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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस हाशिये पर है। यूपी में संगठन कभी ठीक तरीके से खडा ही नही हो पाया है। तो वहीं यूपी कांग्रेस से बडे चेहरों के पलायन नें हालात और भी विकट कर दिये है। इसके चलते अब सूबे मे कांग्रेस के पास एक भी ऐसा चेहरा नहीं जो दावा कर सके कि उनके चेहरे पर कांग्रेस सूबे के किसी भी कोनें में अपनें को मज़बूत देख सके। नतीजा...35 साल का कांग्रेस का वनवास खत्म होनें का नाम ही नही ले रहा है। प्रदेश संगठन हो या फिर केन्द्रीय नेतृत्व दोनों का तमाम कोशिशें और मंथन का नतीजा सिफर ही रहा। अब एक बार फिर मिशन 2027 के मद्देनज़र केन्द्रीय नेतृत्व एक बार फिर यूपी संगठन को नये तरीके से खडा करने की कोशिश में हैं।
यूपी कांग्रेस कमेटी को क्यों करना पड़ा भंग
यूपी मे कांग्रेस हाशिये पर है. ये किसी से छिपा हुआ नही है। कांग्रेस की पहचान जिन चेहरों से थी उनमे से अधिकांश कांग्रेस से ही पलायन कर चुके हैं। लिहाज़ा कांग्रेस को क्षेत्रिय दलों की सहारा लेना पड रहा है, और उनके आगे झुकना भी पड रहा है। हाल मे हुये उपचुनाव मे इसकी बानगी देखने को भी मिली। वहीं माना जा रहा है कि राहुल गांधी के एजेंडे के तहत इस बार टीम गठित होगी। राहुल गांधी सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना का एजेंडा लेकर चल रहे हैं। इसी के चलते दलित, ओबीसी और पिछड़े वर्ग को उत्तर प्रदेश संगठन में जगह देने की रूपरेखा तैयार की गई है।
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दिल्ली चुनाव मे इण्डिया ब्लाक मे नही दिखा एका
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी हो या फिर समाजवादी पार्टी..तीनो ही इण्डिया ब्लाक के बडे चेहरे हैं. लेकिन दिल्ली चुनाव में कांग्रेस अलग थलग पड गयी। सपा नें खुल कर आप के लिये प्रचार किया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इण्डिया ब्लाक मे कोई भी दिक्कत नही है और वो सभी एक साथ है। तो साथ मे ये भी कहा कि जहां भी जो पार्टी भाजपा को हराते दिखेगी वो उसके साथ खडे होंगे। यहां पर सवाल खडा हो गया कि क्या कांग्रेस भाजपा को दिल्ली विधान सभा चुनाव मे टक्कर देनी की स्थिती में नही है। इससे सवाल ये भी खडा होता है कि क्या 2027 मे यूपी में भी सपा कांग्रेस को दोयम दर्जे पर ही रखेगी।
यूपी मे कांग्रेस दमदार संगठन कैसे बना पायेगी
कांग्रेस का मानना है कि यूपी मे विधान सभी चुनाव में भले ही दो साल का वक्त हो। लिहाज़ प्रभावी संगठन बनानें के लिये अभी से जुटना पडेगा. यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी की मानें तो ज़िला स्तर तक तो हालात थोडे बेहतर है लेकिन ब्लाक स्तर पर संगठन ना के बराबर हैं। इन हालात मे प्रत्याशियों की तलाश ही मुमकिन नही हो सकती। तो साथ में अंशु अवस्थी का ये भी कहना है कि यही मौका है जब हम एक बार नये जोश के साथ एक प्रभावशाली संगठन को बना सकतें हैं।
कांग्रेस जातीय समीकरण को कैसे दुरुस्त करेगी
जब सभी बडे चेहरे पलायन कर चुके हों तो फिर ये सवाल परेशान तो करता ही है। दलित, ओबीसी और पिछड़े वर्ग की बात करें तो कांग्रेस भाजपा हो या फिर सपा दोनों के सामने कहीं नही टिकती. लेकिन ब्रह्मिन चेहरे की बात करें तो कांग्रेस को यहां थोडी राहत मिलती दिखती है। अगर भाजपा के पास डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक हैं तो फिर सपा के पास नेता विपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय हें. तो कांग्रेस पास प्रमोद तिवारी और रामपुर खास विधायक आराधना मिश्र ‘मोना’ हैं. तो क्या कांग्रेस ब्रह्मिनों के सहारे मिशन 2027 का रोड मैप बनानें जा रहा है।
कांग्रेस में बदलता और भंग होता रहा संगठन
प्रियंका गांधी की निगरानी में यूपी में जमीनी स्तर पर लंबे अरसे के बाद 2019 में संगठन बना। लेकिन इन छह सालों में कांग्रेस के तीन प्रदेश अध्यक्ष बदल गए। राज बब्बर, अजय कुमार लल्लू और बृज लाल खाबरी के बाद अजय राय को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गयी। लेकिन अजय राय पुरानी टीम के साथ ही काम करते रहे। इस दौरान कांग्रेस 2019 का लोकसभा और 2022 का विधानसभा हारी जबकि 2024 के चुनाव में सपा से गठबंधन करने के बाद उसे छह सीटें मिली। जिसके बाद कांग्रेस ने यूपी संगठन को भंग कर दिया। इसके पीछे की वजह बतायी गयी संगठन में तमाम ऐसे नेता जो एक्टिव मोड में काम नहीं कर पा रहे थे। तो दूसरी वजह पलायन भी रही। तो कई जिलों में जिला अध्यक्ष की कुर्सी भी खाली ही रही. लिहाज़ा खाली पड़े पदों और निष्क्रिय नेताओं की छटनी कर संगठन में तेज-तर्रार नेताओं को लानें की कवायद की जा रही है.
2024 नें कांग्रेस को दी आक्सीजन
यूपी मे कांग्रेस के हालात बद से बदतर हो चुके हैं। तो वहीं यूपी में कांग्रेस तमाम सियासी प्रयोग करके भी देख चुकी हैं, लेकिन नतीजा सिफऱ ही रहा. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छह सीटें जीतने में कामयाब रही, जिसनें कांग्रेस मे उम्मीद जगी। लिहाज़ा वो अभी से 2027 की तैयारी में जुट चुकी है। और नए सिरे से प्रदेश संगठन को अमलीजामा पहनाने का प्लान पर काम भी शुरु कर दिया है। जिसमें तेज़ तर्रार युवाओं को मौका देनें की बात कही जा रही है।
कांग्रेस का मिशन-2027
लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। सामाजिक न्याय, जाति जनगणना और संविधान रक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस को समर्थन मिला था। कांग्रेस एक सीट से बढ़कर छह पर पहुंच गई। सूबे में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है। कांग्रेस अपने संगठन को एक्टिव बनाने के लिए पुरानी कमेटी को भंग कर अब नए तरीके से गठन करने की प्रक्रिया मे है। उत्तर प्रदेश संगठन में सक्रिय युवाओं के साथ ही पिछ़ड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी भी है। इसके अलावा कई जिलों के जिलाध्यक्षों और पदाधिकारी की छुट्टी कर नए चेहरे को जगह देने की स्ट्रैटेजी है।