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"अगर सरकार को सब पता था, तो हमले कैसे हुए? ओवैसी की ललकार से मचा सियासी भूचाल!"

पहलगाम हमले पर ओवैसी ने केंद्र पर उठाए गंभीर सवाल: कैसे पहुंचे पाकिस्तानी आतंकी? 'ऑपरेशन सिंदूर' से बदला लेने की मांग कर सरकार से सुरक्षा चूक पर जवाब मांगा।

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Ajit Kumar Pandey

"अगर सरकार को सब पता था, तो हमले कैसे हुए? ओवैसी की ललकार से मचा सियासी भूचाल!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने सवाल उठाया है कि आखिर कैसे चार पाकिस्तानी आतंकवादी पहलगाम तक पहुंच गए, जब सरकार बिहार में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की मौजूदगी का दावा करती है। यह बयान आतंकवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति और सुरक्षा चूक पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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आज गुरूवार 17 जुलाई 2025 को असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के निजामाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के चार आतंकवादियों ने पहलगाम में हमारे 26 हिंदू भाइयों की जान ले ली।" ओवैसी ने सरकार से पूछा कि यदि केंद्र को बिहार में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की जानकारी है, तो फिर ये चार आतंकवादी पहलगाम तक कैसे पहुंचे? यह सवाल सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सीधा प्रहार है।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

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ओवैसी ने केंद्र सरकार के "ऑपरेशन सिंदूर" का जिक्र करते हुए कहा कि यदि सरकार पहलगाम हमले का बदला लेना चाहती है, तो "ऑपरेशन सिंदूर" तब तक जारी रहना चाहिए जब तक सभी चारों आतंकवादी पकड़े न जाएं। उनके इस बयान में सरकार से आतंकवाद के खिलाफ और अधिक दृढ़ता से कार्रवाई करने की मांग छिपी है। यह दिखाता है कि विपक्ष भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है।

सुरक्षा चूक या खुफिया विफलता?

पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाके में आतंकवादियों का घुसपैठ करना, सीधे तौर पर खुफिया एजेंसियों की विफलता या सुरक्षा में बड़ी चूक की ओर इशारा करता है। यह घटना दर्शाती है कि सीमा पार से घुसपैठ रोकने के दावे के बावजूद, आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने में सफल हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।

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आतंकियों की घुसपैठ: कैसे और क्यों हुई?

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सरकारी दावे बनाम हकीकत: रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर सरकार की सख्ती, लेकिन आतंकवादियों की घुसपैठ पर खामोशी क्यों?

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राजनीतिक बयानबाजी और राष्ट्रीय सुरक्षा

ओवैसी का बयान ऐसे समय में आया है जब देश में चुनावों का माहौल गरम है और राष्ट्रीय सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं का मुद्दा अक्सर चुनावी बहसों में आता रहा है। ओवैसी ने इसी बात को आधार बनाते हुए सरकार को घेरा है कि यदि सरकार एक तरफ इन घुसपैठियों की पहचान का दावा करती है, तो दूसरी तरफ प्रशिक्षित आतंकवादी कैसे आसानी से भारतीय सीमा में प्रवेश कर लेते हैं। यह सवाल सरकार की दोहरी नीति पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।

आतंकवाद के खिलाफ एकीकृत रणनीति की आवश्यकता

इस घटना से यह स्पष्ट है कि आतंकवाद से निपटने के लिए एक मजबूत और एकीकृत रणनीति की आवश्यकता है। केवल बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। सरकार को न सिर्फ सीमा पर सुरक्षा मजबूत करनी होगी, बल्कि खुफिया तंत्र को भी और अधिक प्रभावी बनाना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह की घुसपैठ को तुरंत रोका जा सके और देश के भीतर सक्रिय आतंकी मॉड्यूल को निष्क्रिय किया जा सके। पहलगाम हमला एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि आतंकवाद एक सतत खतरा है और इसके खिलाफ लड़ाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जा सकती।

ओवैसी के इस बयान के बाद केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। क्या सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति को और मजबूत करेगी? क्या पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए "ऑपरेशन सिंदूर" में और तेज़ी लाई जाएगी? ये सवाल देश की जनता के मन में हैं, जिनका जवाब सरकार को देना होगा।

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