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"विपक्ष से पहले हेमा मालिनी ने तोड़ दी चुप्पी, संसद सत्र शुरू होने से पहले आया रिएक्शन!"

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने विपक्ष से अपील की है कि वे सदन को बिना बाधा चलने दें। उन्होंने कहा कि संसद का शांतिपूर्वक संचालन देशहित में है।

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Ajit Kumar Pandey

"विपक्ष से पहले हेमा मालिनी ने तोड़ दी चुप्पी, संसद सत्र शुरू होने से पहले आया रिएक्शन!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली में संसद का मानसून सत्र सोमवार 21 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है। इस बार सबकी निगाहें विपक्ष और सरकार के रिश्तों पर टिकी हैं। क्या सदन सुचारु रूप से चलेगा या फिर हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा? भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने उम्मीद जताई है कि इस बार कोई बाधा नहीं आएगी, जो देश हित में होगा।

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संसद का आगामी मानसून सत्र, जो सोमवार 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। हर बार की तरह, इस बार भी सत्र के हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की अनुभवी सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने एक सकारात्मक उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा है कि अगर संसद बिना किसी व्यवधान के चलती है, तो यह सभी के लिए फायदेमंद होगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण और विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की उम्मीद कर रहा है।

हेमा मालिनी का बयान: शांति की अपील

हेमा मालिनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "संसद 21 जुलाई से शुरू होने जा रही है... हमें उम्मीद है कि विपक्ष की ओर से कोई व्यवधान नहीं आएगा। अगर संसद सुचारु रूप से चलती है तो यह सभी के लिए फायदेमंद होगा।" उनका यह बयान विपक्ष से एक तरह की अपील है कि वे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा में सहयोग करें, बजाय इसके कि वे कार्यवाही को बाधित करें। पिछले कुछ सत्रों में हमने देखा है कि सदन में कई बार गतिरोध की स्थिति बनी है, जिससे विधायी कार्य प्रभावित हुए हैं और जनता के महत्वपूर्ण मुद्दे अधर में लटक गए हैं।

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क्यों है इस बार उम्मीद की किरण?

हालांकि पिछले कुछ सत्रों में गतिरोध आम बात रही है, इस बार कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो शांतिपूर्ण सत्र की ओर इशारा कर सकते हैं। सरकार और विपक्ष दोनों पर जनता का दबाव है कि वे देश के सामने मौजूद चुनौतियों का समाधान करें। अर्थव्यवस्था, महंगाई, रोजगार और विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठने की संभावना है। ऐसे में, किसी भी पक्ष के लिए लगातार गतिरोध पैदा करना जनता की नजरों में नकारात्मक छवि बना सकता है।

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अहम मुद्दे और विपक्ष की रणनीति

संसद का मानसून सत्र हमेशा की तरह कई महत्वपूर्ण बिलों और मुद्दों पर चर्चा का गवाह बनेगा। विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है। महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर की स्थिति (यदि उस पर चर्चा आवश्यक हो), और आने वाले चुनावों को देखते हुए विभिन्न राज्यों के मुद्दे भी इसमें शामिल होंगे। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष अपने मुद्दों को उठाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा का मार्ग अपनाता है या फिर सदन को बाधित करने की रणनीति पर चलता है।

सरकार की तैयारी और विधायी एजेंडा

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सरकार भी इस सत्र के लिए पूरी तरह से तैयार है। कई महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में पेश किए जाएंगे और पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। इनमें जनहित से जुड़े कई बिल शामिल हो सकते हैं जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार की कोशिश रहेगी कि वह विपक्ष को भी साथ लेकर चले ताकि महत्वपूर्ण विधेयकों को आसानी से पारित कराया जा सके और जनहित के कार्यों को गति दी जा सके।

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