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IC814 Hijack लाल बैग लेकर 3 आतंकियों के साथ जसवंत सिंह क्यों गए थे कंधार?

ये बात आज भी पहेली बनी हुई है कि आखिरकार जसवंत को आतंकियों के साथ जाने की क्या जरूरत थी। उससे भी बड़ी पहेली ये भी है कि जब विदेश मंत्री कंधार गए तो उनके हाथ में एक लाल बैग था।

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Shailendra Gautam
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Kandahar Hijack

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः IC814 Hijack की कहानी 24 दिसंबर 1999 को शुरू हुई और 31 दिसंबर को उस वक्त खत्म हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेशमंत्री जसवंत सिंह खुद आतंकियों को कंधार छोड़कर आए। उसके बाद बंधकों को तो छुड़ा लिया गया लेकिन ये बात आज भी पहेली बनी हुई है कि आखिरकार जसवंत को आतंकियों के साथ जाने की क्या जरूरत थी। उससे भी बड़ी पहेली ये भी है कि जब विदेश मंत्री कंधार गए तो उनके हाथ में एक लाल बैग था। उनके साथ गए अमले के हाथ में भी एक बैग था पर वो काला था। दोनों बैगों में आखिर क्या था?  India | afganistan

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आज तक नहीं सुलझी एक काले और दो लाल बैंगों की गुत्थी

IC814 के अपहरण के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है, लेकिन 1999 के कंधार अपहरण के कई पहलू अभी भी रहस्य में डूबे हुए हैं, खासकर दो लाल बैग और एक काला ब्रीफकेस, जिन्होंने इस घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रीफकेस और बैग में क्या था? फ्लाइट के अपहरण से जुड़े सभी सवालों के जवाब 26 साल बाद भी नहीं मिल पाए हैं। लाल बैगों में से एक को काठमांडू के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आतंकी अपने साथ लेकर आए थे। कहा जाता है कि इसमें विस्फोटक थे, जिससे सरकार की घिग्गी बंध गई। क्या इसमें आरडीएक्स या ग्रेनेड थे? इसके बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी पता नहीं चल सका, हालांकि तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने अपनी पुस्तक 'इन सर्विस ऑफ इमर्जेंट इंडिया - ए कॉल टू ऑनर' में इस पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश की है। कंधार गए तीन आतंकवादियों के साथ जसवंत सिंह का दूसरा लाल बैग और उसके भीतर की चीजें अभी भी रहस्य हैं। 

24 दिसंबर को अगवा की गई थी फ्लाइट 814 

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काठमांडू से दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 को 24 दिसंबर, 1999 को भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही अपहरण कर लिया गया था। इसमें 15 क्रू सदस्यों सहित 191 यात्री सवार थे। पांच अपहर्ता थे जिन्होंने मांग की कि विमान के कप्तान देवी शरण इसे काबुल ले जाएं। जब उन्हें बताया गया कि इसमें काबुल तक की दूरी तय करने के लिए आवश्यक ईंधन नहीं है तो पांच आतंकियों ने इसे लाहौर ले जाने को कहा। पाकिस्तानी अधिकारियों ने प्लेन को लाहौर हवाई अड्डे पर उतरने की अनुमति नहीं दी तो विमान को अमृतसर ले जाया गया। 

दुबई में रिहा कर दिए गए थे विमान के 27 बंधक

विमान अमृतसर में लगभग 50 मिनट तक इंतजार करता रहा, लेकिन ईंधन भरने में देरी के कारण आतंकी विमान को लेकर भाग निकले। दुबई में ईंधन भरा गया और अपहर्ताओं और यूएई अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद 27 यात्रियों और रूपेन के शव को छोड़ दिया गया। इसके बाद विमान को कंधार ले जाया गया, जहां यात्रियों ने बंदूकों के साए में छह और दिन बिताए। अपहर्ताओं ने शुरू में 36 कैदियों की रिहाई और 200 मिलियन डॉलर की फिरौती की मांग की। भारत सरकार ने आईसी 814 के अपहर्ताओं के साथ बातचीत की, जिसमें तालिबान मध्यस्थ के रूप में काम कर रहा था। भारत ने तीन आतंकयों अहमद उमर सईद शेख, मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करने के बाद 155 यात्रियों को रिहा किया गया।

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जसवंत सिंह के हाथ में था लाल तो एक अफसर के पास काला बैग

विदेश मंत्री जसवंत सिंह उन तीन आतंकवादियों के साथ विमान में थे जिन्हें भारत रिहा करने जा रहा था। उनके साथ एक लाल बैग था। हालांकि जसवंत सिंह ने अपनी पुस्तक 'इन सर्विस ऑफ इमर्जेंट इंडिया - ए कॉल टू ऑनर' में कहा है कि सरकार ने अपहर्ताओं की 200 मिलियन डॉलर की फिरौती की मांग को खारिज कर दिया था। तो सवाल है कि जसवंत सिंह को तीनों आतंकवादियों के साथ कंधार जाने की क्या जरूरत थी। तीन खूंखार आतंकियों को ले जाने वाले भारतीय दल के पास एक काला ब्रीफकेस भी था। पत्रकार सुनीता चौधरी ने 2019 में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसमें कहा गया कि फ्लाइट में जसवंत सिंह के साथ चार अधिकारी थे, इनमें पूर्व सीबीआई निदेशक एपी सिंह थे, रंजीत नारायण और सुरेंदर पांडेय, थे। उनके साथ एसपीजी कमांडो की एक टीम थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन एयरलाइंस के एक वरिष्ठ अधिकारी के काले ब्रीफकेस में 1,00,000 डॉलर नकद थे। इस नकदी का इस्तेमाल कंधार में ईंधन के भुगतान के लिए किया जाना था। ईधन 40,000 डॉलर का था, लेकिन टीम के पास उससे ज्यादा पैसा था। इसकी क्या वजह थी।

IC 814 के कार्गो होल्ड में आतंकवादियों का लाल सूटकेस

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जसवंत सिंह के साथ लाल बैग की तरह IC814 में एक और लाल बैग था। कुछ लोगों के अनुसार यह बैग नहीं, बल्कि लाल सूटकेस था। अपनी पुस्तक के अंतिम पहेली अध्याय में जसवंत सिंह प्लेन के कार्गो होल्ड में रखे उस लाल बैग के बारे में बात करते हैं। अपहृत विमान को उसी शाम कंधार से बाहर नहीं निकाला जा सका था जब यात्रियों को रिहा किया गया। जसवंत सिंह लिखते हैं कि विमान को आठ दिनों तक कंधार में ही रखा गया था। जसवंत सिंह के अनुसार लाल बैग का रहस्य 2001 में तालिबान शासन के पतन और तालिबान के विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकील की गिरफ्तारी के बाद सामने आया। वो अपहर्ताओं के साथ बातचीत कर रहे थे। जसवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि लाल बैग अपर्ताओं में से एक का था। इसमें विस्फोटक और आतंकियों के असली पासपोर्ट थे। जल्दबाजी में वो इसे होल्ड में भूल गए थे। अपहर्ता मुत्तवकील की लाल पजेरो में वापस आए और उन्हें आईसी 814 के कार्गो होल्ड में रखे सभी लाल बैग दिखाए गए। यह सब बंधकों के चले जाने के बाद हुआ। आतंकियों ने एक लाल बैग को उठाया था। माना जाता है कि इसमें ग्रेनेड थे। 

एक्स डिप्लोमेट ने अपनी किताब में किया जिक्र

इस्लामाबाद स्थित भारतीय राजनयिक एआर घनश्याम ने कंधार जाकर अपहर्ताओं से बातचीत की थी। उन्होंने अपनी पत्नी और पूर्व राजनयिक रुचि घनश्याम की पुस्तक एन इंडियन वूमन इन इस्लामाबाद के एक अध्याय में कुध रहस्य खोले हैं। किताब में लिखा है कि घनश्याम को सूचना मिली थी कि विमान में कुछ ऐसा रखा गया था जो आधी रात को विस्फोट कर सकता था। उन्होंने लिखा है कि अपहर्ताओं में से एक ने अजीत डोभाल को चुपके से बताया था कि विमान में भारत सरकार के लिए नए साल का गिफ्ट है। पुस्तक के अनुसार लाल बैग का रहस्य घटना के दो साल बाद तब खुला जब 2001 में तालिबान की हार के बाद तत्कालीन तालिबान विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकिल को अमेरिका ने गिरफ्तार किया गया। 

पजेरो में बैठा रहस्यमयी शख्स देख रहा था लाल बैग

उनका कहना था कि लाल बैग अपहर्ताओं में से एक का था। इसमें विस्फोटक थे और संभवतः असली पासपोर्ट भी थे। जल्दबाजी में अपहर्ता इसे होल्ड में भूल गए थे। जब तक वो इसे वापस लेने आए, तब तक बंधकों को रिहा कर दिया गया था। मुत्तवकील अभी भी हवाई अड्डे पर थे, और अपहर्ताओं के लाल सूटकेस को खोजने की कोशिश कर रहे थे। घनश्याम ने कंधार में मुत्तवकील की लाल पजेरो के बारे में भी बताया, जो होल्ड के ठीक सामने खड़ी थी, जबकि अन्य लोग विमान में लाल बैग की तलाश कर रहे थे। यह पता नहीं चल सका कि पजेरो में कौन था, क्योंकि उसमें रंगीन शीशे थे। उस समय आतंकियों के साथ होल्ड से हर लाल बैग निकालते और कार को दिखाते और फिर उसे वापस होल्ड में ले जाते। घनश्याम लिखते हैं कि कैप्टन सूरी को बाद में किसी अफगानी शख्स से पता चला था कि बैग में पांच ग्रेनेड थे। लेकिन पुख्ता तौर पर नहीं पता लग सका कि बैगों में आखिर क्या था। ये मामला बाद के कई सालों तक तूल पकड़ता रहा। कांग्रेस ने जेपीसी की मांग की। पार्टी का कहना था कि वाजपेयी सरकार आतंकियों के सामने घुटनों पर बैठ गई थी। पहले अमृतसर में कोई एक्शन नहीं लिया फिर विदेश मंत्री को आतंकियों के साथ भेज दिया। कांग्रेस का कहना था कि तीन आतंकियों के साथ अपहर्ताओं को मोटी रकम सरकार ने दी थी।


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