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संसद का मानसून सत्र: रक्षा मंत्री राजनाथ के आवास पर बैठक में मंथन, अमित शाह भी पहुंचे

संसद के 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार करनी शुरू कर हैं। हंगामे की आशंकाओं के बीच शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर देश शाम को विशेष बैठक बुलाई गई।

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Mukesh Pandit
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भाजपा के केंद्रीय मंत्रियोंकी बैठक। File

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। संसद के 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार करनी शुरू कर हैं। हंगामे की आशंकाओं के बीच शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर देश शाम को विशेष बैठक बुलाई गई। इसमें गृहमंत्री अमित शाह के अलावा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू और अन्य मंत्री शामिल हो रहे हैं। उधर, विपक्ष पर सरकार पर हमला करने के लिए अपनी रणनीतिक तैयार कर रहा है। कहा जा रहा है कि बैठक में मंथन किया गया कि विपक्ष के हमलों से कैसे निपटा जाए और कैसे जबावी हमले किए जाएं। इस बार के मानसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।  

मोदी सरकार जहां 8 नए बिल पेश करने की तैयारी में 

उल्लेखनीय है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा। तीन सप्ताह के इस सत्र में मोदी सरकार जहां 8 नए बिल पेश करने की तैयारी में है, वहीं विपक्ष ने महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार की है। कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा, बेरोजगारी, महंगाई और महिला अत्याचार जैसे मसले प्रमुखता से उठाने की तैयारी कर रही है।सरकार अपने विधायी एजेंडे के माध्यम से सुधारवादी कदम उठाने की बात करेगी, वहीं विपक्ष का जोर सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर रहेगा। इस मानसून सत्र में विपक्ष कोशिश करेगा कि वह सरकार को सुरक्षा, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय जैसे बुनियादी सवालों पर घेरे।

सबसे मुश्किल संसद सत्र साबित हो सकता है

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उल्लेखनीय है कि 2019 के बाद से 2024 तक के दौरान मोदी के लिए संसद में खासी मुश्किलें नहीं पैदा हुईं। जब तब विपक्ष ने हंगामा किया, लेकिन सरकार के लिए उसमें घबराने वाली बात कुछ नहीं थी। 2024 चुनाव में भाजपा के औसत प्रदर्शन के बाद मोदी सरकार बैकफुट पर है। पहलगाम हमले के बाद से शुरू हुए पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ये सबसे मुश्किल संसद सत्र साबित हो सकता है। विपक्ष कई चीजों को लेकर अपनी कमर कसे है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि बिहार चुनाव सामने है। संसद में अगर कुछ भी बड़ा हुआ तो इसका असर बिहार के चुनाव पर पड़ता दिखाई दे सकता है।

जनविश्वास संशोधन बिल क्या है: 

यह विधेयक छोटे और प्रक्रियागत अपराधों को आपराधिक श्रेणी से हटाकर प्रशासनिक दंड में बदलने का प्रस्ताव करता है। इसका उद्देश्य सरकार और आम नागरिकों के बीच विश्वास बढ़ाना है। IIM संशोधन विधेयक से क्या बदलाव होंगे: यह बिल भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव लाकर शिक्षा की गुणवत्ता और संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास करेगा।
क्या विपक्ष प्रधानमंत्री से सीधे जवाब मांगेगा: जी हां, कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्षविराम जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री से सीधा सवाल करेगी।
क्या बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा (एसआईआर) मुद्दा बनेगी: कांग्रेस ने इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया है। मानसून सत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया है।
संसद का यह सत्र क्यों महत्वपूर्ण है:संसद का यह सत्र भारत पाकिस्तान संघर्ष के बाद ऐसे समय में हो रहा है, जब सरकार कई महत्वपूर्ण सुधारवादी विधेयक लाने जा रही है। विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर उसे घेरने की तैयारी में है।

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