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"अगला उपराष्ट्रपति कौन? एक नाम जो सबको हैरान कर सकता है!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के बीच में पद छोड़ा हो। जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने न केवल कई सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अगले उपराष्ट्रपति को लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म कर दिया है। क्या यह किसी बड़ी राजनीतिक बिसात का हिस्सा है, या इसके पीछे कुछ और गहरी वजहें हैं? जानने के लिए पढ़ें...
भारत के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के बीच में पद से इस्तीफा दिया है। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा निश्चित रूप से एक अभूतपूर्व घटना है, जिसने देश की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह इस्तीफा सिर्फ एक पद का खाली होना नहीं, बल्कि कई राजनीतिक निहितार्थों का संकेत हो सकता है। क्या यह किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की भूमिका है, या इसके पीछे कोई व्यक्तिगत कारण छिपा है?
जगदीप धनखड़ का कार्यकाल छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण रहा। राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिलों और बहसों का संचालन किया। उनके इस्तीफे के बाद, संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह फिलहाल सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि अब अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा?
हरिवंश, आरिफ मोहम्मद या शशि थरूर होंगे उम्मीदवार?
जैसे-जैसे उप राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं, अटकलें तेज हो गई हैं कि बीजेपी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी। इन अटकलों में दो नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और कांग्रेस नेता शशि थरूर। क्या बीजेपी इन दोनों में से किसी को चुनकर सबको चौंका देगी?
आरिफ मोहम्मद खान का नाम राजनीतिक गलियारों में जोर-शोर से चल रहा है। एक प्रखर वक्ता और इस्लाम के जानकार के रूप में, वे बीजेपी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के दृष्टिकोण से मेल खाते हैं। उनके नाम पर विचार करने से बीजेपी को मुस्लिम समुदाय में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिल सकती है, खासकर तब जब वे समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं।
दूसरी ओर, शशि थरूर का नाम चौंकाने वाला हो सकता है। कांग्रेस के एक प्रमुख चेहरे और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यक्ति होने के बावजूद, थरूर को अक्सर उनके अपने दल में भी दरकिनार किया जाता रहा है। यदि बीजेपी उन्हें उम्मीदवार बनाती है, तो यह एक बड़ा राजनीतिक दांव होगा, जिसका उद्देश्य विपक्ष में फूट डालना और एक ऐसे व्यक्ति को अपने पाले में लाना हो सकता है जो बौद्धिक और कूटनीतिक हलकों में सम्मान रखता है। यह कदम बीजेपी को देश के उदारवादी और अंग्रेजीभाषी मतदाताओं के बीच भी अपनी छवि सुधारने में मदद कर सकता है।
एनडीए गठबंधन की ओर से नए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा जल्द होने की संभावना है। इस दौड़ में सबसे मजबूत नाम राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का माना जा रहा है। वे जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हैं और 2020 से उपसभापति के तौर पर कुशलता से काम कर रहे हैं। हरिवंश सिंह को केंद्र सरकार का करीबी और भरोसेमंद चेहरा माना जाता है। उनकी सादगी, ईमानदारी और नियमों की गहरी समझ उन्हें इस पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है। क्या उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी?
फिलहाल, ये केवल अटकलें हैं। बीजेपी अपने पत्ते आखिरी समय तक नहीं खोलती। लेकिन, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी वाकई किसी अप्रत्याशित चेहरे को चुनकर सबको चौंकाती है या फिर किसी पारंपरिक विकल्प के साथ जाती है।
मनोज सिन्हा से लेकर नीतीश कुमार तक रेस में?
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार होते ही, नए उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी दल, दोनों ही इस महत्वपूर्ण पद के लिए संभावित नामों पर विचार-विमर्श में जुट गए हैं। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच कई नामों को लेकर चर्चाएं तेज हैं।
मनोज सिन्हा: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम इस दौड़ में प्रमुखता से लिया जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उन्हें यह अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। सिन्हा का प्रशासनिक अनुभव और जमीनी पकड़ उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। क्या बीजेपी उन्हें इस बड़े पद पर लाकर यूपी में अपना संदेश देना चाहेगी?
नीतीश कुमार: बिहार की राजनीति में एक कद्दावर चेहरा, नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार में आगामी चुनावों के मद्देनजर, बीजेपी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाने की एवज में उन्हें उपराष्ट्रपति पद की पेशकश कर सकती है। क्या यह एक बड़ी सियासी चाल होगी जो बिहार के राजनीतिक समीकरणों को बदल देगी?
राजनाथ सिंह: देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी कुछ हलकों में सामने आ रहा है। उनकी वरिष्ठता, अनुभव और सर्वमान्य छवि उन्हें एक मजबूत विकल्प बनाती है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी उन्हें इतने महत्वपूर्ण मंत्रालय से हटाकर इस पद पर लाएगी।
ये सभी नाम अभी सिर्फ अटकलों का हिस्सा हैं और इनका कोई आधिकारिक आधार नहीं है। लेकिन इन नामों की चर्चा इस बात का संकेत देती है कि राजनीतिक दल इस पद को लेकर कितनी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
महिला उपराष्ट्रपति: क्या फिर मिलेगा एक और बड़ा मौका?
एक धड़ा ऐसा भी है जो एक महिला उपराष्ट्रपति की वकालत कर रहा है। उनका तर्क है कि राज्यों के चुनावों और बदलते राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए अब महिला फैक्टर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। देश में पहले से ही राष्ट्रपति पद पर एक महिला काबिज हैं, ऐसे में क्या उपराष्ट्रपति पद पर भी किसी महिला को मौका मिलेगा? यह एक दिलचस्प विचार है, खासकर जब से महिला सशक्तिकरण की बात हर मंच पर की जा रही है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति पद पर पहले से महिला होने के कारण, महिला उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वाले तर्क में उतनी वजह नजर नहीं आती। लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं।
एनडीए की प्राथमिकता: एक दमदार और सर्वमान्य चेहरा
उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी भी नाम की घोषणा या चयन हो, बीजेपी इस पद पर एक मजबूत और दमदार चेहरा चाहेगी। ऐसा चेहरा जो न केवल पार्टी के संदेश को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा सके, बल्कि राज्यसभा को भी सुचारू और प्रभावी तरीके से संचालित कर सके। राज्यसभा में जिस तरह से विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच अक्सर स्थिति गरमाती है, ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के लिए एक सर्वमान्य और मजबूत छवि वाले नेता की तलाश रहेगी।
एनडीए गठबंधन की ओर से सबसे मजबूत नाम
एनडीए गठबंधन की ओर से नए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा जल्द होने की संभावना है। इस दौड़ में सबसे मजबूत नाम राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का माना जा रहा है। वे जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हैं और 2020 से उपसभापति के तौर पर कुशलता से काम कर रहे हैं। हरिवंश सिंह को केंद्र सरकार का करीबी और भरोसेमंद चेहरा माना जाता है। उनकी सादगी, ईमानदारी और नियमों की गहरी समझ उन्हें इस पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है। क्या उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद, चुनाव आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए एक नई चुनौती पेश करेगा, बल्कि देश की संसदीय प्रक्रिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। नए उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में बढ़ती चुनौतियों का सामना करना होगा, जिसमें विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन बनाना और प्रभावी ढंग से सत्र का संचालन करना शामिल है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए किस नाम पर मुहर लगाता है और विपक्षी दल किस रणनीति के साथ मैदान में उतरते हैं। यह सिर्फ एक पद का चुनाव नहीं, बल्कि आने वाले समय में देश की राजनीतिक दिशा को भी तय करेगा।
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