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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।मां का स्नेह एक मजबूत नींव है, जिस पर राष्ट्र के प्रति श्रद्धा एवं सेवा का विराट महल खड़ा होता है। इसीलिए, भारतीय संस्कृति में मां को देवी का स्थान दिया गया है, और मां के प्रति इसी समर्पण से ही राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना जागृत होती है। ऐसी ही भावना, भाजपा के उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह के हृदय में प्रस्फुटित हुई। लेकिन माँ की ममता भी तो होती है..! लाख समझने के बावजूद वह बच्चे को आसपास ही देखना चाहती है..साथ रहना चाहती है..! ऐसा ही कुछ द्वंद धर्मपाल और उनकी माँ के बीच हमेशा चलता रहा..! जब भी धर्मपाल गांव पहुंचते, मां कहतीं, "कुछ और देर रुक जा, भोजन कर ले इसी बहाने कुछ और क्षण मैं साथ रह लूंगी"।
जब मां को याद करके भावुक हुए धर्मपाल सिंह
मां से जुड़ा रोचक किस्सा सुनाते हुए स्वजनों ने बताया कि, वर्ष 1990 में एबीवीपी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने के लिए घर से धर्मपाल निकले। बीई पूर्ण करने के बाद, आईडीपीएल ऋषिकेश में अप्रेंटिसशिप की और स्वयं को राष्ट्र के कार्य में संलग्न कर दिया।उस वक्त गैर विभाजित उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड का देहरादून केंद्र था। उनकी उत्तराखंड आंदोलन में सक्रियता रही। इसके पश्चात प्रांत संगठन मंत्री एबीवीपी के नाते मेरठ केंद्र रहा। मेरठ से बिजनौर की दूरी अधिक नहीं थी, लेकिन फिर भी घर आना नहीं होता था, इसका कारण बस ये था की मां का स्नेह कहीं राष्ट्र सेवा के मार्ग में बाधा न बने।politics
मां कहतीं, पूरे समय नहीं तो कुछ देर रुक जा...
स्वजन बताते हैं कि जब-जब भी घर आना हुआ मां का एक ही शब्द होता है हर बार “अच्छा पूरा समय नहीं तो क्या हुआ कुछ और देर रुक जा” “भोजन कर ले इसी बहाने कुछ और क्षण मैं साथ रह लूंगी। वर्ष 2021 में जब झारखंड केंद्र था, उस समय एक बार मां का स्वास्थ्य ख़राब होने पर उन्हें घर देखने आए, तो भी मां को बस ये था की “घर रुक जा तू धर्मपाल”। यह भी राष्ट्र प्रेम और ममता का अद्भुत संयोग है कि मां रोंकती रहीं और धर्मपाल राष्ट्रसेवा को समर्पित होते चले गए।
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मां को श्रद्धांजलि देने पहुंचे शीर्ष नेता
दरअसल, भाजपा के उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की माता भाग्यवती देवी का पिछले शनिवार रात को नगीना क्षेत्र के गांव हुरनंगला में उनके पैतृक आवास पर निधन हो गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रदेश के मंत्री और संगठन से जुड़े शीर्ष नेताओं ने वहां पहुंचकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। धर्मपाल सिंह का राष्ट्र और पार्टी के प्रति समर्पण उसी मां की ममता की प्रेरणा से प्रेरित है, जिसने उन्हें जन्म दिया। कहते हैं कि मां का त्याग और बलिदान बच्चे को देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है।
धर्मपाल सिंह का राजनीतिक सफर
धर्मपाल सिंह सैनी वर्ष 1984 में एक कार्यकर्ता के तौर पर एबीवीपी में शामिल हुए और छह वर्ष की अपनी मेहनत और लगन से वह एबीवीपी में पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। इन्होंने लंबा समय एबीवीपी में गुजारा। यह कम ही लोग जानते हैं कि उनका कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश ही रहा। एबीवीपी में अपने कार्यकाल के दौरान धर्मपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश में प्रांत संगठन मंत्री के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। एबीवीपी के ऑल इंडिया एग्रोविजन चैप्टर के संयोजक भी रहे। धर्मपाल सिंह बिजनौर जिले के नगीना क्षेत्र के गांव हुरनंगला के हैं, और सैनी बिरादरी से आते हैं। सैनी बिरादरी उत्तर प्रदेश खासतौर पर वेस्टर्न यूपी में ओबीसी की प्रभावी जाति मानी जाती है।
बेहद आत्मीयता से मिलते हैं धर्मपाल
धर्मपाल सिंह के साथ संघ से जुड़े साथी बताते हैं कि धर्मपाल सिंह सैनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद सुलभ, सरल, और सहज हैं। सभी कार्यकर्ताओं को नाम से बुलाने की उनकी अद्भुत क्षमता है। वे माइक्रो मैनेजमेंट वाले संगठन मंत्री की पहचान रखते हैं। वह 2017 में झारखंड में भाजपा के महामंत्री बने। झारखंड में पिछले पांच सालों में संगठन महामंत्री के तौर पर उन्होंने अलग ही छवि बनाई। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को झारखंड में 14 में से 12 सीटें मिली, जिसका श्रेय उनके माइक्रो मैनेजमेंट को दिया जाता है। इतना ही नहीं, पंचायत और निकाय चुनाव में भी भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की उपलब्धि इनके नाम है।