यह मुद्दा क्यों बना रहेगा सुर्खियों में है? 

बिहार की राजनीति हमेशा से जातिगत समीकरणों और वोट बैंक की गोलबंदी पर केंद्रित रही है। बुर्के पर शुरू हुआ यह विवाद सीधे तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को प्रभावित करता है, जिन्हें एक बड़े वोट बैंक के रूप में देखा जाता है। 

मामले की संवेदनशीलता के तीन मुख्य बिंदु पारदर्शिता बनाम धार्मिक स्वतंत्रता बीजेपी इसे चुनावी पारदर्शिता के लिए ज़रूरी मानती हैं, जबकि आरजेडी इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अल्पसंख्यक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रही है। 

फर्जी वोटिंग पर चिंता: चुनाव आयोग के लिए भी पहचान की सटीकता सुनिश्चित करना एक चुनौती है। 

राजनीतिक लाभ: दोनों ही दल इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से चुनावी लाभ में बदलना चाहते हैं। 

यह मामला बताता है कि कैसे चुनाव से पहले एक प्रशासनिक मांग भी तुरंत राजनीतिक अखाड़े का हिस्सा बन सकती है जो मतदाताओं के बीच संदेह और भावनाएं पैदा करती हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या अंतिम फैसला लेता है। 

Bihar Polls Burqa Row | EPIC Verification Demand | Communal Polarization Bihar | Fake Voting Crackdown

Fake Voting Crackdown Communal Polarization Bihar EPIC Verification Demand Bihar Polls Burqa Row
Advertisment
Advertisment