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डीके शिवकुमार ने खोल दिया राज! अटकलों का बाजार गर्म, क्या थी 'नवंबर रिवॉल्यूशन' की कहानी?

डीके शिवकुमार ने 'नवंबर रिवॉल्यूशन' की अटकलों पर ब्रेक लगा दिया है। डिप्टी सीएम ने सिद्धारमैया को पूर्ण समर्थन दिया, साफ कहा कि कांग्रेस सरकार में कोई मतभेद नहीं है और सीएम पूरे 5 साल का कार्यकाल करेंगे?

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Ajit Kumar Pandey
KARNATAKA POLLITICS UPDATE

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कर्नाटक की राजनीति में चल रहे 'नवंबर रिवॉल्यूशन' और सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साफ किया कि राज्य की कांग्रेस सरकार में कोई अंदरूनी खींचतान नहीं है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। विधायकों के दिल्ली दौरे को भी उन्होंने मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले नेतृत्व से मिलने का एक 'सामान्य राजनीतिक व्यवहार' बताया है। इस विस्तृत स्पष्टीकरण ने अफवाहों पर विराम लगा दिया है। 

बीते कुछ दिनों से कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में सब कुछ ठीक नहीं होने की खबरें राजनीतिक गलियारों में जोर पकड़ रही थीं। अचानक, डीके शिवकुमार के कुछ समर्थक माने जाने वाले विधायक दिल्ली पहुंचने लगे। इस अचानक हुए मूवमेंट ने अटकलों को हवा दी कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की कोई नई कोशिश चल रही है, जिसे कुछ नेताओं ने नाम दिया – 'नवंबर रिवॉल्यूशन'। 

इस रिवॉल्यूशन की चर्चा का मुख्य बिंदु था मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच कथित मनमुटाव और सत्ता की साझेदारी को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान। अफवाहें थीं कि आलाकमान राज्य में नेतृत्व बदलने पर विचार कर रहा है, या फिर दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने खेमे को मजबूत करने की कोशिश में हैं। 

इन तेज होती राजनीतिक सुगबुगाहटों के बीच, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का बयान सामने आया, जिसने सभी दावों को पूरी तरह से नकार दिया। डीके शिवकुमार का X-क्लूसिव जवाब 'ग्रुप बनाना मेरे खून में नहीं है' डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक विस्तृत पोस्ट लिखकर अपनी स्थिति साफ की। उनका यह बयान न सिर्फ कर्नाटक कांग्रेस के लिए, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने पार्टी की अंदरूनी एकता पर लग रहे सवालों का जवाब दिया है। 

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डीके शिवकुमार ने अपने बयान में सबसे पहले विधायकों के साथ अपने संबंध स्पष्ट किए। उन्होंने लिखा, "सभी 140 विधायक मेरे ही विधायक हैं। कोई ग्रुप बनाना मेरे खून में नहीं है।" इस एक लाइन से उन्होंने साफ कर दिया कि वह किसी भी तरह की गुटबाजी या खेमेबंदी का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री और उन्होंने हमेशा कहा है कि वे हाईकमान के फैसले के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 

यह बयान यह दर्शाता है कि कर्नाटक कांग्रेस का नेतृत्व, केंद्रीय नेतृत्व के फैसलों पर भरोसा करता है। 

सिद्धारमैया को पूर्ण समर्थन: कार्यकाल पूरा होने का किया ऐलान 

सत्ता परिवर्तन की अटकलों पर विराम लगाते हुए, शिवकुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्रति अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में किसी भी तरह की खींचतान नहीं है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने सिद्धारमैया के प्रति समर्थन जताते हुए कहा, "सीएम ने कहा है कि वे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और हम सभी मिलकर उनके साथ काम करेंगे।" 

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यह बयान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए एक बड़ी राहत और उनकी स्थिरता के लिए एक मजबूत संकेत है। इससे यह साफ हो गया है कि कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन का कोई तत्काल प्लान नहीं है और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक साथ काम करने को तैयार है। 

दिल्ली दौरे का क्या है राज? डीके शिवकुमार ने बताया 'सामान्य राजनीतिक व्यवहार' हाल ही में कई विधायकों का अचानक दिल्ली जाना ही 'नवंबर रिवॉल्यूशन' की अटकलों का मुख्य कारण था। डीके शिवकुमार ने इस दौरे पर भी खुलकर बात की और इसे किसी राजनीतिक दबाव या गुटबाजी का संकेत मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने ही यह तय किया है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे। 

मंत्री बनना सभी का अधिकार है, इसलिए विधायकों का नेतृत्व से मिलना बिल्कुल सामान्य है। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने तय किया है कि वे मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे। मंत्री बनना सभी का अधिकार है, इसलिए विधायकों का नेतृत्व से मिलना बिल्कुल सामान्य है। हम किसी को रोक नहीं सकते।" 

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इस तरह, उन्होंने विधायकों के दिल्ली दौरे को संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से पहले नेतृत्व से मिलने का एक 'सामान्य राजनीतिक व्यवहार' बताया। यह एक ऐसा कदम होता है, जिसमें मंत्री पद के आकांक्षी विधायक अपनी बात हाईकमान तक पहुंचाते हैं। शिवकुमार के अनुसार, यह विधायकों का अधिकार है और इसे किसी अंदरूनी विद्रोह के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। 

DK SHIVKUMAR

एक्सपर्ट का मत: कांग्रेस की रणनीति या मजबूरी? 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डीके शिवकुमार का यह बयान कांग्रेस हाईकमान की सलाह पर जारी किया गया होगा। कर्नाटक कांग्रेस के भीतर भले ही व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं हों, लेकिन पार्टी आलाकमान इस समय किसी भी तरह के अस्थिरता के संकेत नहीं देना चाहता। अगले लोकसभा चुनावों से पहले, कर्नाटक ही दक्षिण भारत में कांग्रेस का सबसे मजबूत किला है, और इसे सुरक्षित रखना पार्टी की पहली प्राथमिकता है। 

शिवकुमार के बयान ने फिलहाल के लिए सभी अंदरूनी विवादों पर पर्दा डाल दिया है और एक मजबूत, एकजुट कांग्रेस की तस्वीर पेश करने की कोशिश की है। क्या अफवाहों पर लगा ब्रेक? डीके शिवकुमार का यह विस्तृत और दो-टूक बयान 'नवंबर रिवॉल्यूशन' की अटकलों पर एक तरह से 'पूर्ण विराम' लगाता है। उन्होंने न केवल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पूर्ण समर्थन दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी में गुटबाजी या आंतरिक कलह के लिए कोई जगह नहीं है। 

विधायकों का दिल्ली दौरा भले ही मंत्रिमंडल विस्तार की ओर इशारा करता हो, लेकिन शिवकुमार के बयान ने यह साफ कर दिया कि यह कांग्रेस के लिए एक सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया है, न कि सत्ता परिवर्तन का संकेत। अब देखना यह है कि यह स्पष्टीकरण कर्नाटक की अस्थिर मानी जा रही राजनीति में कितनी स्थिरता ला पाता है।

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