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हर नागरिक को मिले वार्षिक हेल्थ चेकअप का कानूनी अधिकार, राज्यसभा में राघव चड्ढा ने उठाया मुद्दा

राज्यसभा राघव चढ्डा सदस्य ने कहा कि देश में  कोविड-19 के बाद, हम हृदय गति रुकने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है। कभी क्रिकेट खेलते हुए किसी युवा की हृदयगति रुकने से मौत हो गई तो कई एक्टर्स की हार्ट अटैक से जान गई। 

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Mukesh Pandit
Raghav Chadha
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने देश के प्रत्येक नागरिक को वार्षिक हेल्थ चेकअप का कानूनी अधिकार दिए जाने की बेहद महत्वपूर्ण मांग उठाई है। ताकि सस्ती और सरल जांच की सुविधा देश के सभी नागरिकों को मिल सके। राघव चड्ढा ने कहा कि विश्व के कई देशों में नागरिकों की मुफ्त चिकित्का जांच की सुविधा है। उन्होंने कहा कि इससे देश में हजारोंकी लोग की जान बचाए जानेमें मदद मिल सकेगी। 

देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ीं

राज्यसभा में बोलते हुए आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चढ्डा ने कहा कि देश में  कोविड-19 के बाद, हम हृदय गति रुकने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है। नित समाचार आ रहेहैं कि क्रिकेट खेलते हुए किसी युवा की हृदयगति रुकने से मौत हो गई तो कई एक्टर्स तक को हार्ट अटैक से मौत हो गई। देश में कैंसर के रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन जांच काफी कम है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए राघव चढ्डा ने कहा कि देश में मात्र दो फीसद महिलाएं ही कैंसर की जांच कराती हैं। उन्होंने कहा कि कई देशों में, सरकार नागरिकों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच के लिए धन मुहैया कराती है और उसे अनिवार्य बनाती है फिर, भारत में ऐसा क्यों नहीं? संयोग से राघव चड्ढा वह सदस्य, जो जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने से पहले बोलने वाले अंतिम सदस्य थे।

देश में हेल्थ चेकअप की क्या है स्थित

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स्वास्थ्य मानव जीवन का आधार है, और इसे बनाए रखने के लिए समय पर जांच और उपचार आवश्यक हैं। भारत जैसे देश में, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अभी भी कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है, यह सवाल उठता है कि क्या नागरिकों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच को कानूनी अधिकार बनाना चाहिए। क्या यह कानूनी अधिकार प्रदान करने इतनी बड़ी आबादी वाले देश में सरल है? जानते हैं ऐसे ही सवालों के जवाब

निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा

वार्षिक स्वास्थ्य जांच को कानूनी अधिकार बनाने से निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा मिलेगा। कई बीमारियां, जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और कैंसर, शुरुआती अवस्था में पता चलने पर आसानी से नियंत्रित या ठीक की जा सकती हैं। यदि हर नागरिक को नियमित जांच का अधिकार मिले, तो गंभीर बीमारियों की रोकथाम संभव होगी, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम होगा और लोगों का जीवनकाल बढ़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन  के अनुसार, निवारक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य व्यय को 20-30% तक कम कर सकती है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में भारी असमानता है। धनी लोग निजी अस्पतालों में आसानी से जांच करवा सकते हैं, जबकि गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अक्सर बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहते हैं। 

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 जागरूकता और स्वास्थ्य साक्षरता

नियमित जांच से लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक होंगे। यह स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देगा और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी को जांच में पता चले कि उसका कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ रहा है, तो वह अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सकता है। स्वस्थ नागरिक अधिक उत्पादक होते हैं। यदि बीमारियों का जल्दी पता चल जाए, तो उपचार का खर्च कम होगा और लोग लंबे समय तक काम कर सकेंगे। यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होगा। एक अध्ययन के अनुसार, स्वास्थ्य में निवेश से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4-6% की वृद्धि हो सकती है।

आसान नहीं है स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार देना

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भारत जैसे विशाल और विविध देश में सभी नागरिकों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच लागू करना एक बड़ा आर्थिक बोझ हो सकता है। सरकारी स्वास्थ्य बजट पहले से ही सीमित है, और इसे लागू करने के लिए भारी धनराशि, बुनियादी ढांचा, और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अस्पताल और क्लिनिक की कमी है, वहां इसे लागू करना और भी मुश्किल होगा। 1.4 अरब की आबादी के लिए स्वास्थ्य जांच का प्रबंधन एक जटिल कार्य है।

जांच केंद्रों की कमी, लंबी कतारें, और प्रशासनिक अक्षमताएं इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती हैं। साथ ही, डेटा प्रबंधन और गोपनीयता के मुद्दे भी उभर सकते हैं। वार्षिक स्वास्थ्य जांच को कानूनी अधिकार बनाने का विचार आदर्शवादी और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे लागू करने से पहले कई व्यावहारिक चुनौतियों पर विचार करना होगा। सरकार को पहले स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में। इसके साथ ही, जागरूकता अभियान और स्वास्थ्य साक्षरता कार्यक्रम चलाकर लोगों को इसके महत्व के बारे में शिक्षित करना होगा।
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