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क्या ईरान पर हमले के पीछे दादागिरी है? जानिए — कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के बयान ने क्यों मचाई हलचल? | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।हाल ही में मध्य पूर्व में बढ़े तनाव ने दुनियाभर की चिंताएं बढ़ा दी हैं, खासकर जब बात ईरान पर कथित हमलों की आती है। इस मुश्किल घड़ी में, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने भारत को अपने पुराने दोस्त ईरान के साथ खड़े होने का आह्वान किया है। उन्होंने साफ कहा कि ईरान पर हमला "दादागिरी" है और भारत को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए। क्या वाकई ये सिर्फ दादागिरी है या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई और भारत के लिए इसके मायने।
ईरान पर संकट: भारत के लिए नैतिक और रणनीतिक चुनौती
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बयान ऐसे समय आया है, जब ईरान और इज़राइल के बीच तनाव चरम पर है। मसूद ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के ईरान के साथ न केवल गहरे व्यापारिक संबंध हैं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव भी सदियों पुराना है। उन्होंने याद दिलाया कि ईरान ने हर मुश्किल वक्त में भारत का साथ दिया है, ऐसे में अब हमारी बारी है कि हम उनके साथ खड़े हों।
उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने कोई हमला नहीं किया, बल्कि उस पर हमला किया गया है। ईरान ने हमेशा अपने परमाणु कार्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की निगरानी में रखने की पेशकश की है, फिर भी उस पर हमले हो रहे हैं। यह साफ तौर पर कुछ बड़ी ताकतों की "दादागिरी" है, जिसके खिलाफ सभी देशों को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।
यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्या भारत अपने ऐतिहासिक संबंधों और नैतिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देगा या भू-राजनीतिक दबाव में चुप रहेगा? ईरान मध्य एशिया में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और रणनीतिक साझेदार रहा है, खासकर चाबहार बंदरगाह परियोजना के माध्यम से, जो भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंच प्रदान करता है। ऐसे में ईरान के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का भारत के हितों पर सीधा असर पड़ना तय है।
#WATCH | Delhi: Congress MP Imran Masood says, "We should stand with Iran. Iran is an old friend of ours. We have trade relations and cultural ties with them...So, we should stand with Iran firmly. Iran has always supported us in every way. So, we should be seen standing with… pic.twitter.com/SWUUbiGAJf
— ANI (@ANI) June 23, 2025
क्यों जरूरी है भारत का ईरान के साथ खड़ा होना?
इमरान मसूद के बयान में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जिन पर गौर करना जरूरी है:
ऐतिहासिक संबंध: भारत और ईरान के बीच प्राचीन काल से व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। ये संबंध सिर्फ लेन-देन तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों से लोगों के बीच गहरे जुड़ाव को दर्शाते हैं।
व्यापारिक हित: ईरान भारत के लिए तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहा है, और प्रतिबंधों के बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते कायम हैं। चाबहार बंदरगाह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी कितनी मजबूत है।
क्षेत्रीय स्थिरता: मध्य पूर्व में स्थिरता भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस क्षेत्र में लाखों भारतीय काम करते हैं और भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा यहीं से पूरा करता है। ईरान पर किसी भी तरह का हमला इस क्षेत्र को और अस्थिर कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय कानून और दादागिरी: मसूद का यह तर्क कि ईरान पर हमला "दादागिरी" है, अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों पर आधारित है। यदि एक देश को बिना किसी उकसावे के लगातार निशाना बनाया जाता है, तो यह वैश्विक व्यवस्था के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करता है। भारत हमेशा से अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता का सम्मान करने वाला देश रहा है।
आपको क्या लगता है? क्या भारत को ईरान का साथ देना चाहिए? या उसे तटस्थ रहना चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में बताएं!
Iran Israel Conflict