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नई दिल्ली/रांची, वाईबीएन डेस्क। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का सोमवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी सर गंगाराम अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. एके भल्ला ने दी। उन्होंने बताया कि सोमवार सुबह 8:56 मिनट पर उनका निधन हुआ।
बाईपास सर्जरी के बाद रिकवरी में हो रही थी दिक्कत
डॉ. एके भल्ला ने बताया कि अधिक उम्र होने व बाईपास सर्जरी होने के चलते रिकवरी में समय लग रहा था। साथ ही वह डायबिटिक भी थे. उनको किडनी और फेफड़े की लंबे समय से बीमारी थी. हाल ही में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी आया था, इसके चलते उन्हें ठीक होने में समय लग रहा है।
बाएं हिस्से में ब्रेन स्ट्रोक होने से पैरालाइसिस था
बता दें कि शरीर के बाएं हिस्से में ब्रेन स्ट्रोक होने से पैरालाइसिस की शिकायत के बाद वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन को सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तभी से वह अस्पताल में आईसीयू में वेंटीलेटर पर थे। इसके चलते झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन करीब एक सप्ताह से दिल्ली में ही रुके हुए थे. शिबू सोरेन का हालचाल लेने के लिए सर गंगाराम अस्पताल में नेताओं का आना-जाना भी लगा हुआ था।
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
आज मैं शून्य हो गया हूँ...
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भावपूर्ण संदेश
झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेने ने अपने पिता के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बेहद भावपूर्ण संदेश लिखा-'आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ..:
'दिशोम गुरु' के नाम से भी जाने जाते थे
शिबू सोरेन को 'दिशोम गुरु' के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ (तत्कालीन हजारीबाग) जिले के नेमरा गांव में हुआ। उनके पिता सोबरन मांझी की 1957 में हत्या ने उनके जीवन को बदल दिया, जिसके बाद उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन शुरू किया। शिबू ने 1970 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की स्थापना की और सूदखोरी, शराबबंदी, और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
1971 में बने जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव
शिबू सोरेन 1971 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव बने थे। उन्होंने 1977 में दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार मिली थी। इसके बाद 1980 में वे पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद 1989, 1991, 1996, और 2002 में भी वे दुमका से सांसद रहे। लोकसभा के अलावा शिबू सोरेने अपने राजनीतिक करियर में राज्यसभा के भी सदस्य रहे। उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन का नेतृत्व किया, जो 2000 में सफल हुआ।
शिबू सोरेन तीन बार बने मुख्यमंत्री
शिबू सोरेन तीन बार (2005, 2008-09, 2009-10) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, हालांकि वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 2004 में वे यूपीए सरकार में कोयला मंत्री बने, लेकिन चिरूडीह कांड और शशि नाथ झा हत्या मामले में विवादों के कारण इस्तीफा देना पड़ा। हाईकोर्ट ने उन्हें बाद में बरी कर दिया। 1993 के सांसद घूसकांड में भी उनका नाम उछला, लेकिन कोर्ट ने उन्हें राहत दी। उनकी 'लक्ष्मीनिया जीप' आंदोलन के दिनों की प्रतीक रही। उनके बेटे हेमंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्य भी जेएमएम के माध्यम से उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
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