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दिलचस्प होगा उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 : जानें किसके नाम दर्ज है बंपर जीत का रिकॉर्ड | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव हमेशा शांत रहा है, लेकिन 2025 का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच ‘दक्षिण बनाम दक्षिण’ की जंग ने माहौल गरमा दिया है। इस चुनाव में क्या एनडीए पिछले रिकॉर्ड तोड़ पाएगी? आइए, जानते हैं कि कैसे 1997 के बाद सबसे बड़ी जीत और हार का रिकॉर्ड बना।
भारतीय राजनीति में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को हमेशा एक शांत और गरिमामय संवैधानिक प्रक्रिया माना जाता रहा है। लेकिन, इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का नजारा कुछ और ही कहानी बता रहा है। सियासी गलियारों में हलचल है क्योंकि, सत्तारूढ़ एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है और विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को। दोनों ही उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं जिससे यह मुकाबला 'दक्षिण बनाम दक्षिण' की दिलचस्प लड़ाई बन गया है।
इतिहास की नजर से क्या कहता है अतीत का आंकड़ा?
जब भी उपराष्ट्रपति चुनाव की बात होती है, तो हमेशा पिछले आंकड़ों पर नजर जाती है। ये आंकड़े हमें बताते हैं कि जिस पार्टी की सरकार केंद्र में होती है, उसके उम्मीदवार की जीत लगभग तय होती है। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि कुछ जीतें सामान्य नहीं थीं, बल्कि उन्होंने इतिहास रच दिया। पिछले तीन दशकों में सबसे बड़ी जीत और हार का रिकॉर्ड बना है।
केआर नारायणन की ऐतिहासिक जीत: साल 1992 में, केआर नारायणन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार काका जोगिंदर सिंह को करारी शिकस्त दी थी। जोगिंदर सिंह को सिर्फ एक वोट मिला, जबकि नारायणन के खाते में 700 वोट गए। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसे तोड़ना लगभग नामुमकिन है।
जगदीप धनखड़ की बंपर जीत: 2022 के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने 74.37% वोटों के साथ रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की। उन्हें 528 वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को मात्र 182 वोट मिले। यह पिछले 30 सालों में सबसे बड़ी जीत थी और साथ ही विपक्षी उम्मीदवार की सबसे बड़ी हार भी।
उपराष्ट्रपति चुनाव का गणित: किसका पलड़ा भारी?
इस बार भी गणित साफ है। उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मतदान करते हैं। कुल 782 योग्य सदस्यों में से जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत है।
एनडीए का संख्या बल: लोकसभा में 293 सीटें और राज्यसभा में 133 सीटें मिलाकर एनडीए के पास 426 वोट हैं। अगर क्रॉस वोटिंग नहीं होती है, तो यह आंकड़ा उनकी जीत के लिए पर्याप्त है।
विपक्ष की रणनीति: विपक्ष अपनी सीमित संभावनाओं से वाकिफ है, लेकिन वे इस चुनाव को एक प्रतीकात्मक लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को मैदान में उतारकर विपक्ष ने एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है।
अक्सर निर्विरोध क्यों चुने जाते हैं उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति चुनाव का इतिहास देखें तो कई बार यह पद बिना किसी मुकाबले के ही भर दिया गया। ऐसा तब होता है जब मुख्य दल सर्वसम्मति से किसी उम्मीदवार पर सहमत हो जाते हैं, या विपक्ष अपनी हार तय मानकर कोई उम्मीदवार खड़ा ही नहीं करता।
1952 और 1957: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन लगातार दो बार निर्विरोध चुने गए।
1969: गोपाल स्वरूप पाठक।
1979: मोहम्मद हिदायतुल्लाह।
1987: डॉ. शंकर दयाल शर्मा।
इन निर्विरोध जीतों ने यह स्थापित किया कि उपराष्ट्रपति का पद अक्सर राजनीतिक खींचतान से दूर रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें बदलाव आया है।
क्या इस बार टूटेगा जगदीप धनखड़ का रिकॉर्ड?
यह सवाल हर किसी के मन में है। एनडीए के पास बहुमत है, लेकिन क्या वे 2022 की तरह एकतरफा जीत दोहरा पाएंगे? सीपी राधाकृष्णन एक अनुभवी नेता और राज्यपाल रहे हैं। वहीं, बी. सुदर्शन रेड्डी का सुप्रीम कोर्ट का अनुभव उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। इस चुनाव का परिणाम 9 सितंबर को घोषित होगा। तब पता चलेगा कि क्या जगदीप धनखड़ का रिकॉर्ड टूटता है, या फिर यह मुकाबला 'दक्षिण बनाम दक्षिण' की जंग को एक नया आयाम देता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के दिलचस्प आंकड़े
1962: जाकिर हुसैन (97.59%) ने एन. सी. सामंतसिंहार को हराया।
1974: बीडी जट्टी (कांग्रेस) ने 521 वोटों के साथ विशाल जीत दर्ज की।
1997: कृष्ण कांत (जनता दल) ने 61.76% वोटों से जीत हासिल की।
2002: भैरोंसिंह शेखावत (बीजेपी) ने सुशील कुमार शिंदे को हराया।
हर चुनाव एक नया इतिहास लिखता है, और 2025 का यह मुकाबला भी एक नई कहानी गढ़ने को तैयार है।
Vice President Election 2025 | South Vs South Battle | NDA Record Repeat | Dhankhar 74 Percent Win