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गढ़चिरौली विधेयक पर संग्राम : Rahul Gandhi लेफ्ट के दबाव में? फडणवीस के आरोप से सियासी हलचल | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक पर CM देवेंद्र फडणवीस के बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने राहुल गांधी पर अति-वामपंथी विचारों से घिरे होने का आरोप लगाया, जिससे विधेयक के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।
गढ़चिरौली में महाराष्ट्र के विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक को लेकर सियासी पारा हाई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया, जिसने न सिर्फ विपक्ष, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी खलबली मचा दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब यह विधेयक संयुक्त प्रवर समिति के पास गया, तो हर धारा का बारीकी से अध्ययन किया गया। विपक्ष ने भी माना कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका दुरुपयोग हो सके, या जो संविधान के खिलाफ हो, या जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो। तो फिर, इस विधेयक का विरोध क्यों?
फडणवीस ने दावा किया कि कुछ मामूली बदलाव सुझाए गए थे, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया और विधेयक पारित हो गया। लेकिन, असली बम तब फूटा जब उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "सब जानते हैं कि राहुल गांधी इस समय अति-वामपंथी विचारों वाले लोगों से घिरे हुए हैं, इसीलिए उन्होंने आदेश दिए हैं। तो उनके लोग आदेशों का पालन कर रहे हैं।" यह बयान अपने आप में कई सवाल खड़े करता है: क्या राहुल गांधी वाकई वामपंथी विचारधारा के प्रभाव में हैं? और क्या इसका असर कांग्रेस की नीतियों पर दिख रहा है?
विधेयक पर मंथन: क्या वाकई दुरुपयोग की गुंजाइश नहीं?
यह विधेयक, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा को मजबूत करना है, लंबे समय से चर्चा में है। सरकार का तर्क है कि यह राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है, खासकर नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जैसे क्षेत्रों में। जब इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा गया, तो इसे एक तरह से "अग्नि परीक्षा" से गुजरना पड़ा। समिति ने क्लॉज-दर-क्लॉज इसका अध्ययन किया, और फडणवीस के अनुसार, विपक्ष भी इस बात पर सहमत था कि इसमें दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं है।
तो फिर, अब अचानक इस पर आपत्ति क्यों? क्या यह सिर्फ राजनीतिक विरोध है, या इसमें कुछ और भी छिपा है? सरकार और विपक्ष के बीच इस खींचतान में आम जनता पिस रही है, जो यह जानने को उत्सुक है कि इस विधेयक का उनके जीवन पर क्या असर पड़ेगा।
#WATCH | Gadchiroli: On Maharashtra's Special Public Security Bill, CM Devendra Fadnavis says, "When this Bill went to the Joint Select Committee, a clause by clause study was done. Then the Opposition also realised that there is nothing in this Bill that can be misused, there is… pic.twitter.com/fIFCW8fmtZ
— ANI (@ANI) July 22, 2025
राहुल गांधी और लेफ्ट कनेक्शन: कितनी सच्चाई?
फडणवीस का यह बयान कि राहुल गांधी अति-वामपंथी विचारों से घिरे हैं, कोई छोटा आरोप नहीं है। भारतीय राजनीति में वामपंथी विचारधारा का एक अलग स्थान रहा है, और इसे अक्सर मुख्यधारा की राजनीति से अलग देखा जाता है। यदि राहुल गांधी वाकई इस विचारधारा के प्रभाव में हैं, तो यह कांग्रेस के पारंपरिक मध्यमार्गी रुख से एक बड़ा विचलन हो सकता है।
क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक दांव है, या इसके पीछे कोई ठोस आधार है? हाल के दिनों में, कांग्रेस के कुछ बयानों और फैसलों को वामपंथी झुकाव के रूप में देखा गया है। क्या यह सिर्फ संयोग है, या एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा? यह सवाल न केवल राजनीतिक विश्लेषकों, बल्कि आम जनता के मन में भी कौंध रहा है।
विपक्ष की भूमिका में राजनीतिक दांवपेंच
विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इस विधेयक पर अपनी आपत्ति क्यों जता रहा है, यह भी एक अहम सवाल है। यदि समिति स्तर पर सहमति बन गई थी, तो अब यू-टर्न का क्या औचित्य है? क्या यह सिर्फ भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति है?
राजनीति में अक्सर ऐसे दांवपेंच देखे जाते हैं, जहां सहमतियों से पलटा जाता है और नए मुद्दे उछाले जाते हैं। लेकिन, जब बात सार्वजनिक सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे की हो, तो इसमें राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत होती है। फडणवीस का बयान इस पूरे मामले को एक नया मोड़ देता है, जहां विधेयक की कानूनी वैधता से ज्यादा राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई हावी होती दिख रही है।
इस बयान के बाद, महाराष्ट्र की राजनीति में टकराव और बढ़ने की संभावना है। गढ़चिरौली विधेयक अब सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारधाराओं की लड़ाई का अखाड़ा बन गया है। राहुल गांधी और उनके कथित अति-वामपंथी विचारों पर फडणवीस का हमला, आने वाले दिनों में और तीखा हो सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस आरोप का कैसे जवाब देती है। क्या वे आरोपों को खारिज करेंगे, या अपनी नीतियों को और स्पष्ट करेंगे? इस पूरे प्रकरण का असर न केवल महाराष्ट्र, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।
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